सियाचिन ग्लेशियर में बुधवार तड़के करीब तीन बजे आग लगने की एक घटना में सेना के रेजिमेंटल मेडिकल अधिकारी कैप्टन अंशुमान सिंह शहीद हो गए है। जबकि तीन अन्य सैन्यकर्मी घायल हो गए। घायलों को हेलिकॉप्टर के जरिए ग्लेशियर से निकालकर चंडीगढ़ के सेना के अस्पताल में जरूरी इलाज के लिए भर्ती कराया गया है। सेना ने इस हादसे की जांच के आदेश दे दिए हैं।
शॉर्ट सर्किट की वजह से हादसा
जानकारी के मुताबिक, सियाचिन ग्लेशियर में आग लगने की यह घटना केंद्रीय ग्लेशियर के गोला बारूद वाले एक बंकर (टेंट) में हुई। प्रारंभिक जांच से पता चला है कि शॉर्ट सर्किट की वजह से यह हादसा हुआ। जिसमें बंकर में आग की लपटें निकलती हुई देखी गईं। आनन-फानन में जवानों ने आग बुझाने का काम शुरू किया। कुछ ही देर में आग पर काबू पा लिया गया। हादसे में तीन अन्य सैन्यकर्मी शरीर में सांस के जरिए धुंआ भरने और जलने की वजह से घायल हुए हैं। जिसके बाद उन्हें हवाई मार्ग से बाहर निकालकर आगे के इलाज के लिए चंडीगढ़ के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। घायलों की हालत स्थिर बनी हुई है। उधर सूत्रों ने इस मामले को किसी तरह की साजिश मानने से फिलहाल इंकार कर दिया है। इस हादसे की जांच की जा रही है। इसके अलावा वह तमाम जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। जिससे भविष्य में ऐसी घटना की पुनरावृति न हो सके।
दुनिया का सबसे ऊंचा रणक्षेत्र
गौरतलब है कि सियाचिन ग्लेशियर को दुनिया का सबसे ऊंचा रणक्षेत्र कहा जाता है। यह लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश में आता है। सियाचिन के सामने पाकिस्तान और चीन की सीमाएं पड़ती हैं। जिसे देखते हुए भारतीय सेना की यहां नियमित रूप से कड़ी तैनाती बनी रहती है। सियाचिन में भारतीय सेना के सामने दुश्मन से ज्यादा बड़ा खतरा ग्लेशियर का बेहद चुनौतीपूर्ण और मारक मौसम खड़ा करता है। यहां साल के बारह महीने बर्फ पड़ी हुई रहती है। ठंड के मौसम में सियाचिन का तापमान माइनस 50 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है। इसके अलावा यहां हिमस्खलन का खतरा भी जवानों के सामने हमेशा बना रहता है।