कर्नाटक में 10 मई विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होगा। इसके लिए प्रचार का शोर भी थम चुका है। अब कांग्रेस और बीजेपी में शिकायतों का दौर शुरु हो गया है। लेकिन इससे पहले स्थानीय मुद्दों बनाम हिंदुत्व की जंग शुरू हो गई है। कांग्रेस ने प्रभावी ढंग से स्थानीय मुद्दों को उठाया और चुनाव प्रचार में भाजपा सरकार की ओर से 40 प्रतिशत कमीशन के गबन का मुद्दा उठाने में सफल रही है। सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार की कांग्रेस जोड़ी ने अपने मतभेदों के बावजूद एक टीम के रूप में काम करते हुए कांग्रेस के प्रभुत्व को बढ़ाया है।
- कनार्टक विधानसभा चुनाव
- 10 मई को होगा मतदान
- चुनाव में छाए रहे बयान
- बीजेपी को मिला बजरंग बली का मुद्दा
- कांग्रेस ने भ्रष्टाचार को बनाया चुनावी मुद्दा
कनार्टक चुनाव के दौरान बीजेपी के लिए टिकट बंटवारे में बगावत, नेतृत्व को लेकर संशय, पुराने नेताओं के इस्तीफे और लिंगायत वोटों में बंटवारे जैसे मुद्दों ने नकारात्मक माहौल पैदा किया है। तो वहीं कांग्रेस ने बजरंग दल पर बैन की बात कर बीजेपी की उम्मीद जगा दी है। बीजेपी की उम्मीद अब बजरंग बली के मुद्दे से है। हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण पर टिकी है। मोदी-शाह-नड्डा ने उपरछपारी रैलियां कर बजरंगबली सहित अन्य मुद्दों पर हिंदुत्व का प्रचार कर भाजपा ने अपने कार्यकर्ताओं में जोश का संचार किया। कांग्रेस ने राज्य की बीजेपी सरकार के भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाया। बीजेपी के लिए टिकट बंटवारे में बगावत, नेतृत्व को लेकर संशय, पुराने नेताओं के इस्तीफे और लिंगायत वोटों में बंटवारे जैसे मुद्दों ने नकारात्मक माहौल पैदा किया है, लेकिन कांग्रेस ने बजरंग दल पर बैन की बात कर बीजेपी के लिए उम्मीद जगा दी है। बीजेपी की उम्मीद अब बजरंग बली का मुद्दा उठाकर हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण पर टिकी है। मोदी-शाह-नड्डा ने उपरछपारी रैलियां कर बजरंगबली सहित अन्य मुद्दों पर हिंदुत्व का प्रचार कर भाजपा कार्यकर्ताओं में जोश का संचार किया। बीजेपी को भी उम्मीद है कि बीजेपी-संघ गठबंधन ने दलितों, ओबीसी और आदिवासियों में घुसपैठ की है।
किसकी जीत किसकी हार,13 को किस्मत का फैसला
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी और उनके समर्थकों के लिए ये नाम ही काफी है। एक ऐसा नाम जो चुनावी जीत की गारंटी है। कर्नाटक चुनाव में अपनी पार्टी को सत्ता में बनाए रखने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जनता से सीधा संवाद करते रहे। उन्हें आश्वस्त करते हुए कि कैसे डबल इंजन सरकार इस क्षेत्र को प्रगति के नए पथ पर ले जाने के लिए दृढ़ संकल्पित है, लेकिन इसके लिए कर्नाटक के लोगों के समर्थन की आवश्यकता है। 10 मई को मतदान होना है, तो 13 मई को मत गणना होगी। यानी 13 मई को किस्मत का फैसला होगा। कर्नाटक चुनाव में प्रचार का उन्माद खत्म हो चुका है। विश्लेषकों का मानना है कि पीएम मोदी ने हवा की दिशा बदलने की पूरी कोशिश की है। यानी पानी की ऐसी आंधी जो बीजेपी की नैया डुबाने का खतरा पैदा कर रही थी। अब लगता है कि पीएम मोदी ने उस तूफान की दिशा बदल दी है। कर्नाटक में 224 विधानसभा सीटों के लिए मतदान होगा। जबकि कर्नाटक चुनाव के नतीजे 13 मई को आएंगे। अब देखना यह है कि कर्नाटक के रेगिस्तान में कौन विजयी होगा। इन सबके बीच एक बात की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है कि कर्नाटक में 38 साल से कोई भी पार्टी लगातार दो बार सत्ता में नहीं आई है। यहां हर 5 साल में सरकार बदल जाती है। बीजेपी ने दक्षिण भारतीय राज्य की इस राजनीतिक परंपरा को बदलने में भी जबरदस्त सफलता हासिल की है। पीएम मोदी ने कर्नाटक में खूब प्रचार किया। बीजेपी का मानना है कि इससे पार्टी को काफी फायदा होगा।
आचार संहिता के उल्लंघन पर आयोग सख्त
कर्नाटक में कांग्रेस और बीजेपी ने जमकर प्रचार किया। जिसमें कुछ नेताओं ने अपमानजनक बयान और आरोप लगाए। चुनाव आयोग ने भी संज्ञान लिया। भाजपा और कांग्रेस दोनों के खिलाफ कार्रवाई के संकेत दिए। आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप में चुनाव आयोग ने बीजेपी और कांग्रेस दोनों को नोटिस भेजा है। नोटिस में चुनाव आयोग ने कहा है कि सामान्य आरोप चुनाव का हिस्सा हो सकते हैं। विरोधी दल के बारे में कुछ विशिष्ट आरोप और दावों की पुष्टि होनी चाहिए। मतदाताओं के सही उम्मीदवार या पार्टी को चुनने के अधिकार को प्रभावित कर सकता है। इस बीच चुनाव आयोग ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को भी नोटिस भेजकर एक रैली में सोनिया गांधी के भाषण के हिस्से को लेकर स्पष्टीकरण मांगा।