मंदी का तेज होता प्रभाव,छंटनी में बदली अमेज़न की घटती बिक्री

अमेज़न कंपनी की घटती बिक्री का दुष्प्रभाव अब कंपनी के कर्मचारियों पर पड़ रहा है। बिक्री घटने से लागत कम करने का दबाव कंपनी पर बढ़ रहा है। जिसका असर ये हे कि खर्च घटाने के लिए कंपनी ने कर्मचारियों की छंटनी शुरु कर दी है। सिर्फ अमेज़न ही नहीं, दूसरी कई कंपनियों में भी यही हालत हैं। इसके पीछे वैश्विक मंदी की आशंका जताई जा रही है। जिसे देखते हुए कई नमी कंपनियां भी अपने खर्चे घटाने में लग गई हैं। जिनमें अमेजन भी शामिल है।

अमेज़न में मिलता है 1.6 मिलियन से अधिक लोगों को रोजगार

अमेज़न के पास करीब 16 लाख से अधिक पूर्णकालिक और अंशकालिक कर्मचारी हैं। लेकिन कर्मचारियों की छंटनी से पहले अमेज़न ने 1 महीने की लंबी समीक्षा की। इसके बाद ऐसा करने का फैसला लिया। अगर अमेज़न की ओर से 10 हजार  कर्मचारियों को कंपनी से निकाला जाता है तो यह कंपनी के इतिहास में सबसे बड़ी छंटनी होगी। बता दें अमेज़न दुनियाभर में 1.6 मिलियन से अधिक लोगों को रोजगार देता है। जिसमें कंपनी सिर्फ 1 प्रतिशत कर्मचारी को निकालने जा रहा है।

खर्चा घटा रही कई कंपनियां

अमेरिका और यूरोप जैसे कई बड़े देशों की अर्थव्यवस्थाओं में उतार चढ़ाव का दौर जारी है। जिसका सीधा असर बाजार की मांग और बड़ी कंपनियों की नौकरियों पर दिखाई दे रहा है। एक तरह से कंपनियां अपना खर्चा घटाने में जुटी हैं। कंपनी लागत को काबू करने के लिए अपने कर्मचारियों को नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा रही है।

कंपनी में बढ़ रहा रोबोट का इस्तेमाल

लागत कम करने के लिए मिशनन में अमेजन अब रोबोट का इस्तेमाल बढ़ाने की दिशा में कदम उठा रही है। मौजूदा समय में अमेज़न की ओर से डिलीवर किए जाने वाले लगभग 3 चौथाई पैकेट किसी न किसी रोबोटिक सिस्टम से होकर गुजरते हैं। अमेज़न रोबोटिक्स के चीफ टाई ब्राडी का कहना है कि अगले पांच साल में पैकेजिंग में 100 फीसदी रोबोटिक सिस्टम हो सकता है। हालांकि रोबोट कितनी जल्दी इंसानी कर्मचारियों की जगह ले लेंगे। अभी यह नहीं कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि काम जरूर बदलेगा लेकिन इंसान की जरूरत तो हमेशा ही रहेगी। कर्मचारियों की संख्या के लिहाज से दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी अमेजॉन इस दिनों कम बिक्री का सामना कर रही है। जिसके चलते न सिर्फ नई भर्तियों पर रोक लगा दी हैए बक्लि कर्मचारियों की छंटनी भी की जा रही है। इस दिग्गज ईण्कॉमर्स कंपनी का साथ ही कहना है कि अगले कई महीनों तक नए लोगों की भर्ती पर रोक जारी रहने की आशंका है।

कई कंपनियां कर रही है छंटनी

कई कंपनियां कर रही है छंटनी

दुनिया में सबसे ज्यादा कर्मचारी अमेरिका की रिटेल कंपनी वॉलमार्ट के पास हैं। रेवेन्यू के हिसाब से भ यह दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी है। इसमें 23 लाख कर्मचारी काम करते हैं। वॉलमार्ट ने भी हाल में दोसौ  कर्मचारियों की छंटनी की थी  नौकरी से निकाला था। इसे मंदी यानी तमबमेेपवद का संकेत माना जा रहा है। वहीं गूगल की पेरेंट कंपनी अल्फाबेट और फेसबुक की मूल कंपनी मेटा समेत दुनिया की कई टेक कपंनियां पहले ही हायरिंग बंद कर चुकी हैं। ट्विटर में बड़े पैमाने पर छंटनी हो रही है।

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एक शतक बाद सबसे बड़ी मंदी की आहट

बैंक ऑफ इंग्लैंड ने ब्रिटेन में 100 वर्षों में सबसे लंबी मंदी आने की चेतावनी देते हुउ कहा कि ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था बहुत ही चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रही हैं। गर्मी के मौसम  में शुरू हुई मंदी का दौर 2024 के मध्य तक चलने की आशंका जता जा रही है। अमेरिका में भी लगातार दो तिमाहियों में जीडीपी में गिरावट आई है। तकनीकी रूप से इसे मंदी कहा जाता है। यानी अमेरिका भी मंदी की चपेट में है। कनाडा की सरकार ने भी चेतावनी दी है कि अगले साल देश की इकॉनमी मंदी की चपेट में आ सकती है। ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने भी मंदी की आशंका जताई है। यूरोप के कई देशों में भी हालात ठीक नहीं हैं।

मंदी को रोकना मुश्किल भरा कदम

जिस तरह से लगातार कंपनियां बड़े पैमाने पर छंटनी कर रही हैं। उससे साफ इशारा मिल रहा है कि मंदी दुनिया की दहलीज पर पहुंच चुकी है। फेसबुक जैसी कंपनी पहली बार 12 हजार कर्मचारियों की निकालने की तैयारी में है। गूगल ने भी अपने खर्चों में कटौती करने और छंटनी की घोषणा की है। बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है। महंगाई चरम पर है। महंगाई को रोकने के लिए दुनियाभर के सेंट्रल बैंक ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर रहे हैं। इससे ग्रोथ प्रभावित हो रही है। ज्यादातर इकनॉमिस्ट्स का कहना है कि मंदी को रोकना मुश्किल है।

मंदी के पीछे कई कारण

मंदी के कई कारण हैं। इनमें इकॉनमी में तेजी लाने के मकसद से दिए गए आर्थिक पैकेज के नाम पर बेतहाशा खर्च तो है ही दुनिया को चीन की ओर से भेजे जाने वाली चीजों की सप्लाई चेन में रुकावट होना भी मंदी की बड़ी वजह है। तो वहीं यूक्रेन अैर रूस के बीच जारी जंग और दूसरी तमाम वजहों ने महंगाई को बड़ा दिया है। इस मंदी के कई भयावह परिणाम हो सकते हैं। निवेश का माहौल गड़बड़ाने के साथ ही खपत और लेनण्देन में कमी से कई कंपनियां बंद हो सकती हैं। नौकरियां कम होने की स्थिति में  लोग और कंपनियों के सामने  कर्ज चुकाने में डिफॉल्ट होने का खतरा बड़ जाएगा।

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