मध्यप्रदेश के पन्ना जिले को हीरे की खदान कहा जाता है। यह एक ऐसा जिला है, जिसे आंवला ने एक नई पहचान दी है। यहां के आंवला का प्रयोग मुख्य रूप से आयुष चिकित्सा में किया जाता है। आंवले के पेड़ मुख्य रूप से पन्ना के जंगलों में पाए जाते हैं। पन्ना में पाया जाने वाला आंवला फाइबर रहित होने के कारण अत्यंत गुणकारी होता है। आंवला विटामिन.सी का एक समृद्ध स्रोत है। मप्र सरकार के आयुष विभाग की देवरण्य योजना के तहत आंवला संग्रहण एवं प्रसंस्करण के प्रभावी प्रयास किये जा रहे हैं।
- आयुष विभाग की देवरण्य योजना
- आंवला संग्रहण एवं प्रसंस्करण के प्रभावी प्रयास
- सरकार चाहती है आत्मनिर्भर बनें महिलाएं
पन्ना एमपी के अमला जिले के रूप में प्रसिद्ध है। पन्ना मध्य प्रदेश के आंवला जिले के रूप में भी प्रसिद्ध है। यहां आंवला बहुतायत में पाया जाता है। आंवले का सबसे ज्यादा इस्तेमाल मुरब्बा बनाने में किया जाता है। जो कि एक मीठा और तीखा स्वाद होता है। यह आंवले को संसाधित करके तैयार किया जाता है और आंवले को लंबे समय तक संरक्षित रखने का एक शानदार तरीका है।
आंवला के प्रसंस्करण पर ध्यान
पन्ना के अधिकारी आंवला के प्रसंस्करण पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं ताकि इसे अधिक समय तक संरक्षित रखा जा सके। साथ ही किसानों को आंवले की खेती और कटाई के आधुनिक तरीकों का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है ताकि वे बेहतर मुनाफा कमा सकें। जिला स्तर पर विभिन्न विभागों से समन्वय के लिए जिला स्तरीय समिति का भी गठन किया गया है। किसानों को आंवला की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। जिला स्तर पर वन उद्यानिकी पंचायत एवं ग्रामीण विकास तथा जनजातीय कार्य विभाग मिलकर कार्य कर रहे हैं। साथ ही इस कार्य में स्वयंसेवी संस्थाओं व स्वयं सहायता समूहों की भी मदद ली जा रही है। पन्ना जिला हीरों के बाद अब आंवला उत्पादन में नई पहचान बना रहा है।
सात समुंदर पार जाएगा पन्ना का मुरब्बा-कलेक्टर
दरअसल मध्य प्रदेश सरकार ने पन्ना के आंवला मुरब्बा को एक जिला एक उत्पाद योजना में शामिल किया है। कलेक्टर संजय कुमार मिश्रा की माने तो शासन की यह परिकल्पना है कि औषधीय गुण वाले आंवले से बने मुरब्बे और अन्य उत्पादों को देश के साथ साथ सात समुंदर पार विदेशों में भी भेजा जाये। जिले में 45 प्रतिशत जंगल है। यह जंगल जिले की 11 लाख 26 हजार आबादी के लिए वरदान है। पन्ना जिले के जंगलों में आंवला बहुतायत से पाया जाता है। आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश बनाने के लिए एक जिला एक उत्पाद योजना प्रदेश सरकार द्वारा शुरू की गई है। इस योजना के तहत पन्ना जिले में आंवला उत्पाद को चुना गया है। कलेक्टर का कहना कि आंवला उत्पाद से पन्ना की पहचान पूरे देश में स्थापित हुई है। किसानों को आंवला लगाने किया जा रहा प्रेरित सहायक संचालक उद्यान महेंद्र मोहन भट्ट ने गांव कनेक्शन को बताया कि किसानों को अपने खेतों और खाली पड़ी जगह पर आंवला के पौधे लगाने को प्रेरित किया जा रहा है। इतना ही नहीं निजी भूमि पर 500हेक्टेयर क्षेत्र में आंवला के बगीचे जिले में हैं। ऐसे में बड़ी संख्या में किसान अब खेतों में पौधरोपण भी कर रहे हैं। उद्यान विभाग की माने तो आंवले से बनने वाली सामग्री का उत्पादन जिले में बड़े पैमाने पर प्रारंभ करने की योजना तैयार की गई। पन्ना जिले को सही अर्थों में आंवला जिला बनाने की दिशा में प्रयास शुरू किए गए। महेंद्र मोहन भट्ट का कहना है विभाग की ओर से यहां की महिलाओं को आंवला उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण भी दिलाया जा रहा है। प्रशिक्षण लेने वाली महिलाएं अपने घर में ही आंवला उत्पाद बनाकर आर्थिक रूप से स्वावलंबी बन परिवार का सहारा भी बनेंगी।