कौन हैं अजय राय जो हमेशा लड़ते हैं मोदी के खिलाफ चुनाव

कौन हैं अजय राय जो हमेशा लड़ते हैं मोदी के खिलाफ चुनाव

लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस उम्मीदवारों की चौथी सूची जारी कर दी है। जिसमें कांग्रेस ने एक बार फिर वाराणसी लोकसभा सीट से अजय राय को टिकट दिया है। पिछली बार 2019 और इससे पहले 2014 में भी
अजय राय लोकसभा चुनावों में पीएम मोदी को चुनौती देते नजर आए थे। हालांकि दोनों बार के चुनाव में उन्हें करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि अजय राय वाराणसी से हार ही हैट्रिक लगाते हैं या नतीजा कुछ बदला हुआ होगा।

अजय राय हैं वाराणसी में कांग्रेस प्रत्याशी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ फिर कांग्रेस ने उतारा
बीजेपी से ही थी अजय राय ने राजनीतिक करियर की शुरुआत
अभाविप में रहकर उन्होंने राजनीति का ककहरा सीखा
1996 में बीजेपी के टिकट पर कोलासला विधायक चुने गये
साल 2009 में अजय राय ने छोड़ दी थी भाजपा
वाराणसी से टिकट न मिलने पर छोड़ी थी भाजपा
मुरलीमनोहर जोशी के खिलाफ लड़े थे वाराणसी से पहला चुनाव
जोशी के सामने मिली थी अजय राय के करारी हार
अगस्त 2023 में कांग्रेस ने बनाया था अजय राय को प्रदेशाध्यक्ष
बृजलाल खाबरी को हटाकर अजय राय बने थे यूपी कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष
दो बार वाराणसी से लड़ चुके हैं लोकसभा का चुनाव
2014 और 2019 में दोनों ही बार मिली करारी हार

कांग्रेस ने शनिवार देर रात लोकसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों की अपनी चौथी लिस्ट जारी कर दी। इस लिस्ट में कांग्रेस ने यूपी की वाराणसी लोकसभा सीट से अजय राय को उम्मीदवार बनाया है। वे एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारे हैं। पिछली बार दो लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से अजय राय को वाराणसी से पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ाया गया था। दोनों ही चुनावों में अजय राय को करारी हार मिली थी। ऐसे में जानते हैं अजय राय आखिर कौन हैं। कांग्रेस जिन पर बार बार हार के बाद भी भरोसा जताया। कांग्रेस ने तीसरी बार फिर उन्हें वाराणसी से पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव मैदान में उतार दिया है।

वाराणसी से दो बार मोदी के खिलाफ लड़े चुनाव

लोकसभा चुनाव 2014 में अजय राय कांग्रेस के टिकट पर पहली बार वाराणसी में नरेंद्री मोदी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारे थे हालांकि उन्हें करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा। इस चुनाव में मोदी ने 5 लाख से अधिक वोटों से उन्हें परास्त किया। इसके बाद 2019 में भी वे वाराणसी से ही लोकसभा चुनाव में उतरे और एक बार फिर कांग्रेस के टिकट पर मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ा, लेकिन वाराणसी की जनता ने इस बार ​भी मोदी का साथ दिया और अजय राय को मुंह की खानी पड़ी। 2019 के चुनाव में भी उन्हें करीब 5 लाख से अधिक वोटों से हार का सामना करना पड़ा था।

बीजेपी में रहकर सीखा था राजनीति का ककहरा!

अजय राय का जन्म 7 अक्टूबर 1969 को यूपी के वाराणसी में ही हुआ था। आज अजय राय भले ही कांग्रेस के नेता हो लेकिन कभी उन्होंने ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत बीजेपी से ही की थी। बीजेपी की छात्र शाखा अभाविप में रहकर उन्होंने राजनीति का ककहरा सीखा। साल 1996 में पहली बार उन्होंने बीजेपी के टिकट पर कोलासला विधानसभा सीट से चुनाव भी लड़ा था। इस चुनाव में अजय रास ने 9 बार के CPI विधायक रहे उदल को करीब 484 वोटों के बहुत कम अंतर से चुनाव हराया था। इसके बाद साल 2002 और इसके बाद 2007 में हुए लोकसभा चुनाव में उन्होंने बहुजन समाज पार्टी प्रत्याशी अवधेश सिंह को बड़े अंतर से चुनाव हराकर सीट अपने पास बरकरार रखी थी।

2009 में किया बीजेपी को अलविदा

साल 2009 में अजय राय ने भाजपा को अलविदा कह दिया था। इसके पीछे का बड़ा कारण यह माना जा रहा था कि पार्टी ने उन्हें लोकसभा चुनाव में उन्हें वाराणसी से टिकट नहीं दिया था। टिकट न मिलने से खफा अजय राय इसके बाद समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। समाजवादी पार्टी ने अजय राय को वाराणसी लोकसभा सीट पर बीजेपी के मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा था। हालांकि जोशी जी ने
अजय राय को इस चुनाव में करारी शिकस्त दी।

सपा छोड़ थामा कांग्रेस का हाथ

यूपी में पांच बार विधायक रह चुके अजय राय साल 2012 में कांग्रेस से जुड़े थे। कांग्रेस का दामन थामने के बाद वे 2012 में ही पिंडरा विधानसभा क्षेत्र से विधानसभा चुनाव मैदान में उतरे और जीते। तब समाजवादी पार्टी के अखिलेश मिश्रा को उन्होंने करीब 27 हजार से अधिक वोटों से चुनाव में परास्त किया था। वहीं इसके पांच साल बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में अजय राय को बीजेपी के अवधेश सिंह से हार का सामना करना पड़ा था।

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