संसद में हंगामा, आरबीआई की बैंकों से पूछताछ, आखिर अडाणी पर क्यों है इतना हंगामा बरपा?

बाजार पर विशेषज्ञ क्या कहते हैं

नई दिल्ली। अडाणी ग्रुप लगातार खबरों में है। लगभग 10 दिनों पहले अडाणी समूह के बारे में हिंडनबर्ग रिपोर्ट आई थी। इस रिपोर्ट में अडाणी पर ओवरवैल्यूड शेयर रखने, गलत जानकारी देने जैसे आरोप लगे, हालांकि कोई भी जानकारी ऐसी न थी जो पहले पब्लिक डोमेन में न हो या जो कॉरपोरेट्स न करते हों। अब लगता है, मामला हद से आगे गुजर गया है।

वीडियो मैसेज काम न आया

शेयर मार्केट में हालांकि इन कदमों से बात न बनी। अडाणी समूह के शेयर्स में 10% तक की गिरावट देखी गई। इस गिरावट को ही FPO वापस लेने की वजह माना जा रहा है। बुधवार देर रात अडाणी ग्रुप ने 20 हजार करोड़ रुपए के फुली सबस्क्राइब्ड FPO को रद्द कर इन्वेस्टर्स का पैसा लौटाने की बात कही थी। इसे माना गया था कि अडाणी अपने निवेशकों का नुकसान नहीं करना चाहते हैं। बुधवार को अडाणी एंटरप्राइजेज का शेयर 26.70% गिरकर 2179.75 पर बंद हुआ था।

हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर विपक्ष लामबंद

अडाणी ग्रुप पर हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों को लेकर पूरा विपक्ष एक हो गया है। कांग्रेस के साथ TMC, आम आदमी पार्टी, सपा, DMK, जनता दल और लेफ्ट समेत 13 विपक्षी पार्टियों ने राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के कमरे में मीटिंग की। इसके बाद 9 पार्टियों ने राज्यसभा में स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया।

विशेषज्ञों की राय

शेयर बाजार विशेषज्ञ रूपेश पाठक बताते हैं कि अगर रॉयटर्स वाली खबर सच है और आरबीआई ने बैंकों से रिपोर्ट मांगी है तो दे से ही सही लेकिन नियामक एजेंसीज अब जाग रही हैं। वह यह भी कहते हैं कि बाजार में बड़े निवेशकों का कोई खास नुकसान नहीं होगा और जो भी नुकसान होना है, वह छोटे निवेशकों का ही होगा, उनका ही कत्ल होगा, खून बहेगा।

रूपेश पाठक का मानना है कि अभी की घटनाओं से विदेशी निवेशक जरूर थोड़ा सोच में पड़ेगा और उतनी जल्दी भारत में निवेश करने से कतराएगा, क्योंकि अडाणी के नुकसान का मतलब कहीं न कहीं ये होगा कि भारत कॉरपोरेटाइजेशन के दौर में कहीं पीछे है और इसकी नियामक एजेंसियां ढीली पड़ती हैं। वह कहते हैं, -अडाणी ने पिछले कुछ वर्षों में बेहद तेजी से छलांग लगाई है, लेकिन आज भी वह भारत के लगभग हर क्षेत्र में मौजूद हैं। इससे इतना तो होगा ही कि उनके डूबने पर भारतीय इकोनॉमी को एक डेंट तो लगेगा ही।

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