ज्ञानेश्वर बोड़के इनकी गिनती हिंदुस्तान के उन किसानों में ही है जो कम से कम जमीन पर ज्यादा से ज्यादा मुनाफा लाकर दिखा सकते हैं। ज्ञानेश्वर पुणे जिले के रहने वाले हैं। पुणे के मुल्सी तालुका के रहने वाले ज्ञानेश्वर का जन्म किसी परिवार में ही हुआ था। किसानी छोड़ने के बाद ज्ञानेश्वर किस तरह से वापस खेती से जुडे आइए बताते हैं आपको –
ज्ञानेश्वर ने छोड़ दी थी खेती
ज्ञानेश्वर बोड़के ने कभी खेती छोड दी थी। दसवीं तक पढाई करने के बाद ज्ञानेश्वर ने खेती शुरू की। पिता के साथ वो खेती किसानी के काम में हाथ बंटाया करते थे। खेती से इतना पैसा नहीं मिल पता कि परिवार का खर्चे चल सकें। परेशान होकर ज्ञानेश्वर ने खेती छोड़ दी।
बिल्डर के पास नौकरी करने लगे थे ज्ञानेश्वर
ज्ञानेश्वर ने परेशान होकर खेती छोड़ी और बिल्डर के पास नौकरी करने लगे। ज्ञानेश्वर को ऑफिस बॉय का काम मिला। ज्ञानेश्वर वो काम भी करने लगे। वहा सुबह 6 बजेस रात के 11 बजे तक ड्यूटी होती थी। ऑफिस बॉय की नौकरी भी ज्ञानेश्वर को रास नहीं आ रही थी।
किसान की स्टोरी से बदली जिंदगी
ज्ञानेश्वर ने इस दौरान एक न्यूज पेपर में किसान की सफळता की स्टोरी पढ़ी। किसान की स्टोरी से ज्ञानेश्वर को प्रेरणा मिली औऱ उसने वापस गांव की तरफ लौटने का फैसला किया । ज्ञानेश्वर वापस अपने खेतों पर लौट आए ।
किसान की स्टोरी पढ़कर पॉलीहाउस की ट्रेनिंग ली
किसान की सक्सेस स्टोरी में पॉली हाउस कैसे इनकम का जरिया बनती है ये बताया था । उस किसान ने एक हजार स्केवयरफीट में खेती करते बाहर लाख रूपए कमाए थे। इसी को पढ़कर ज्ञानेश्वर ने पूना आकर पॉली हाउस की ट्रेनिंग ली। लेकिन इस ट्रेनिंग से ज्ञानेश्वर को कुछ हासिल नहीं हुआ। ज्ञानेश्वर के फिर अफसरों के साथ रहकर पॉली हाउस की प्रेक्टिकल ट्रैनिंग ली और फिर अपने खेत में यही काम शुरू किया।
ज्ञानेश्वर ने शुरू किया फूलों पर काम
ज्ञानेश्वर ने फूलों पर काम शुरू किया। ट्रेनिंग के बाद वो गांव आए एक हजार वर्गफीट की जगह ली और पॉलीहॉउस में गुलानर और गुलाब का काम शुरू कर दिया। ज्ञानेश्वर ने बैंक से लोन लेकर ये काम शुरू किया और देखते देखते ज्ञानेश्वर को इतना फायदा हुआ कि दस लाख का लोन महीनों में चुका दिया।
अब ज्ञानेश्वर किसानों के लिए एक क्लब चलाते है। खेती के नए नए तरीके इस क्लब में सिखाए जाते हैं। इस क्लब से डेढ़ लाख किसान जुड़े हैं । इसमें महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, गुजरात, मध्यप्रदेश और कर्नाटक के किसान हैं इसका टर्न ओवर 400 करोड़ रूपए हैं।