राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ऐसे तो हमेशा ही सुर्खियों में रहते हैं, लेकिन मुस्लिमों के बाद ब्राम्हण पंडितों पर ताजा बयान के बाद हर जगह उनकी ही चर्चा हो रही है। संघ प्रमुख मोहन भागवत संत रविदास की जयंती पर मुंबई में एक कार्यक्रम में बोल रहे थे जहां उन्होंने कहा कि जाति भगवान ने नहीं बनाई है। जाति पंडितों ने बनाई जो गलत है। भगवान के लिए हम सभी एक हैं। हमारे समाज को बांटकर पहले देश में आक्रमण हुए। फिर बाहर से आए लोगों ने इसका फायदा उठाया। बता दें पिछले दिनों दिल्ली में एक मीडिया संस्थान को दिए साक्षात्कार में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि हिन्दू हमारी पहचान, राष्ट्रीयता और सबको अपना मानने एवं साथ लेकर चलने की प्रवृति है। इस्लाम को कोई खतरा नहीं है। लेकिन हम बड़े हैं। हम एक समय राजा थे। हम फिर से राजा बने। यह छोड़ना पड़ेगा और किसी कोई भी छोड़ना पड़ेगा। बता दें राजनीतिक गलियारों में मंथन होने लगा है कि आखिर इस वक्त मोहन भागवत को इस तरह का बयान क्यों देना पड़ा। संघ प्रमुख के पिछले बयानों पर नजर डाली जाए तो लगता है संघ आने वाले लोकसभा चुनाव 2024 का एजेंडा सेट करने में जुटा है। संघ चाहता है कि चुनाव में हिन्दू ही नहीं मुस्लिमों के वोट भी हासिल हों।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत के ताजा बयानों से एक नई बहस छिड़ गई है। सामाजिक विश्लेषण के साथ ही राजनीतिक मायने निकालने की भी कोशिश की जा रही है। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों की ओर से प्रतिक्रियाएं आई हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि हिन्दू हमारी पहचान, राष्ट्रीयता और सबको अपना मानने एवं साथ लेकर चलने की प्रवृति है और इस्लाम को कोई खतरा नहीं है। लेकिन हम बड़े हैं, हम एक समय राजा थे। हम फिर से राजा बने। यह छोड़ना पड़ेगा और किसी कोई भी छोड़ना पड़ेगा। ऐसे में राजनीतिक गलियारों में मंथन होने लगा है कि आखिर इस वक्त मोहन भागवत को इस तरह का बयान क्यों देना पड़ा।
शिवाजी ने औरंगजेब से कहा था सब हैं ईश्वर की संतान
मोहन भागवत ने कहा कि काशी का मंदिर टूटने के बाद शिवाजी महाराज ने औरंगजेब को पत्र लिखा था। शिवाजी ने कहा कि हिन्दू हो या मुस्लिम, हम सभी हम ईश्वर की संतान हैं। आपके राज में एक के ऊपर अत्याचार हो रहा है। वह गलत है। सब का सम्मान करना आपका कर्तव्य है। अगर यह नहीं रुका तो तलवार से इसका जवाब दूंगा।
मांसाहार नहीं होगा तो कत्लखाने खुद बंद हो जाएंगे
मोहन भागवत ने दिसंबर माह में उज्जैन में सुजलाम अंतरराष्ट्रीय जल महोत्सव सम्मेलन में कहा था कि पशु हत्या पानी के व्यय को बढ़ाती है। उन्होंने कहा कि खाने की बात किसी पर लादी नहीं जा सकती। धीरे-धीरे मन बदलता है। अपने यहां मांसाहार करने वाले लोग संयम में रहकर ही मांसाहार करते हैं। कई लोग श्रावण मास में और गुरुवार को मांसाहार नहीं करते। ऐसे मांसाहारी हैं, तो भी भारतीय हैं। उन्होंने खुद को संयम की परत में रखा है। मैं उनका समर्थन नहीं कर रहा हूं और न निषेध कर रहा हूं। शाकाहार होना वैज्ञानिक दृष्टि से अच्छा है।
जात-पात का भेद अतीत की बात
अक्टूबर 2022 में भी एक कार्यक्रम के दौरान संघप्रमुख ने कहा कि जात-पात के भेद को अब खत्म कर देना चाहिए। उनका कहना है कि यह पुरानी चीजें है। इसे भूला देना चाहिए। आखिर संघ प्रमुख के कहने का तात्पर्य क्या है, और इससे क्या फायदा होगा।
