मध्यप्रदेश में अक्टूबर नवंबर में विधानसभा चुनाव होना हैं। ऐसे में चुनावी बिसात बिछना शुरु हो गई है। बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियों के साथ सपा, बसपा ही नहीं इस बार आम आदमी पार्टी ने भी विधानसभा चुनाव में दमखम दिखाने की तैयारी कर ली है। आज हम बात करेंगे ग्वालियर चंबल की। जहां बीजेपी कांग्रेस के साथ बसपा की नजर है। सियासी दल पूरी ताकत लगा रहे हैं। हाल ही में रविदास जयंती पर बीजेपी कांग्रेस दोनों दल के बड़े नेताओं ने इस क्षेत्र में डेरा डाला था। अब अंबेडकर जंयती के दो दिन बाद 16 अप्रैल को बीजेपी ग्वालियर में अंबेडकर महाकुंभ करने जा रही है।
- ग्वालियर में 16 अप्रैल को होगा अंबेडकर महाकुंभ
- ग्वालियर.चंबल में बीजेपी का दलित वोटरों पर फोकस
- बेडकर महाकुंभ में शामिल होंगे सीएम शिवराज
- केन्द्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया भी होंगे शामिल
- 2018 में अंचल की 7 सीटों में मिली थी बीजेपी को जीत
- अंचल की 34 में से महज 7 सीट ही जीत सकी थी बीजेपी
मध्यप्रदेश विधानसभा के चुनाव में अब कुछ ही महीने बाकी हैं। ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही प्रमुख पार्टियों वोटरों को साधने की कवायद में जुट गए हैं। बीजेपी की नजर दलित और आदिवासी वोटर पर है। इसी क्रम में बीजेपी दलित वर्ग को साधने के लिए बड़ा प्लान बना रही है। अंबेडकर जयंती के दो दिन 16 अप्रैल को ग्वालियर में दलित समाज को लेकर अंबेडकर महाकुंभ का आयोजन किया जाएगा। जिसमें सीएम शिवराज सिंह चौहान, केन्द्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा भी मौजूद रहेंगे। बताया जा रहा है कि राम मंदिर की तरह संत रविदास मंदिर का निर्माण होने वाला है। बीजेपी रविदास का मंदिर बनाने के लिए दलित वर्ग के एक एक व्यक्ति को जोड़ेगी। मंदिर के सहयोग के लिए एक मुट्ठी चावल के साथ एक ईंट और गांव की एक मुट्ठी मिट्टी बुलाई जाएगी।
अंबेडकर महाकुंभ का क्या है सियासी गणित
दरअसल बीजेपी को अंबेडकर महाकुभ के आयोजन की जरुरत क्यों पड़ गई इसे जानने के लिए हम 2018 के विधानसभा चुनाव के परिणामों पर नजर डालें तो तस्वीर साफ हो जाती है कि दलित आदिवासी वर्ग बीजेपी से छिटक रहा है। क्योंकि 2018 के विधानसभा चुनाव में इस अंचल में 34 में से महज 7 विधानसभा सीटों पर ही बीजेपी को जीत हासिल हुई थी। हालांकि उपचुनाव के बाद जब सत्ता बदली तो दलित वर्ग की सीट भी बीजेपी के खाते में बढ गई। दरअसल ग्वालियर चंबल में बीजेपी की हार का बड़ा कारण एट्रोसिटी एक्ट और आरक्षण का मुददा भी रहा है। कभी खुद सीएम शिवराज ने मंच से दम भरते हुए कहा कि कोई माई का लाल आरक्षण खत्म नहीं कर सकता। आरक्षित वर्ग को खुश करने के लिए सीएम का दांव कितना कारगर हुआ यह अलग बात है, लेकिन इससे गैर आरक्षित वर्ग के लोग खफा हो गए। तब आरक्षण के मुद्दे पर ग्वालियर अंचल के कई जिले हिंसा की आग में झुलसे थे। हिंसा के बाद दलित वोट बैंक बीजेपी से छिटक गया। विधानसभा चुनाव हुए तो ग्वालियर चंबल की 34 में से 7 विधानसभा सीटों पर ही बीजेपी जीत सकी। इतना ही नहीं अंचल की सामान्य सीटों पर भी दलित मतदाताओं ने बीजेपी की मुखालफत कर उसकी प्रदेश में चौथी बार सत्ता में वापसी की राह में कांटे बिछा दिए। अब एक बार फिर बीजेपी का फोकस दलित आदिवासी सीटों पर है। 16 अप्रैल को होने वाले अंबेडकर महाकुंभ के मंच से सीएम शिवराज इस वर्ग के लिए बड़ी घोषणाएं भी कर सकते हैं।
दिग्गजों का गढ़ है ग्वालियर-चंबल अंचल
बता दें ग्वालियर चंबल अंचल रजनीति के दिग्गिजों का गढ़ कहा जाता है। ये क्षेत्र केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, नरेन्द्र सिंह तोमर और शिवराज कैबिनेट में शामिल गृह मंत्री डॉ.नरोत्तम मिश्रा जैसे धाकड़ नेताओं का है। जो भाजपा से हैं। वहीं इस क्षेत्र से कांग्रेस के बड़े नेताओं में डॉ.गोविंद सिंह का नाम लिया जा सकता है। इस समय गोविंद सिंह विधानसभा नेता प्रतिपक्ष हैं। बता दें कि पिछले कुछ चुनावों पर गौर करें तो ग्वालियर चंबल क्षेत्र से जिसे ज्यादा सीटें मिली सरकार उसी की बनी है।
34 विधानसभा और 4 लोकसभा सीटें
ग्वालियर चंबल संभाग मप्र एक बड़ा क्षेत्र है। जहां विधानसभा की 34 सीटें है तो लोकसभा की चार सीटें शामिल हैं। ये क्षेत्र राजनीति में सिंधिया का गढ़ माना जाता है। पिछले कुछ चुनावों की बात करें तो इस क्षेत्र ने जिस भी पार्टी की ज्यादा सीटें आई हैं। उसकी राज्य में सरकार बनी है। साथ में इस क्षेत्र में बहुजन समाज पार्टी का भी वोट बैंक है। पिछले चुनावों में उसके कुछ विधायक विधानसभा पहुंचे भी। क्योंकि इस क्षेत्र में कई सीटें अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व हैं। इससे साबित होता है यहां पर इस समाज के लोग हैं। इसीलिए चुनाव कोई भी हो कोई भी दल बसपा को हल्के में नहीं लेता है।
ग्वालियर चंबल में शामिल विधानसभा सीटें
श्योपुर जिला- श्योपुर और विजयपुर
मुरैना जिला- सबलगढ़, जौरा, सुमावली, मुरैना, दिमनी और अंबाह (एससी)
भिंड जिला- अटेर, भिंड, लहार, मेहगांव और गोहद (एससी)
ग्वालियर जिला- ग्वालियर ग्रामीण, ग्वालियर, ग्वालियर पूर्व, ग्वालियर दक्षिण, भितरवार, डबरा (अजा)
दतिया जिला- सेवड़ा, भांडेर (एससी) और दतिया
शिवपुरी जिला- करेरा (एससी) पोहारी, शिवपुरी] पिछौर और कोलारस
गुना जिला- बमोरी, गुना (एससी) चचौरा और राघोगढ़
अशकोनगर जिला- अशोक नगर (एससी) चंदेरी और मुंगावली