यौन उत्पीड़न के मामले में कई दिनों से धरना दे रही महिला पहलवानों के मामले में एक नया मोड़ आ गया है। इसमें कांग्रस के अलावा यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की भी इंट्री हो गई है। इसी वजह से विवाद सुलझने के वजाय और उलझ गया है। अभी तक महिला पहलवान इस लड़ाई में राजनीति नहीं होने देने की कोशिश कर रहीं थीं,लेकिन नेताओं के बयान और भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण सिंह की सफाई से मामला राजनैतिक हो गया है।
सपा नेता की खुलकर की तारीफ
डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह लगातार कहते रहे हैं कि पूरा विवाद कांग्रेस की देन है। उन्होंने नाम लेते हुए यहां तक कह दिया कि कांग्रेस नेता दीपेंद्र हुड्डा ही इसके कर्ताधर्ता हैं। उन्होने न्यायपालिका पर भरोसा जताते हुए कहा कि जंतर मंतर पर प्रदर्शन करने से न्याय नहीं मिलता है कि इसके लिए पुलिस और कोर्ट में जाना पड़ता है। जब उनसे पूछा गया कि विरोध प्रदर्शन कर रही महिला पहलवानों के साथ कांग्रेस खुलकर सामने आ गई लेकिन सपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव नहीं आए। इस पर बृजभूषण सिंह ने स्पष्ट कहा कि मैं अखिलेशजी को मैं बचपन से जानता हॅूं। राज्य के 80 प्रतिशत पहलवान समाजवादी विचार से जुड़े हुए हैं वे सभी मुझे नेताजी कहते है।
अखिलेश का नाम आने के मायने
इधर यौन शोषण के आरोपी और भाजपा सांसद बृजभूषण सिंह ने अखिलेश यादव की तारीफ की तो सियासी हल्कों में इसके मायने निकाले जाने लगे। कहा जा रहा है कि अखिलेश का प्रदर्शन में न आने से भाजपा सांसद को लगता है कि उन्हे उनका अप्रत्यक्ष तौर पर समर्थन है। यदि भाजपा से कुछ बात बिगड़ती है तो और भी रास्ते खुल सकते है। लेकिन बड़ा सवाल यही है कि अखिलेश का प्रदर्शन से दूरी बनाना और दूसरी तरफ भाजपा के खिलाफ विपक्षी एकजुटता के लिए हामी भरने का मतलब है कि कहीं न कहीं दोहरा खेल चल रहा है। जबकि कांग्रेस ने खुलकर महिला पहलवानों का समर्थन किया है। फिर अखिलेश का दूर रहने के मायने तलाशे जा रहे हैं।
रेलवे व साईं पर भड़के भूषण सिंह
सांसद बृजभूषण ने कांग्रेस के अलावा सरकारी संस्थाओं को भी कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की। उन्होंने रेलवे बोर्ड और सांई पर सवाल उठाते हुए कहा कि कई खिलाड़ी ऐसे हैं जो रेलवे के अधिकारी और कर्मचारी है। धरना स्थल पर केन्द्र सरकार और प्रधानमंत्री के खिलाफ नारेबाजी हो रही है। ये खिलाड़ी किसकी अनुमति से प्रदर्शन में शामिल हुए हैं। यदि इन्होंने अनुमति नहीं ली है तो साईं ने अखाड़ों के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की? रेलवे ने भी अपने कर्मचारियों को कोई नोटिस नहीं दिया है।
प्रकाश कुमार पांडेय