लखनऊ में रामचरितमानस जलानेवाले 8 पर एफआईआर तो दर्ज, लेकिन हिंदू धर्मग्रंथों का अपमान कब तक?

स्वामी प्रसाद मौर्य भी नामजद

रामचरितमानस पर सियासी महाभारत

उत्तर प्रदेश। लखनऊ में रामचरितमानस की प्रतियां फाड़ने और जलाने के मामले में आखिरकार एफआईआर दर्ज हुई है। यह एफआईआर स्वामी प्रसाद मौर्य समेत 10 लोगों और कुछ अज्ञात आरोपियों के खिलाफ दर्ज की गई है। प्राथमिकी लखनऊ के पीजीआई थाने में दर्ज कराई गई है। स्टेशन हाउस ऑफिसर (SHO) राजेश राणा ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा है कि उन्हें बीजेपी सदस्य सतनाम सिंह लवी से शिकायत मिली थी, जिसके आधार पर प्राथमिकी दर्ज की गई। आइए, पहले पूरा मामला बताते हैं-

मामला क्या था?

दरअसल, कुछ दिनों पहले सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस की कड़ी निंदा की थी। उनका कहना था कि रामचरितमानस में महिलाओं और कुछ जातियों का अपमान किया गया है। उनका कहना है, “गाली कभी धर्म का हिस्सा नहीं हो सकता। अपमान करना किसी धर्म का उद्देश्य नहीं होता।” मौर्य ने तो आगे बढ़कर रामचरितमानस को बैन करने की भी मांग कर दी।

मौर्य से पहले बिहार के नेता चंद्रशेखर यादव भी रामचरितमानस के बारे में भड़काऊ और अभद्र बयान दे चुके हैं। उसके बाद ही ओबीसी मोर्चा के पदाधिकारियों ने कल यानी 29 जनवरी को रामचरिमानस जलाने का काम किया है।

सबसे पहले अंबेडकर ने मनुस्मृति जलाई थी

25 दिसंबर 1927 को महाड़ सत्याग्रह के दौरान महाराष्ट्र के महाड़ गांव में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर ने अपने समर्थको के साथ मनु स्मृति को जलाया था। उस समय हिंदुओं में छुआछूत व्याप्त था और इसे समाप्त करने के लिए ही अंबेडकर ने मनुस्मृति को हिंदू कोड ऑफ कंडक्ट का प्रतीक मानते हुए जलाया था। उसी समय वीर सावरकर भी अपने स्तर से छुआछूत की समाप्ति के लिए प्रयास कर रहे थे और मोहनदास करमचंद गांधी भी।

अंबेडकर के पास जायज कारणों की एक शृंखला थी, हालांकि किताब का जलाना कोई उपाय नहीं है। खासकर इसलिए कि असली मनुस्मृति कहां है औऱ किसके पास है, यह भी किसी को नहीं पता। वैसे तो हिंदू धर्म के लिए आपस्तम्ब और याज्ञवल्क्य जैसे न जाने कितनी स्मृतियां हैं, लेकिन उनका मूल स्वरूप कहीं नहीं मिलता।

अब भी यह नहीं पता कि मौर्य के चेलों ने जो रामचरितमानस जलाया है, वह ए-फोर साइज के पेपर ही हैं या फोटोस्टेट कराए पन्ने। मनुस्मृति को जलाने के नाम पर इस तरह की बातें खूब होती हैं।

हिंदुओं के पूज्य प्रतीकों को अगर इसी तरह अपमानित किया जाता रहा, तो समाज में तनाव बढ़ेगा ही, घटेगा नहीं।

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