अखिलेश यादव ने नए डीजीपी को दी इस मामले में कार्रवाई करने की सलाह…जानें क्या है पूरा मामला…क्यों गरमा गई यूपी की सियासत
उत्तर प्रदेश के अमेठी ज़िले से एक विवादास्पद मामला सामने आया है। जिसने प्रदेश की कानून-व्यवस्था और पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर समाजवादी पार्टी Akhilesh Yadav को सवाल खड़े करने का मौका मिल गया। दरअसल मुसाफिरखाना कोतवाली के दरोगा हेम नारायण सिंह का एक ऑडियो क्लिप वायरल हुआ है। जिसमें वह कथित तौर पर किसी व्यक्ति को झूठे मुकदमे में फँसाने और खाली तमंचे के जरिए जेल भेजने की बात करते सुनाई दे रहे हैं। हालांकि liveindia.news इसकी पुष्टि नहीं करता है।
बता दें यूपी के अमेठी स्थित मुसाफिरखाना कोतवाली के दरोगा का एक ऑडियो क्लिप सामने आया है। इस आॅडिया में दरोगा बाबू हेम नारायण सिंह किसी को कथित तौर पर जेल में डालने के मकसद से खाली तमंजे की बात कर रहे हैं। वहीं इस पूरे मामले पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और सांसद अखिलेश यादव Akhilesh Yadavने राज्य के नए डीजीपी को प्रथम विभागीय कार्रवाई करने की सलाह दे डाली। उन्हेोंने राज्य के नए डीजीपी के लिए इसे सुनहरा अवसर करार दिया है।
यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव Akhilesh Yadavने अपने सोशल मीडिया एक्स पर दरोगा का ऑडियो क्लिप साझा करते हुए लिखा है कि ‘नए कार्यवाहक डीजीपी साहब के स्वागत में जारी। उत्तर प्रदेश की ईमानदार पुलिस का स्तुति संवाद!। इसके साथ ही अखिलेश ने नए डीजीपी को सलाह देते हुए लिखा कि न्यूकमर्स को पहली विभागीय कार्रवाई करने का यह सुनहरा अवसर नहीं छोड़ना चाहिए। बता दें वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी राजीव कृष्ण ने बीते दिन ही डीजीपी का कार्यभाल संभाला है।
नए डीजीपी की परीक्षा
राज्य के नए DGP राजीव कृष्ण ने हाल ही में कार्यभार संभाला है और यह मामला उनके कार्यकाल की शुरुआत में ही एक महत्वपूर्ण चुनौती बनकर सामने आया है। इस घटना ने न सिर्फ पुलिस विभाग की साख को झटका दिया है, बल्कि यह भी स्पष्ट किया है कि निचले स्तर पर कानून के दुरुपयोग की संभावनाएं अब भी मौजूद हैं।
कानूनी और प्रशासनिक पहलू
ऑडियो क्लिप की सत्यता की जांच और आरोपी दरोगा पर विभागीय कार्रवाई की माँग अब ज़ोर पकड़ रही है। अगर ऑडियो सत्य पाया जाता है तो यह पुलिस विभाग के लिए एक न्यायिक और नैतिक संकट बन सकता है। ऐसे मामलों में तुरंत कार्रवाई न होने पर विपक्ष को सत्तारूढ़ दल पर हमला करने का और अधिक मौका मिल सकता है। यह मामला न केवल यूपी पुलिस की निष्पक्षता पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि नए डीजीपी के लिए भी यह एक परीक्षण की घड़ी है। अखिलेश यादव की तीखी टिप्पणी और सोशल मीडिया पर हो रही बहस इस ओर इशारा करती है कि जनता अब पुलिस और प्रशासन की जवाबदेही को लेकर अधिक सजग है। आने वाले दिनों में देखना होगा कि डीजीपी राजीव कृष्ण इस मामले में क्या कदम उठाते हैं और क्या यह कार्रवाई वाकई एक मिसाल बनती है या फिर यह मामला भी पुरानी फाइलों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा।