UP Nikay Chunav: उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव कुछ समय के लिए टलने के साथ ही यह भी तय हो गया है कि ओबीसी आरक्षण की पेंच को सुलझाकर ही चुनाव होंगे। इसके संबंध में ओबीसी आरक्षण के लिए यूपी सरकार ने पांच सदस्यीय आयोग का गठन किया है। इसकी अध्यक्षता रिटायर जज राम अवतार सिंह करेंगे और इस आयोग का कार्यकाल छह महीने का होगा।
- यूपी के निकाय चुनाव टले
- ओबीसी आरक्षण के लिए बना पांच सदस्यीय आय़ोग
- आरक्षण की गांठ सुलझाकर ही होगा चुनाव
- छह महीने के अंदर सुलझेगा मामला
यूपी के विशेष सचिव ने नोटिस जारी की है। इसमें कहा गया है कि राज्यपाल पद धारण करने की तारीख से अगले छह महीने के लिए पूर्व जज राम अवतार सिंह को उत्तर प्रदेश राज्य स्थानीय निकाय समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग का अध्यक्ष नियुक्त करते हैं। पूर्व आईएएस चौब सिंह वर्मा, पूर्व आईएएस महेंद्र कुमार, पूर्व अपर विधि परामर्शी संतोष कुमार विश्वकर्मा और पूर्व विधि परामर्शी बृजेश कुमार सोनी को सदस्य नियुक्त किया गया है।
आपको याद दिला दें कि इस ओबीसी आयोग के गठन से महज एक दिन पहले इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार की अधिसूचना के मसौदे को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि ओबीसी को आरक्षण दिए बगैर भी स्थानीय निकाय चुनाव कराए जा सकते हैं, लेकिन सरकार ने ओबीसी आरक्षण के मसले को सुलझाकर ही चुनाव कराने का फैसला किया।
बीजेपी-सपा में जुबानी जंग
कोर्ट के फैसले के भाजपा और समाजवादी पार्टी के बीच जुबानी जंग तेज हो गई। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने सपा पर तीखा प्रहार करते हुए बुधवार को दावा किया कि निकाय चुनाव में पिछड़ों को आरक्षण मिलना और सपा का सफाया होना तय है। मंगलवार को सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव ने राज्य के पिछड़ा वर्ग के मंत्रियों को ललकारते और उनकी भूमिका पर सवाल उठाते हुए ट्वीट किया था।
रामगोपाल यादव ने लिखा, “निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण खत्म करने का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण। उत्तर प्रदेश सरकार की साजिश। तथ्य न्यायालय के समक्ष जानबूझकर प्रस्तुत नहीं किए। उत्तर प्रदेश की 60 फीसदी आबादी को आरक्षण से वंचित किया। ओबीसी मंत्रियों के मुंह पर ताले। मौर्या (केशव प्रसाद मौर्य) की स्थिति बंधुआ मजदूर जैसी!”
जवाब में बुधवार को उप मुख्यमंत्री मौर्य ने ट्वीट किया। उन्होंने कहा, “निकाय चुनाव में पिछड़ों को आरक्षण मिलना और सपा का सफाया होना तय है।”