उत्तरप्रदेश के बाराबंकी में रहने वाले एक साधारण किसान के पास आज देश भर के किसान जाते हैं। ये किसान इनसे फसलों के ज्यादा मुनाफा कैसा कमाया जाए इसके गुर सीखते है। कभी गरीबी के कारण अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी नहीं कर पाने वाले किसान रामशरण वर्मा अब 150 एकड़ में खेती करते है। आइए जानते हैं कि राम शरण वर्मा किस तरह के एक्सपेरिमेंट करते हैं।
कैसी हुई सफलता की शुरूआत
रामशरण वर्मा के पास कभी पढ़ाई के लिए पैसे नहीं थे। उन्होंने केवल हाई स्कूल तक पढ़ाई की है। राम शरण वर्मा ने अपनी पुश्तैनी जमीन पर इतनी मेहनत की कि अब देश में उनके नाम की मिसाल दी जाती है। वो किसानों के लिए एक उदाहरण पेश करते हैं। राम शरण वर्मा के पास 6 एकड़ पुश्तैनी जमीन थी। रामशरण वर्मा ने उस जमीन पर फसलों को लेकर जितना एक्सपेरिमेंट किया जितनी मेहनत की फसल उतनी ही तेजी से बढ़ी और आमदनी दिन चुनी रात चौगुनी होने लगी। अब राम शरण के पास देशभर के कृषि वैज्ञानिक और किसान सलाह लेने आते हैं।
कैसे करते हैं खेती
राम शरण वर्मा अपने खेत में फसल चक्र का प्रयोग करते है। फसल चक्र मतलब कि किसी फसल को एक बार लगातार उसमें दूसरी बार दूसरी फसल लगाते है। अगर राम शरण अपने खेत में आलू लगाते हैं तो फिर 14 महीने आलू लगे रहने के बाद फिर किसी दूसरी फसल को कम से कम 90 दिन के लिए बोया जाता है ।राम शरण वर्मा ने खेती में कई तरह के एक्पेरिमेंट किए हैं। रामशरण वर्मा ने इन्ही प्रयोगों के जरिए आलू , टमाटर की फसल को तीन गुना तक ज्यादा पाया है। साथ ही इन सभी तकनीकी में कम से कम पानी की जरूरत होती है। आलू के लिए रामशरण जिस तकनीकी का इस्तेमाल करते हैं उसको 56 इंच का नाम दिया है। इस तकनीकी के कारण आलू का उत्पादन 40 प्रतिसथ बढ़ जाता है और पानी की जरूरत तीस प्रतिशत कम हो जाती है। वही टमाटर को स्केटिंग पद्धति से उगाया जाता है। इससे टमाटर का उत्पादन 200 क्विंटल से उछलकर 400-500 क्विंटल हो जाता है।
खेती की नई तकनीकी मौसम की मार से भी नहीं पड़ता फर्क
आमतौर पर देखा जाता है कि भारत के किसान की फसल मौसम की मार से खराब हो जाती है , लेकिन बाराबंकी के किसान राम शरण वर्मा की बात करें तो राम शरण वर्मा से आलू की खेती करते है उस पर मौसम की मार का भी फर्क नहीं पड़ता। इस नए प्रयोग में राम शरण वर्मा को बहुत फायदा हुआ। उन्होंने एक एकड़ में 250-300 क्विंटल तक आलू का उत्पादन किया। इस नए प्रयोग में आलू की खेती करने के दौरान राम शऱण वर्मा ने आलू के पैड को जमीन से कुछ ऊपर बनाए और उसके आसपास पानी निकलने के लिए नालियां भी तैयारी की यही वजह रही कि उनकी आलू की खेती को पानी से नुकसान नहीं हुआ। राम शरण के इस नए प्रयोग को उत्तरप्रदेश सरकार ने भी सराहा ।
बाराबंकी के हरख ब्लाक के दौलतपुर गांव के प्रगतिशील किसान राम सरन वर्मा आलू उत्पादन में कर रहे उत्कृष्ट कार्य, अन्य किसानों के लिए बने प्रेरणास्रोत#KisanKalyanUP pic.twitter.com/eagkYB94kO
— Kisan Kalyan Mission UP (@KisanKalyanUP) December 7, 2022
सलाह लेने आते है एक्सपर्ट
राम शरण वर्मा से खेती किसानी की सलाह लेने कई सारे कृषि वैज्ञानिक भी आते हैं। आसपास के तकरीबन 50,000 किसानों के रामशरण ने अपने साथ जोड़ रखा है। राम शरण का पद्म श्री मिला है और पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम खेती का जादूगर करते थे। इसके अलावा भी राम शरण वर्मा के पास कई छोटे बड़े अवार्ड हैं लेकिन उनकी खेती के प्रयोगों के आगे सभी छोटे है। रामशरण वर्मा को हाईटैक किसान के तौर पर जाना जाता है। आज इनकी आमदनी कम से कम तीन से चार लाख तक होती है।