बिहार की राजनीति में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रहीं हैं। कभी बाहुबली उनकी दिक्कत बढ़ाते हैं तो कभी उनकी सरकार पर लगे जुर्माने को लेकर उनकी घेराबंदी की जाती है। हाल का मामला एनजीटी का है। जिसने पर्यावरण को लेकर 4 हजार करोड़ का जुर्माना लगाया है। अब इस मामले में विरोधी दल नीतीश सरकार को घेर रहे हैं,जिसके कारण उनके लिए एक और मुसीबत खड़ी हो गई है।
जुर्माना बिहार के लिए बेहद शर्मनाक
एनजीटी द्वारा लगाए गए जुर्माने को ले नीतीश तेजस्वी की सरकार पर चौतरफा हमले शुरु हो गए है। विरोधी दलों का कहना है कि यह जुर्माना बिहार के लिए बेहद शर्मनाक है। 4 हजार करोड़ के जुर्माने की राशि आम आदमी की है। यदि बिहार सरकार थोड़ी सी सावधानी और सतर्कता रखती तो इस तरह की नौबत नहीं आती। प्रदेश के भाजपा अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने सीएम नीतीश पर हमला करते हुए कहा कि नगर विकास विभाग ने 2014 में 110 मैट्रिक टन ठोस कचरा प्रबंधन की स्वीकृति दी थी। लेकिन राज्य की नीतीश सरकार ने उस पर गंभीरता नहीं दिखाई। उन्होंने कहा कि केन्द्र की मोदी सरकार बिहार के लिए हर संभव मदद कर रही है इसके बाद भी कचरे का प्रबंधन नहीं किया जा रहा है। जिसका परिणाम यह हुआ कि एनजीटी को अंतत: चार हजार करोड़ का जुर्माना लगाना पड़ा।
नीतीश ने बिहार को रसातल में पहुंचाया
भाजपा नेता चौधरी ने बिहार सरकार को घेरते हुए कहा कि इस वक्त राज्य रसातल में जा रहा है और सीएम को इसकी कोई परवाह नहीं है। एनजीटी के सुझाव पर किस किस जगहों पर खाद बनाने में गीले कचरे का उपयोग करने के लिए बेहतर विकल्पों को तलाशना था लेकिन इस संबंध में अब तक कोई पहल नहीं की गई। इसका मतलब है कि सरकार पूरी तरह से लकवाग्रस्त हो गई है। उन्होंने कहा कि बिहार पर हर रोज 4072 मीट्रिक टन अशोधित कचने का प्रबंधन का बोझ है। राज्य में तरल अपशिष्ट उत्पादन और उपचार में 2,193 मिलियन लीटर प्रति दिन का अंतर बिहार के लिए काफी चिंताजनक है।
दो माह के भीतर भरना होगी जुर्माने की राशि
बता दें कि ठोस और तरल कचरे का ठीक से प्रबंधन नहीं किए जाने के मामले में एनजीटी ने 4 हजार करोड़ का जुर्माना लगाया है। इस पर भाजपा के चौधरी का कहना है कि एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एके गोयल की पीठ ने आदेश दिया है कि जुर्माने की रकम दो महीने के अंदर ‘रिंग-फेंस खाते’ में जमा कराई जाए। जमा की गई इस राशि से सीएस के निर्देशानुसार इसका उपयोग राज्य में केवल अपशिष्ट प्रबंधन के लिए किया जाना चाहिए।