एक हैं हिन्दू मुस्लिम
21 सितंबर 2021 को पुणे स्थित ग्लोबल स्ट्रैटेजिक पॉलिसी फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि हिंदुओं और मुसलमानों के पूर्वज एक ही हैं, और हमारी मातृभूमि और गौरवशाली अतीत हमारी एकता का आधार है।
40 हजार वर्षों से हमारा DNA एक, सभी के पूर्वज समान
16 नवंबर 2022 को छत्तीसगढ़ दौरे के दौरान अंबिकापुर में मोहन भागवत ने कहा था कि भारत में रहने वाला हर व्यक्ति हिंदू है और सभी के पूर्वज समान हैं। आज भले ही यह कहा जाए कि सब अलग-अलग हैं लेकिन विज्ञान कहता है कि 40 हजार साल से हमारा डीएनए (DNA) एक है। बता दें पूर्व में भी कई मंचों से संघ प्रमुख अखंड भारत की चर्चा करते हुए यह बात बोल चुके हैं। इस बार भी उन्होंने अखंड भारत का मतलब समझाया। उन्होंने कहा कि आज का विज्ञान डीएन मैपिंग की बात कहता है। 40 हजार साल पहले जो अखंड भारत था। वह काबुल के पश्चिम से छिंदविन नदी के पूर्व तक और चीन की ओर ढलान से श्रीलंका के दक्षिण तक जो मानव समूह हैं। सबका डीएनए 40 हजार वर्षों से एक है. यानी तभी से हम सबके पूर्वज एक समान हैं।
क्या मिशन 2024 पर है संघ की नजर
2024 में होने वाले आम चुनाव में महज 15-16 महीने ही रह गए हैं। बीजेपी चुनावी रणनीति बनाने में जोर-शोर से जुटी भी है। इस बार बीजेपी की मंशा उन सीटों पर जीत दर्ज करने की है। जिनपर 2014 और 2019 में पार्टी को हार मिली थी। ऐसे ही 160 सीटों की पहचान बीजेपी ने की है। उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल ये तीन ऐसे राज्य हैं जहां 50 से ज्यादा लोकसभा सीटों पर मुस्लिमों का प्रभाव बहुत ज्यादा है। बीजेपी 2024 में इन सीटों के समीकरणों को साधना चाहती है। इसके अलावा तेलंगाना, कर्नाटक, असम, जम्मू-कश्मीर और कुछ और राज्यों की मुस्लिम बहुल सीटों के गणित को साधना बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती है। 2019 के आम चुनाव में बीजेपी को देशभर के 90 अल्पसंख्यक बहुल सीटों में से 50 फीसदी सीटों पर जीत मिली थी। उसके बाद से बीजेपी को लगने लगा कि ऐसी सीटों पर मुस्लिमों के बीच अपना समर्थन बढ़ाकर प्रदर्शन को और बेहतर किया जा सकता है। ऐसे में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान को मिशन 2024 से भी जोड़ा जा रहा है।
कभी वेटनरी डॉक्टर, फिर बने पूर्णकालिक स्वयंसेवक
11 सितंबर 1950 को चंद्रपुर में जन्मे मोहन भागवत पेशे से पशु चिकित्सक और 2009 से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक का दायित्व संभाल रहे हैं। मोहन भागवत के पिता मधुकरराव भागवत चंद्रपुर क्षेत्र के संघ प्रमुख थे। साथ ही उन्होंने गुजरात के प्रांत प्रचारक के रूप में भी कार्य किया। चार भाई-बहन में सबसे बड़े मोहन भागवत ने अकोला से पशु चिकित्सा में पढाई पूरी की। 1975 में इमरजेंसी के दौरान भागवत पशु चिकित्सक का काम छोड़ पूर्णकालिक स्वयंसेवक बन गये। इसके बाद वह नागपुर और विदर्भ क्षेत्र के प्रचारक भी रहे। 1991 में वे आरएसएस के शारीरिक प्रशिक्षण कार्यक्रम के अखिल भारतीय प्रमुख बने और 21 मार्च 2009 को के.एस. सुदर्शन की जगह सरसंघचालक मनोनीत हुए। भागवत को सबसे कम उम्र में सरसंघचालक बनने का सम्मान हासिल है।