रविवार को वैसे तो छुट्टी का दिन होता है, लेकिन महाराष्ट्र की राजनीति में ये दिन खासा उथलपुथल भरा रहा। रविवार को अजित पवार ने महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल होकर राज्य के नए डिप्टी सीएम पद की शपथ ली। इसके साथ ही शिवसेना से बगावत के बाद सीएम बनने वाले एकनाथ शिंदे के नक्शेकदम पर चलते हुए अब एनसीपी पर दावा किया है। अजित पवार ने राज्यपाल रमेश बैस को एनसीपी के 40 विधायकों की सूची सौंपी है। बता दें राज्य विधानसभा में एनसीपी के कुल 54 विधायक हैं। ऐसे में अजित पवार अपने समर्थक इन 40 विधायकों के दम पर जल्द ही एनसीपी के नाम और चुनाव निशान पर कब्जा करने की कोशिश करते नजर आ सकते हैं। इसके लिए वे चुनाव आयोग में अर्जी पेश कर सकते हैं।
- एनपीसी पर कब्जा करने की कवायद में अजित पवार
- डिप्टी सीएम बनने के बाद एनसीपी अध्यक्ष की कुर्सी पर नजर
- 40 विधायकों ने साथ दिया तो हो सकता है बड़ा उलटफेर
- छोड़ना पड़़ सकता है वार को अध्यक्ष पद
54 में से 40 विधायकों के साथ होने का दावा
दरअसल डिप्टी सीएम बनने के बाद अजित ने कहा कि उनके साथ पार्टी के 53 में से 40 विधायक हैं। जो एक तिहाई से ज्यादा है। अजित ने उन्होंने एनसीपी छोड़कर शिवसेना बीजेपी से हाथ नहीं मिलाया बल्कि एनसीपी के तौर पर ही यह कदम उठाया है और सभी वरिष्ठ नेताओं को भी इस परे मामले की जानकारी दे दी है। अजित ने कहा लोकतंत्र में बहुमत को महत्व दिया जाता है। एनसीपी 24 साल पुरानी पार्टी है और अब युवा लीडरशिप को आगे आना चाहिए। बता दंे ऐसे में पार्टी पर अधिकार को लेकर अजित पवार गुट चुनाव आयोग में दावा कर सकता है, क्योंकि उनके साथ 40 विधायक हैं। अगर ऐसा हुआ तो एनसीपी के संस्थापक शरद पवार को पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ना पड़ सकता है।
एनसीपी ने की विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग
वहीं अजित पवार की बगावत के बाद एनसीपी किसकी होगी इसे लेकर खींचतान शुरू हो गई है। डिप्टी सीएम अजित और उनके साथ मंत्री पद की शपथ लेने वाले 8 विधायकों को एनसीपी ने नोटिस दिया है। इन सभी बागियों को डिस्क्वॉलिफाई करने के लिए विधानसभा के स्पीकर राहुल नर्वेकर के पास याचिका दाखिल कर दी है। चुनाव आयोग को भी पत्र लिखा गया है। इसमें कहा है कि एनसीपी की कमान शरद पवार के हाथ में है। शरद पवार ने 1999 में पार्टी की स्थापना की थी। अजित पवार की पार्टी पर दावे से जुड़ी कोई भी अपील पर कार्रवाई करने से पहले उनके पक्ष को भी सुना जाए। इस बीच एनसीपी की ओर से जितेंद्र आव्हाड को विधानसभा में विपक्ष का नेता और मुख्य सचेतक ;नियुक्त किया गया है। इससे पहले यह पद अजित पवार के पास था। एनसीपी नेता जयंत पाटिल ने बताया कि उन्होंने डिस्क्वॉलिफिकेशन की एक याचिका विधानसभा स्पीकर के पास दाखिल की है। इन 9 विधायकों ने किसी को नहीं बताया कि वे पार्टी को छोड़ने वाले हैं। ये एनसीपी के खिलाफ है। जयंत पाटिल ने चुनाव आयोग को भी एक पत्र लिखा है। उनका कहना है इन 9 विधायकों के रवैये को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हालांकि यह भी विश्वास है कि ये सभी विधायक एनसीपी में लौट आएंगे। पाटिल ने कहा अगर ये विधायक वापस आते हैं, तो पार्टी उन्हें स्वीकार कर लेगी।