किसी पार्टी का मुखिया और उनकी पत्नी एक साथ लोकसभा के लिए चुने गए हो यह करिश्मा इस बार समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल यादव ने कर दिखाया है। अखिलेश यादव अपनी परंपरागत लोकसभा सीट कन्नौज से चुनकर लोकसभा पहुंचे तो वहीं उनकी पत्नी डिंपल यादव मैनपुरी लोकसभा सीट से सांसद चुनी गई हैं। अखिलेश और डिंपल दोनों ही ने रिकार्ड मतों से जीत हासिल की है। डिंपल यादव तो समाजवादी पार्टी की ओर से जीतने वाले सभी 37 सांसदों में सबसे अधिक वोटों के अंतर से जितने वाली संसद हैं। जबकि अखिलेश यादव पार्टी में जीत के अंतर मामले में पार्टी में दूसरे नंबर पर हैं। यह भी अपने आप में एक अलग तरह का रिकॉर्ड है। जिसमें एक ही पार्टी में पति और पत्नी पहले और दूसरे नंबर पर बड़े अंतर से जीत हासिल करने वाले सांसद बने। ऐसे में लोकसभा की कार्रवाई जब 24 जून को शुरू होगी तब सदन में पति पत्नी दोनों एक साथ मौजूद रहेंगे। जिन पर सभी की निगाहें भी रहेंगी। दोनों पति-पत्नी की सीट भी सदन में पास पास होती है यह नजारा भी देखना दिलचस्प होगा।
- पार्टी के मुखिया और उनकी पत्नी एक साथ लोकसभा पहुंचीं
- सदन में भी एक साथ होंगे अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल यादव
- अखिलेश यादव कन्नौज से चुनकर लोकसभा पहुंचे
- डिंपल यादव मैनपुरी लोकसभा सीट से सांसद चुनी गईंं
- अखिलेश और डिंपल दोनों ही ने रिकार्ड मतों से जीत हासिल की
- डिंपल यादव सपा की सबसे अधिक वोट से जीतने वाली सांसद
- अखिलेश यादव पार्टी में जीत के अंतर मामले में दूसरे नंबर पर
पिछली लोकसभा में दोनों जीते चुनाव पर सदन में साथ नहीं थे
यह भी इत्तेफाक है कि पिछली बार 2019 में अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल यादव साथ-साथ चुनाव लड़े थे लेकिन सदन के सदस्य एक साथ निर्वाचित नहीं हुए वह एक साथ सदन पहुंचे नहीं सके थे। दरअसल अखिलेश यादव ने आजमगढ़ लोकसभा सीट से चुनाव लड़कर संसद की दहलीज पर कदम रखा था जबकि डिंपल यादव कन्नौज से चुनाव तो लड़ी थी। लेकिन हार गई थी।। हालांकि समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद मैनपुरी लोकसभा सीट जब खाली हुई तो डिंपल यादव वहां से उपचुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचीं। लेकिन उससे पहले अखिलेश यादव विधानसभा चुनाव में मैनपुरी की ही करहल विधानसभा सीट से विधायक चुन लिए गए थे। जब विधानसभा चुनाव के नतीजे आए तो समाजवादी पार्टी को विपक्ष की भूमिका निभाने पड़ी। ऐसे में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी निभाने के लिए अखिलेश यादव ने आजमगढ़ लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था। उनके इस्तीफा देने के करीब 10 महीने बाद डिंपल यादव मैनपुरी से उपचुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचीं थीं। इसी तरह 17वीं लोकसभा का सदस्य निर्वाचित होकर भी दोनों एक साथ सदस्य नहीं रहे थे।
सदन में नजर आयेगा सैफई का यादव कुनबा
