अखिलेश नहीं मानते राहुल गांधी को अपना नेता तैयार कर रहे हैं तीसरा मोर्चा

 

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक बार फिर तीसरे मोर्चे की संभावनाओं को हवा दे दी है। तीसरे मोर्चे की इस उम्मीद का कारण राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा रही। दऱअसल अखिलेश यादव ने उत्तरप्रदेश में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के  न्यौते को ठुकरा दिया था। यही वजह है कि अब तीसरे मोर्चे को लेकर अटकलें तेज हो गई है। अखिलेश यादव का रहुल गांधी की यात्रा में शामिल न होना साफ तौर पर बताता है कि वो विपक्ष की उस साझा मुहिम का हिस्सा नहीं है जो कांग्रेस के अगुवाई में दूसरे क्षेत्रीय दलों को  एक साथ लाने के लिए की जा रही है। बीजेपी के खिलाफ एक साथ आकर ये लोग राहुल को अपना प्रधानमंत्री पद का दावेदार मानते हैं।

अखिलेश की ना के क्या हैं मायने

अखिलेश  यादव ने भारत जोड़ो यात्रा को न करके ने केवल ये जता दिया कि वो कांग्रेस के साथ किसी तरह के गठबंधऩ में नहीं है ब्लकि ये भी साबित कर दिया कि वो 2024 में तीसरे मोर्चे के साथ मैदान में हो सकते है। अखिलेश की ना से तीसरे मोर्चे की संभावनाओं को इसलिए भी बल मिल रहा है क्योंकि अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी एक प्रमुख दल है वो भी उत्तरप्रदेश का। उत्तरप्रदेश में बसपा ने पहले ही कांग्रेस से दूरी बनाकर रखी है ऐसे में अगर समाजवादी पार्टी ने भी कांग्रेस का साथ नही दिया तो तीसरा मोर्चा फिर से तैयार हो सकता है क्योकिं उत्तरप्रदेश वो राज्य है जहां 543 में से लोकसभा की 80 सीटें आती है। मतलब साफ है कि दिल्ली का रास्ता उत्तरप्रदेश होकर गुजरता है ऐसे में वहां के एक प्रमुख क्षेत्रीय दल का राहुल को साथ न देने कई नए राजनैतिक गठबंधऩ की ओर संकेत देता है।

तीसरा मोर्चा खो चुका है अस्तित्व

तीसरे मोर्चे का स्वरूप 1996 में तैयार हुआ था। कांग्रेस के पास लीडरशिप नहीं थी बीजेपी बड़ा दल बनकर तो उभरती थी लेकिन सरकार के बहुमत के आंकड़े को नहीं छू पाती थी। हालाकि तीसरा मोर्चे जल्दी ही खत्म हो गया लेकिन हर चुनावों के पहले तीसरे मोर्चे का जिन्न बोलत से निकलता है। इसके साथ साथ अब 2021 से संयुक्त विपक्ष भी तैयार हो रहा है लेकिन हर विधानसभा चुनावों में विपक्ष को संयुक्त कर पाना भी फेल होता है। बहरहाल देखऩा होगा कि 2024 में बीजेपी के खिलाफ संयुक्त विपक्ष खड़ा होता है या तीसरा मोर्चो कौन होगा जो बीजेपी को चुनौती दे सके।

आसान नहीं है सबको साथ लाना

कांग्रेस सभी विपक्षी दलों को एक करने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस भले ही लेटर लिखकर दूसरे दलों को बुला रही हो लकेिन अभी किसी दल ने आने के लिए सहमति नहीं दी।  हांलाकि पिछले दिनों कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ ने बयान दिया कि राहुल गांधी प्रधानमंत्री पद का चेहरा है। वही कमलनाथ के बयान पर नीतिश कुमार ने भी अपनी मुहर लगा दी थी।

 

 

 

 

 

 

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