जिसको लेकर पूरे देश में सियासत हुई, वही बिल 31 जुलाई को लोकसभा में पेश करेगी सरकार

केजरीवाल ने कई विपक्षी दलों का सहयोग और समर्थन मांगा

संसद के मानसून सत्र में केंद्र सरकार, जो बिल पेश करने जा रही है उसको लेकर पहले ही सियासी घमासान मच चुका है। दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार इस बिल का विरोध कर रही है और दूसरे दलों से समर्थन मांग रही है। कई दलों को आप को समर्थन दिया है तो कई तटस्थ रहे।

आप ने इसलिए किया था विरोध

अध्यादेश जारी होने से कुछ दिनों पहले सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की आप सरकार की सेवा से जुड़े मामलों का नियंत्रण प्रदान कर दिया था। लेकिन इस आदेश में पुलिस,सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि से जुड़े विषय शामिल नहीं थे। बता दें कि सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय से पहले दिल्ली सरकार के सभी अधिकारियों के स्थानांतरण और तैनाती उप राज्यपाल के नियंत्रण में थे।

केंद्र ने जारी किया था अध्यादेश

केंद्र सरकार ने 19 मई 2023 को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार संशोधन अध्यादेश जारी किया था। जिसमें कहा गया था कि राष्ट्रीय राजधानी लोकसेवा प्राधिकरण नाम का एक प्राधिकरण होगा,जो उसे प्रदान की गई शक्तियों का उपयोग करेगा और उसे सौंपी गई जिम्मेदारियों का निर्वहन करेगा।

कई राज्यों के सीएम ने किया समर्थन

केंद्र सरकार की तरफ से जब अध्यादेश जारी किया गया है तो आम आदमी पार्टी की सरकार को नागवार गुजरा। जिसके विरोध में आप के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कई विपक्षी दलों का सहयोग और समर्थन मांगा। इसके बाद केंद्र के इस अध्यादेश के खिलाफ मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा। इस विवाद को सुप्रीम कोर्ट ने पांच जजों की संविधान पीठ को सौंप दिया। इसी दौरान केजरीवाल ने बिहार पश्चिम बंगाल,झारखंड,तमिलनाडु के सीएम सहित कई विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात कर समर्थन मांगा।

31 जुलाई को संसद में पेश होगा बिल

दिल्ली अध्यादेश बिल 31 जुलाई को सुबह केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह संसद में पेश करेंगे। इससे पहले मंगलवार को पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस बिल को मंजूरी दे दी गई थी।

 

 

 

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