हिंडनबर्ग ग्रुप और अडाणी के बीच क्यों जारी है घमासान, आसान शब्दों में समझिए पूरा माजरा

क्यों आशंका में है बाजार

कुल 6 दिनों पहले एक समूह ने जो रिसर्च ग्रुप होने का दावा करता था, एक रिपोर्ट जारी की थी। उसके तुरंत बाद ही गौतम अडाणी की कंपनी औंधे मुंह तो नहीं गिरी, पर लड़खड़ाई जरूर। आज यानी 30 जनवरी को अडाणी समूह ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को भारत पर साजिश के तहत हमला बताया है। ग्रुप ने 413 पन्नों का जवाब जारी किया। इसमें लिखा है कि अडाणी समूह पर लगाए गए सभी आरोप झूठे हैं। ग्रुप ने यह भी कहा कि इस रिपोर्ट का असल मकसद अमेरिकी कंपनियों के आर्थिक फायदे के लिए नया बाजार तैयार करना है।

अब समझिए कि हिंडेनबर्ग है क्या?

यह Hinderburg Research क्या है? क्या यह कोई Financial संस्था है? नहीं। क्या यह कोई Regulatory संस्था है? नहीं। क्या यह कोई कानूनी या सरकारी संस्था है? नहीं। तो, फिर यह है क्या? यह एक Short Selling करने वाली एक कथित Investor Activism करने वाली छोटी सी कंपनी है, जिसमें 2020 ईस्वी तक 5 ही कर्मचारी हुआ करते थे। US Securities and Exchange Commission (SEC) and Department of Justice इस तरह की short selling करके पैसे कमाने वाली कंपनियों के nexus की जांच कर रही है, जिसमें Hinderburg भी एक है।

अडाणी पर लगे आरोप निराधार

यह संस्था Invester activism के नाम पर Target Attack करती है। और, शेयर share बाजार चूंकि हमेशा sentiments पर चलता है तो कुछ भी Negative ख़बर आने पर बिकवाली शुरू हो जाती है, सामने वाले को नुकसान हो जाता है। अडानी पर आज तक कोई anti trust जैसे case नहीं लगे, जो असलियत मे मोनोपोली रोकने के कानून हैं। वहीं Microsoft, Google, Apple, और Facebook जैसों ने तो कई बिलियन ऐसे मामलों मे penalty मे चुकाये हैं…. आप उन्हें तो चोर नहीं बोलते?

अडाणी ग्रुप ने किया है पलटवार

अडाणी समूह ने जवाब में लिखा कि यह रिपोर्ट किसी खास कंपनी पर किया गया बेबुनियाद हमला नहीं है, बल्कि यह भारत पर किया गया सुनियोजित हमला है। यह भारतीय संस्थानों की आजादी, अखंडता और गुणवत्ता पर किया गया हमला है। यह भारत के विकास की कहानी और उम्मीदों पर हमला है। समूह ने कहा कि यह रिपोर्ट गलत जानकारी और आधे-अधूरे तथ्यों को मिलाकर तैयार की गई है। इसमें लिखे गए आरोप बेबुनियाद हैं और बदनाम करने की मंशा से लगाए गए हैं।

अभी पिक्चर बाकी है, मेरे दोस्त

कल 31 जनवरी का दिन ना सिर्फ अडानी group के लिए बल्कि भारतीय corporates के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। Share market sentiments से चलता है और कल सुबह शुरू के 2-3 घंटे यह तय करेंगे कि ऊँट किस करवट बैठने वाला है।
अडानी ग्रुप Hindenburg का सबसे बड़ा और ताजा शिकार है, हालांकि कुछ फर्क जरूर हैं, जैसे
1. अडानी group की credit ratings बढ़िया हैं
2. अडानी का आज तक कोई default नहीं हुआ
3. अडानी group को विदेशो से अच्छा पैसे मिल रहा है। आप एक बार को SEBI या भारत सरकार पर सवाल उठा सकते हैं, लेकिन विदेश मे बैठी कोई वित्तीय संस्था ऐसे ही किसी को Billions नहीं देती… अडानी को दे रही हैं… जांच परख कर ही दे रही होंगी?
4. जो भी आरोप Hindenburg ने लगाए हैं.. उनमे से अधिकतर तथ्य Public Domain मे पहले से हैं।
5. अडानी ने अपने FPO का price घटाने से मना कर दिया है और इसे टालने से भी मना कर दिया है.
6. Research की रिपोर्ट मे बताये गए कई तथ्य गलत भी हैं
तो लड़ाई अभी बाकी है और लंबी भी

(मनीष शर्मा के इनपुट्स पर आधारित। मनीष शेयर मार्केट विशेषज्ञ हैं) 

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