भारत से विवाद के बाद जस्टिन ट्रूडो की मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। आखिरकार उन्हें प्रधानमंत्री का पद छोड़ना पड़ा। अब जबकि जस्टिन ट्रूडो ने अपना पद छोड़ दिया है। कनाडा में ट्रूडो की सत्ता से जाने के बाद से भारत और कनाडा के बीच संबंधों में सुधार की संभावना भी बढ़ गई हैं। दरअसल संभावना जताई जा रही है कि पियरे पोइलीव्रे कनाडा के अगले प्रधानमंत्री बन सकते हैं। इस संभावना के बीच दावा किया जा रहा है कि वे भारत के साथ रिश्ते सुधारना चाहते हैं।
बता दें नये सियासी हालात के बीच कनाडा में इस साल चुनाव होंगे। जिसके बाद कंजर्वेटिव नेता पियरे पोइलिवरे के वहां के पीएम बनने की उम्मीद बढ़ गई है। पोइलिवरे अक्सर भारत के साथ संबंध सुधारने की बात कहते रहे हैं।
लिबरल पार्टी करती रही अच्छे संबंधों की वकालत !
ट्रूडो की पार्टी लिबरल पार्टी की ओर से 2015 में अपने चुनाव अभियान के दौरान भारत के साथ घनिष्ठ व्यापारिक संबंधों का आह्वान किया गया था। हालांकि जब वे सत्ता में आए तो इसके बाद ट्रूडो की सरकार हार्पर की नीति को औश्र आगे बढ़ाने में लगभग नाकामयाब रही। इस बीच 2018 में ट्रूडो ने रिश्तों को आगे बढ़ाने की मंशा से भारत की यात्रा भी की लेकिन यह यात्रा विवादों से घिर गई। दरअसल 1986 में एक भारतीय मंत्री की हत्या के प्रयास के दोषी जसपाल अटवाल को कनाडाई उच्चायोग की ओर से रात्रिभोज के लिए निमंत्रण दिया गया था। इसके बाद भारत से उनके संबंध बिगड़ते गये।
भारत से पंगा लेने के बाद फंसे ट्रूडो
अपनी ही लिबरल पार्टी के घेरे में फंस चुके जस्टिन ट्रूडो पर बड़ा आरोप है कि उन्होंने गिरती अर्थव्यवस्था और पार्टी में असंतोष समेत कनाड़ा में बढ़ती घरेलू चुनौतियों से ध्यान हटाने के लिए ही भारत के खिलाफ आरोपों का उपयोग किया।
दरअसल, पिछले साल दिसंबर में कनाडाई वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने जस्टिन ट्रूडो के साथ नीतिगत टकराव के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। यह ट्रूडो सरकार के लिए एक बड़ा झटका था। क्रिस्टिया दरअसल ट्रूडो के अमेरिकी टैरिफ से निपटने के तरीके और उनकी आर्थिक रणनीति को लेकर नाराज थीं। क्रिस्टिया के इस्तीफे के बाद से ही जस्टिन ट्रूडो पर भी पीएम का पद छोड़ने का दबाव बढ़ रहा था।। यहां तक की सीन केसी और केन मैकडोनाल्ड सहित बरल पार्टी के कई कई बड़े सांसदों ने भी जस्टिन ट्रूडो को सार्वजनिक तौर पर अपना पद छोड़ने को कहा था।