ओडिशा के बालासोर में हुए रेल हादसे ने पूरे देश को दहला दिया है. हादसे में अब तक लगभग 300 लोगों ने अपनी जान गंवा दी है, जबकि 900 लोग गंभीर रूप से घायल है. हादसे के बाद से ही रेलवे की तकनीक और दावों पर गंभीर सवाल उठने शुरू हो गए है. लेकिन एक सवाल जिसका सभी जवाब ढूंढना चाहते है वो यह है कि क्या ये घटना रोकी जा सकती थी ? दरअसल कुछ महीनों पहले रेलवे ने दावा किया था कि वे ऐसा सिस्टम लाने जा रही है , जिससे रेल हादसे रूक जाएंगे. इस नई तकनीक का नाम कवच सिस्टम था, जो ट्रेनों को आपस में टकराने से रोकता. अब बालासोर हादसे के बाद सवाल उठ रहे है कि सरकार ने इन ट्रेनों में कवच सिस्टम क्यों नहीं लगाया ,अगर सरकार इन ट्रेनों में कवच सिस्टम लगा देती तो ऐसी घटना ही न होती.
क्या है ये कवच सिस्टम?
कवच भारतीय रेलवे द्वारा डेवलप किया गया स्वचालित सुरक्षा प्रणाली सिस्टम है. इस सिस्टम में इलेक्ट्रॉनिक और रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन फीचर है , जिससे रेलवे सिग्नल सिस्टम के साथ साथ पटरियों पर दौड़ रही ट्रेनों की स्पीड को भी कंट्रोल कर सकती है. इसकी मदद से अगर कोई दो ट्रेनों आमने – सामने आ जाती है तो इन्हें पहले ही सिग्नल मिल जाता है. रेलवे इसी सिस्टम की मदद से रेल हादसों को रोकने का प्लान बना रही है. ओडिशा में हुए ट्रेन हादसे में रेलवे अधिकारियों का कहना है कि ट्रेनो में कवच सिस्टम इंस्टॉल्ड़ नहीं है. अगर ये सिस्टम ट्रेनो में इंस्टॉल्ड़ होता तो शायद एक्सीडेंट नहीं होता.
कैसे काम करता है कवच सिस्टम ?
ऐसे समझिए कि जब किसी कारण से लोकोपायलट रेलवे के सिग्नल को जंप कर जाता है तो यह सिस्टम अपने आप एक्टिव हो जाता है और ट्रेन के ब्रेक्स को कंट्रोल करने लगता है. इसके साथ ही कवच सिस्टम सामने आ रही ट्रेन को अलर्ट भेजता है और दूसरी ट्रेन सामने आने से पहले ही एक निश्चित दूरी पर ही रूक जाती है.
कब इंस्टॉल होगा ट्रे्नों में कवच सिस्टम ?
रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने राज्यसभा में एक प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा था कि आने वाले समय में सिस्टम को अलग अलग स्टेजेस में इंस्टॉल किया जाएगा. अभी पहले स्टेज में साउथ सेंट्रल रेलवे के 1445 किलोमीटर रूट के साथ साथ 77 ट्रेनों में जोड़ा जा चुका है. बाकि रूटों पर भी इसे जोड़े जाने का काम तेजी से जारी है.