अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस की दहशत…दिमाग खाने वाले अमीबा के अब तक सामने आए इतने मामले

अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस की दहशत…दिमाग खाने वाले अमीबा के अब तक सामने आए इतने मामले

केरल Kerala की राजधानी तिरुवनंतपुरम Thiruvananthapuram में इन दिनों दिमाग खाने Eating Brains वाले अमीबा Amoeba की दहशत लोगों में दिखाई दे रही है। अब तक इस तरह के दो और मामलों की पुष्टि हुई है। इन मामलों की पुष्टि के बाद से ही केरल में हड़कंप मच गया है। लोग डर के साए में जीने की मजबूर हैं। बता दें अमीबिक एन्सेफ्लाइटिस Encephalitis के दो और नए मामलों की पुष्टि होने के बाद लोगों की चिंता बढ़ा दी है।

केरल में क्यों बढ़ रहे दिमाग खाने वाले अमीबा के केस
नाक के जरिए शरीर में घुसता है दिमाग खाने वाला अमीबा
तिरुवनंतपुरम में दिमाग खाने वले अमीबा की दहशत
अब तक इस तरह के दो और मामलों की पुष्टि हुई
नए मामलों की पुष्टि के बाद से केरल में हड़कंप
लोग डर के साए में जीने की मजबूर हैं
अमीबिक एन्सेफ्लाइटिस के दो और नए मामलों की पुष्टि

जिन दो युवतियों में मस्तिष्क खाने वाले अमीबा की पुष्टि हुई है वे तिरुवनंतपुरम के थिरुमाला और मुल्लुविला की रहने वाली हैं। बताया गया कि दोनों ही युवतियों को इलाज के तिरुवनंतपुरम मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया है। जहां दोनों का उपचार जारी है। इन दोनों के मामलों के सामने आने के बाद केरल में अमीबिक एन्सेफ्लाइटिस के रोगियों की संख्या भी बढ़कर तीन हो गई है।

दो महीनों में 14 लोगों में मिला संक्रमण
पिछले दो महीनों में करीब 14 लोगों में अमीबा के संक्रमण का पता चला था। हालांकि गनीमत यह रही कि इनमें से दस लोगों का इलाज सफल रहा। दो सप्ताह पहले ही सभी दस लोगों को अस्पताल से डिस्चार्ज भी कर दिया गया। वहीं कासरगोड जिले में 38 साल के माणिकंदन की बीते रविवार को 22 सितंबर 2024 सांस थम गई थी। विशेज्ञषों की माने तो यह बीमारी दूषित पानी के जरिए फैलने की बात कही जा रही है। वहीं स्वास्थ्य अधिकारियों ने भी लोगों से सावधानी बरतने के साथ पूरी तरह से सतर्क रहने की अपील लोगों से की है। लोगों से पानी में रहने या स्वीमिंग के दौरान सतर्कता बरतने की अपील की है।

एक दर्लभ संक्रमण ब्रेन-ईटिंग अमीबा
बता दें अमीबिक एन्सेफ्लाइटिस या ब्रेन-ईटिंग अमीबा एक दर्लभ संक्रमण है। जिसका वैज्ञानिक नाम नएगलेरिया फॉलेरी Naegleria fowleri है। वैसे सामान्यत झीलो और ताजे पानी के साथ नदियों और गर्म पानी के झरनों और मिट्टी में ब्रेन-ईटिंग अमीबा पाया जाता है। इन जगहों पर जाने पर संबंधित व्यक्ति इसके संपर्क में आ जाता है। यह बीमारी व्यक्ति के नर्वस सिस्टम को प्रभावित करती है। अमीबा नाक के जरिए दिमाग में घुसता है जिसके चलते अमीबा से मौत भी हो सकती है। 97 प्रतिशत मामलों में पीड़ित व्यक्ति की जान बचना मुश्किल होता है।

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