नीट भारत की सबसे बड़ी परीक्षाओं में से एक है. इसमें लाखों बच्चे डॉक्टर बनने का सपना लेकर बैठते है. लेकिन अगर यह सपना चाय की चुस्की से टूट जाएं तो आप क्या कहेंगे. सुनकर आप थोड़े हैरान हो जाएंगे, लेकिन ऐसा असल जिदंगी में हुआ है. दरअसल एक इनिविजिलेटर ने गलती से लड़की की एग्जाम शीट पर चाय फेंक दी जिससे उसका डॉक्टर बनने का सपना चकनाचूर हो गया. ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है, जब ऐसी कोई घटना सामने आई है. इस तरह की घटनाएं लगातार सामने आती है, जिन पर न तो सरकार कोई फैसला लेती है और न ही परीक्षा कराने वाली एंजेसी. अब बच्ची अपने भविष्य को बचाने के लिए हाईकोर्ट की शरण में पहुंची है
क्या है मामला ?
मामला राजस्थान के जयपुर का है, जहां 18 वर्षीय दिशा शर्मा पिछले महीने की 7 तारीख को अपने एग्जाम सेंटर पर नीट परीक्षा देने पहुंची थी. परीक्षा केंद्र में एक इनिविजिटलेटर चाय का कप लेकर बच्चों के बीच परीक्षक का काम कर रहा है.लेकिन तभी उस इनिविजिलेटर का कप हाथ से छूट गया और दिशा की ओएमआर सीट पर जा गिरा , जिससे उसके उत्तर मिट गए और 17 सवाल छूट गए. दिशा रोती बिलखती प्रिसिंपल के पास गई, लेकिन प्रिसिंपल ने भी कोई हस्तक्षेप नहीं किया. दिशा की किसी जगह सुनवाई नहीं हुई, इसलिए वो आखिर में थक हारकर हाईकोर्ट की शरण में पहुंची है.
कोर्ट की शरण में पहुंची दिशा
दिशा की किसी भी जगह सुनवाई न होने पर उसने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. कोर्ट ने भी उसकी याचिका पर संज्ञान लेते हुए NTA से दिशा की ऑरिजनल OMR शीट सहित पूरा रिकॉर्ड तलब किया है.साथ ही कोर्ट ने 04 जुलाई को स्कूल प्रिंसिपल को परीक्षा सेंटर से क्लासरूम के सीसीटीवी. फुटेज लेकर कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है.
यूपीएससी के रिजल्ट में भी हुई थी गलती
कुछ दिन पहले यूपीएससी के रिजल्ट में भी ऐसा ही एक अजीबोगरीब मामला सामने आया था. दरअसल यूपीएससी के रिजल्ट में दो लड़कियों के नाम, रोल नंबर और रैंक सेम थी. मामला मीडिया में आते ही वायरल हो गया था. दोनों लड़कियां अपने सिलेक्शन का जश्न मना रही थी, लेकिन सिलेक्शन किसका हुआ था, दोनों को ही नहीं पता था.
पहले भी कई बार हो चुकी है गलती
नीट भारत की सबसे बड़ी परीक्षाओं में से एक है. यह परीक्षा भारत के आने वाले डॉक्टर्स देती है. ऐसे में इस प्रकार की गलतियां बच्चों सहित देश के भविष्य को भी खतरे में डाल सकती है और ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है, जब ऐसी कोई घटना सामने आई है. इस तरह की घटनाएं लगातार सामने आती है, ऐसे में सवाल उठता है कि परीक्षार्थी मैनेजमेंट की गलतियों का कब तक खामियाजा भुगतते रहेंगे. ऐसी स्थितयों से निपटने के लिए सरकार और परीक्षा एंजेसियों को मिलकर कुछ नए नियम बनाने चाहिए, ताकि बच्चों का भविष्य बच सकें.