रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से चुनौतीपूर्ण होते जा रहे वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य और ऊंची ब्याज दरों पर दिए जा रहे ऋण की वजह से बढ़ते कर्ज संकट के बीच विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि भारत और नामीबिया जैसे देशों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग के लिए एकजुटता से कार्य करना चाहिए। यह जानकारी नामीबिया की राजधानी में हुई पहली भारत-नामीबिया संयुक्त आयोग की बैठक के समापन के अवसर पर विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने दी। जिसमें विदेश मंत्री के साथ नामीबिया के उप-प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री नेतुम्बो नंदी-नदैत्वाह शामिल हुईं। इस बैठक के बाद ट्वीट कर एस.जयशंकर ने कहा कि भारत और नामीबिया के बीच पहले संयुक्त आयोग की बैठक संपन्न होने पर खुशी हुई। भारतीयों के दिलों दिमाग में नामीबिया के लिए बेहद खास स्थान है।
द्विपक्षीय साझेदारी पर हुई व्यापक चर्चा
इस बातचीत में दोनों देशों की द्विपक्षीय साझेदारी पर विस्तृत रूप से चर्चा की। जिसमें ऊर्जा, बुनियादी ढांचा, वन्यजीव संरक्षण, व्यापार, निवेश, खाद्य सुरक्षा, डिजिटल, क्षमता निर्माण, रक्षा, स्वास्थ्य, कला, संस्कृति जैसे क्षेत्रों के अलावा लोगों के बीच परस्पर संबंध क्षेत्र शामिल हैं। महामारी के बाद उच्च ब्याज दरों के साथ ऋण संकट, तनावपूर्ण भू-राजनीतिक स्थितियों के अलावा जलवायु परिवर्तन की पारिस्थितिकी, आर्थिक और सामाजिक लागत ने स्वास्थ्य, आर्थिक, सामाजिक चुनौतियां पैदा की हैं। मुझे लगता है कि इन चीजों से आज मिलकर एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण अंतरराष्ट्रीय स्थिति पैदा की है।
विकासशील देशों पर पड़ता प्रभाव
जयशंकर ने यह भी कहा कि जब दोनों देशों की बैठक हो रही है तब वह दुनिया तथा उन चुनौतियों से बेखबर नहीं रह सकते। जिनका विभिन्न मामलों में अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था सामना कर रही है। यह चुनौतियां लोगों के जीवन पर असर डालती हैं। दुनिया में पिछले तीन-चार सालों में जो हो रहा है। उससे मुख्य तौर पर विकासशील देश और ग्लोबल साउथ पीड़ित हैं। हमें यह देखकर खुशी है कि नामीबिया ने राष्ट्रों के समुदाय में अपने उचित स्थान बनाया है। उन्होंने कहा, आज जब आप अपनी आजादी की 33वीं वर्षगांठ मना रहे हैं तो मैं आपको बता दूं कि हम आपका गौरव साझा करते हैं और आपकी प्रगति तथा सफलता की सराहना करते हैं।