प्रयागराज। सार्वजनिक स्थानों यानी रेलवे स्टेशन, पार्कों, सड़कों इत्यादि से मजार और अन्य धार्मिक स्थलों को लेकर इलाहबाद हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। उसने केंद्र और राज्य सरकार को अवैध अतिक्रमण हटाकर उसकी जानकारी साझा करने को कहा है। कोर्ट में एक याचिका इस संदर्भ में दाखिल की गयी थी। याचिका पर जवाब देने के लिए 16 जनवरी तक का समय न्यायालय ने दिया है। अगली सुनवाी भी उसी तारीख को होगी।
- सार्वजनिक स्थलों पर धार्मिक स्थलों का अवैध तरीके से निर्माण हटे, कोर्ट ने कहा
- केंद्र और राज्य सरकार को 16 जनवरी तक का समय
- दो सदस्यीय खंडपीठ ने की सुनवाई
- यूपी में बहुतेरी जमीन पर इसी तरह किया गया है कब्जा
जन उद्घोष सेवा संस्थान और पांच अन्य ने यह याचिका कोर्ट में दाखिल की थी। इसकी सुनवाई चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस जेजे मुनीर की दो सदस्यीय खंडपीठ ने की। केंद्र और राज्य सरकार ने जवाब देने के लिए और समय मांगा, जिसे कोर्ट ने माना। कोर्ट ने 16 जनवरी की तारीख देते हुए केन्द्र-राज्य सरकार से अवैध अतिक्रमण हटाकर जानकारी देने को कहा है।
याचिका में की गई है ये मांग
जन उद्घोष सेवा संस्थान एवं पांच अन्य ने यह याचिका दाखिल की थी। इसमें याचियों का कहना है कि कानपुर, लखनऊ समेत प्रदेश के अन्य रेलवे स्टेशनों पर व पटरियों के किनारे बीच में भी मजारें बनी हुई हैं। सार्वजनिक स्थानों पर हुए इस प्रकार के निर्माणों से दुर्घटना की आशंका बनी ही रहती है। याचियों की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के वकील हरि शंकर जैन और विष्णु जैन ने बहस की।