इस बार एक संयोग यह भी है कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव न सिर्फ अपनी पत्नी डिंपल यादव के साथ लोकसभा में मौजूद रहेंगे बल्कि उनके तीन भाई भी सांसद के रूप में उनके साथ सदन में नजर आएंगे। बता दे सैफई परिवार के पांच सदस्य इस बार चुनाव जीत कर लोकसभा पहुंचे हैं। जिसमें कन्नौज से स्वयं अखिलेश यादव तो मैनपुरी से डिंपल यादव के अलावा आजमगढ़ लोकसभा सीट से धर्मेंद्र यादव और फिरोजाबाद लोकसभा सीट से अक्षय यादव, बदायूं लोकसभा सीट से आदित्य यादव चुनाव जीत कर संसद की दहलीज पर पहुंचे हैं। इस तरह परिवार के पांच सदस्यों के साथ लोकसभा में देश का सबसे बड़ा कुनबा नजर आएगा।
सदन में पिता और भाई के साथ भी रह चुके हैं अखिलेश
साल 2000 में उपचुनाव में जब पहली बार कन्नौज से अखिलेश यादव सांसद चुने गए थे। तब उसे समय उनके पिता स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव संभल लोकसभा सीट से संसद के रूप में उनके साथ लोकसभा में थे। इसके बाद 2004 के लोकसभा चुनाव में कन्नौज लोकसभा सीट से ही अखिलेश यादव और मैनपुरी लोकसभा सीट से उनके चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव लोकसभा पहुंचे थे। साल 2009 की बात करें तो लोकसभा चुनाव में भी अखिलेश यादव कन्नौज लोकसभा सीट से और बदायूं से धर्मेंद्र यादव चुनाव जीतकर सांसद बने थे। इसी तरह 2014 में पहली बार सैफई परिवार के पांच सदस्य लोकसभा में निर्वाचित हुए थे। जिसमें आजमगढ़ से खुद अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव मैनपुरी से कन्नौज से डिंपल यादव बदायूं से धर्मेंद्र और फिरोजाबाद से अक्षय यादव सांसद चुने गए थे। बाद में मुलायम सिंह यादव ने आजमगढ़ लोकसभा सीट को अपने पास रखते हुए मैनपुरी लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था। उसे समय मैनपुरी लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में यादव परिवार की तीसरी पीढ़ी के रूप में तेज प्रताप यादव चुनाव जीते और लोकसभा पहुंचे। उस दौरान अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हुआ करते थे।
2019 के लोकसभा चुनाव में परिवार से सिर्फ दो सदस्य ही लोकसभा पहुंचे। जिसमें मैनपुरी से मुलायम सिंह यादव और आजमगढ़ लोकसभा सीट से अखिलेश यादव सांसद चुने गए थे। बाकी के सदस्य चुनाव तो लड़े लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
दो बार सांसद रह चुके हैं पप्पू यादव और उनकी पत्नी
लोकसभा चुनाव के रिकॉर्ड पर नजर डालें तो इस बार जहां सपा अध्यक्ष अखिलेश और डिंपल यादव पति-पत्नी के रूप में चुने सदन में नजर आएंगे तो वहीं इससे पहले यह उपलब्धि बिहार की पप्पू यादव और उनकी पत्नी श्रीमती रंजना रंजीत रंजन के नाम दर्ज था। पप्पू यादव और रंजीत दोनों पति-पत्नी 2004 और 2014 में दो बार एक साथ चुनाव जीत का लोकसभा पहुंचे थे। हालांकि दिलचस्प बात यह भी है कि दोनों ही पति-पत्नी अलग-अलग पार्टी से चुनाव लड़े थे और जीते थे। इस बार भी पप्पू यादव निर्दलीय चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे हैं तो उनकी पत्नी रंजीता रंजन कांग्रेस के टिकट पर राज्यसभा की सांसद हैं। दोनों जोड़ी के तौर पर तीसरी बार संसद में तो होंगे लेकिन दोनों के सदन अलग-अलग होंगे। दोनों अलग-अलग सदनों के हिस्सा होंगे।