भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आतंकवाद के मुद्दे पर बड़ी बात कही है। उन्होंने आतंकवाद की फैक्ट्री चलाने वालों को न केवल लताड़ा बल्कि उन्हे हिदायत देते हुए ब्रिक्स के सदस्य देशों से आतंकवाद से निपटने के पुख्ता इंतजाम करने को कहा है। उन्होंने ब्रिक्स की बैठक में कहा कि’आतंकवाद का उसके सभी स्वरूपों और अभिव्यक्तियों में मुकाबला किया जाना चाहिए और आतंकवादी कृत्यों में शामिल लोगों को कभी भी माफ नहीं किया जाना चाहिए।’
आतंक के सभी स्वरूपों का मुकाबला करना होगा
पाकिस्तान बिना नाम लिए जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद का उसके सभी स्वरूपों और अभिव्यक्तियों में मुकाबला किया जाना चाहिए। किसी भी परिस्थिति में आतंकवादी कृत्यों में शामिल लोगों को कभी माफ नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा ‘अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए प्रमुख खतरों में से एक आतंकवाद है। सभी राष्ट्रों को इसके वित्तपोषण और प्रचार सहित इस खतरे के खिलाफ दृढ़ कदम उठाने चाहिए।’
पाकिस्तान को आतंकवाद का केंद्र बताया
विदेश मंत्री ने अतीत में पाकिस्तान को ‘आतंकवाद का केंद्र’ बताया है जहां हाफिज सईद, मसूद अजहर,साजिद मीर और दाऊद इब्राहिम जैसे कई आतंकवादियों ने पनाह ली है। उन्होंने अंतराष्ट्रीय स्थिति को चुनौतीपूर्ण करार देते हुए कहा कि वैश्विक वातावरण आज मांग करता है कि ब्रिक्स राष्ट्रों को प्रमुख समकालीन मुदृों पर गंभीरता से रचनात्मक और सामूहिक रूप से विचार करना चाहिए। विदेश मंत्री ने कहा कि ‘हमारी बैठक के जरिए एक मजबूत संदेश जाना चाहिए कि दुनिया बहुध्रुवीय है, यह पुनर्संतुलन कर रही है और पुराने तरीकों के साथ नयी स्थितियों से नहीं निपटा जा सकता है. हम परिवर्तन के प्रतीक हैं और हमें उसी के अनुसार कार्य करना चाहिए।’
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार
जयशंकर ने ब्रिक्स के सदस्य देशों से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सहित बहुपक्षीय संस्थानों में सुधार के लिए अपनी गंभीरता प्रदर्शित करने का आह्वान किया। भारत लंबे समय से सुरक्षा परिषद में लंबित सुधार की जोरदार वकालत करने में अग्रणी रहा है। विदेश मंत्री ने कहा, ‘दो दशकों से हमने बहुपक्षीय संस्थानों में सुधार की मांग सुनी है, लेकिन हमें लगातार निराशा ही हाथ लगी है। इसलिए, यह अनिवार्य है कि ब्रिक्स सदस्य देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सहित वैश्विक निर्णय लेने में सुधार के संबंध में गंभीरता प्रदर्शित करें।’जयशंकर ने कहा कि देश जिन समस्याओं का सामना कर रहे हैं उनके केंद्र में आर्थिक गतिविधियां हैं जो बहुत से देशों को कुछ देशों की दयादृष्टि पर छोड़ देती हैं। उन्होंने कहा, ‘यह उत्पादन, संसाधनों, सेवाओं या कनेक्टिविटी के संबंध में हो सकता है। स्वास्थ्य, ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा को प्रभावित करने वाले हाल के अनुभव केवल इस नाजुक स्थिति को उजागर करते हैं।’
ब्रिक्स में शामिल हैं ये देश
उभरती अर्थव्यवस्थाओं के समूह ब्रिक्स में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। इन देशों के विदेश मंत्रियों की गुरुवार की बैठक अगस्त में जोहानिसबर्ग में होने वाले ब्रिक्स के शिखर सम्मेलन से पहले हो रही है।