भारत कृषि प्रधान देश है। समय के साथ लोग खेती का पुश्तैनी धंधा छोड़कर नौकरियां करने लगे। एक समय ऐसा आया कि देश के ज्यादातर नौजवान इंजीनियर बनने लगे। इनमें से कुछ ने इंजीनियरिंग छोड़ दी और इंजीनियरिंग छोड़ने के बाद देश के सबसे अमीर किसानों में उनकी गिनती होती है। हम बात कर रहे हैं. प्रमोद गौतम की। आइए बताते है प्रमोद गौतम की सफलता की कहानी कैसे वो बनें करोड़ों के टर्न ओवर के किसान
ऑटोमोबाइल इंजीनियर थे प्रमोद गौतम
प्रमोद गौतम नागपुर के रहने वाले हैं। नागपुर के पास उनका गांव है और उनके पिता किसान। कहते हैं कि भारतीय खेती मॉनसून पर निर्भर करती है। इसलिए खेती में मुनाफा जैसी बातें कभी किसान नहीं सोचते थे । यही कारण था कि किसान अपनी आने वाली पीढ़ी को किसानी कराने की बजाए इंजीनियर बनाना,सरकारी नौकरी कराना पसंद करते हैं। यही कारण रहा कि प्रमोद गौतम ने किसान का बेटा होकर ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग की। बहुत कोशिशों के बाद भी प्रमोद का मन इंजीनियरिगं में नहीं लगा फिर उसने 2006 में नौकरी छोड़ दी । नौकरी छोड़ने के बाद प्रमोद ने गांव का रूख किया। गांव मे प्रमोद ने पुश्तैनी काम खेती पर शुरूआत की।
पहले हुआ लाखों का घाटा
प्रमोद को खेती के काम में बहुत रूकावटें आईं। सबसे पहले तो प्रमोद को खेत में काम करने के लिए मजदूर नहीं मिलते थे। प्रमोद ने पहली फसल हल्दी औऱ मूंगफली की लगाई जिसमें जबरजस्त घाटा हुआ। उसके बाद प्रमोद समझ सके कि पांरपरिक खेती में उनके हिस्से में नुकसान ही आएगा।
प्रमोद से उस वक्त परिवार और गांव के लोगों ने नौकरी छोड़ने पर नाराजगी भी बताई। प्रमोद इस इस पर भी हिम्मत नहीं हारी।
प्रमोद ने खेती में किए कई एक्सपेरिमेंट
एक बार खेती में घाटा होनो के बाद प्रमोद को ये बात समझ आ गई कि पारंपरिक खेती उनको फायदा नहीं दे सकती। प्रमोद ने फिर पारंपरिक खेती को छोड़कर हार्टिकल्चर की तरफ रूख किया। प्रमोद ने फलों और सब्जियों को लगाना शुरू किया। प्रमोद ने फिर खेत में आम, अमरूद और संतरे जैसे फल लगाना शुरू कर दिए। इससे प्रमोद को ज्यादा रखरखाव नहीं करना पड़ा और वो कम मजदूरों के साथ बेहतर काम करने लगा। इसके बाद 2007-08 में फलों की खेती से प्रमोद को बहुत फायदा हुआ।
प्रमोद ने शुरू की दाल मिल
खेती में फलों को लगाने के साथ साथ प्रमोद ने दाल भी लगाई। दाल को बेचने के लिए दूसरे किसानों और प्रमोद को दूर तक जाना पड़ता था। ऐसे में किसानों का प्राफिट कम होता था। प्रमोद ने इसी के चलते दाल मिल लगाने का फैसला लिया। प्रमोद ने फलों के साथ साथ दालें लगाई और दाल मिल भी खोल ली। दाल मिल खुलने से आसपास के किसानों को भी फायदा हुआ। प्रमोद उनकी दाल को प्रोसेस करके देता औऱ किसानों से ही कहता कि वो बाजार में बेच आए। इससे किसानों को भी प्राफिट होने लगा। प्रमोद का कहना है कि पारंपारिक खेती से कुछ हटकर करना होगा और जो किताबों में पढ़ाया जाता है उस थेवरी के आधार पर खेती नहीं की जा सकती इसके लिए प्रैक्टिकल होना पडेगा।
सालाना दो करोड़ टर्न ओवर के साथ बने देश के अमीर किसान
अब प्रमोद अपने खेत पर फलों से तकरीबन एक करोड़ कमा लेते हैं। इसके अलावा प्रमोद को दाल मिल से भी तकरीबन एक करोड़ का मुनाफा होता है। ऐसे में अब प्रमोद का टर्न ओवर दो करोड़ है। प्रमोद की मेहनत मिसाल है उन किसानों के लिए जो अपनी खेती से ज्यादा से ज्यादा लाभ कमाना चाहते हैं।