छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी को एक बड़ा झटका लगा है। राज्य में आदिवासी वर्ग का प्रतिनिधित्व करने वाले नंदकुमार साय ने बीजेपी से इस्तीफा दे दिया है। इससे सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या छत्तीसगढ़ में अब आदिवासी वर्ग का बीजेपी से मोह भंग हो रहा है। बता दें दो बार के लोकसभा सांसद और 3 बार विधायक रह चुके नंदकुमार साय छत्तीसगढ़ के साथ ही अविभाजित मध्य प्रदेश के भी बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं, पार्टी से कई दिनों से नाराज चल रहे नंदकुमार साय ने आखिर इस्तीफा देकर बीजेपी के साथ करीब 4 दशक से अधिक पुराना अपना नाता तोड़ लिया और वे कांग्रेस में शामिल हो गए।
- दो बार सांसद और 3 बार विधायक रह चुके हैं साय
- नंदकुमार साय ने बीजेपी को कहा बाय
- आदिवासी नेता नेता थामा अब कांग्रेस का हाथ
- चुनाव से पहले नंदकुमार साय का बीजेपी से इस्तीफा
- भाजपा के साय कांग्रेस को भाए
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मौजूदगी में ली सदस्यता
आदिवासी नेता नंद कुमार साय ने रायपुर स्थित राजीव गांधी भवन में भारतीय जनता पार्टी को छोड़ कर कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली है। नंदकुमार साय ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी पहले अटल बिहारी वाजपेई और आडवाणी जी के समय में जैसी थी, अब वैसी नहीं रह गई है। उन्होंने कहा की कांग्रेस पार्टी में शामिल होने से पहले कांग्रेस के क्रियाकलापों का निरीक्षण किया और पाया कि राज्य के छोटे छोटे कस्बे अब शहर बन गए हैं। गौ माता को संरक्षण मिला है। सीएम भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य में विकास के कई काम हुए हैं।
बीजेपी में की गई मेरी छवि धूमिल करने की कोशिश—साय
नंदकुमार साय ने इस्तीफे की वजह का भी खुलासा किया है। उन्होंने लिखा है उनकी छवि धूमिल करने की कोशिश की जा रही है।। साय ने छत्तीसगढ़ बीजेपी प्रदेशााध्यक्ष को भेजे अपने इस्तीफे में लिखा है कि पार्टी के अस्तित्व में आने से लेकर अब तक उन्हें जो भी जिम्मेदारी दी गई। उसे पूरे समर्पण के साथ निभाया। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले कुछ साल में बीजेपी के भीतर उनकी छवि धूमिल करने की कोशिशें की गई हैं।जिससे वे आहत हैं। कद्दावर आदिवासी नेता साय ने अपने इस्तीफे में यह भी लिखा है कि उन पर झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं। उनकी गरिमा को लगातार ठेस पहुंचाई जा रही है। जिससे मैं बहुत आहत महसूस कर रहे हैं।
कांग्रेस का आरोप,आदिवासी विरोधी चेहरा बेनकाब
वहीं नंद कुमार साय के बीजेपी से इस्तीफा देने से कांग्रेस को बीजेपी पर हमला करने का एक और मौका मिल गया। छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने ट्वीट कर कहा है कि नंदकुमार साय के इस्तीफे ने बीजेपी का आदिवासी विरोधी चेहरा एक बार फिर बेनकाब कर दिया है। बीजेपी देश और प्रदेश की आदिवासी जनता का विश्वास पहले ही खो चुकी थी। अब उसके ही सर्वोच्च आदिवासी नेता ने भी बीजेपी के प्रति अविश्वास जता दिया। वहीं छत्तीसगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने नंद कुमार साय को कांग्रेस में शामिल होने का न्योता दिया है, जिसे साय ने सहर्ष स्वीकार कर लिया। मरकाम ने कहा कि बीजेपी ने लगातार आदिवासी नेताओं की उपेक्षा की। मरकाम ने विधानसभा चुनावों का उल्लेख करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में बीजेपी 2003 और 2008 के विधानसभा चुनाव में आदिवासी बहुल सीटों पर जीतकर ही प्रदेश की सत्ता में आई थी, लेकिन इसके बाद लगातार आदिवासी नेताओं की उपेक्षा की गई। वहीं सीएम भूपेश बघेल ने भी कहा नंद कुमार साय ने अपने साथ-साथ आदिवासियों के मन की बात भी कह दी है। बीजेपी आदिवासी_विरोधी है। बता दें सीएम बघेल ने अपने ट्वीट के साथ ही नंदकुमार साय के इस्तीफे के साथ लिखी गई चिट्ठी का भी उल्लेख किया है।
कांग्रेस पर आदिवासियों के अपमान का आरोप
वहीं नंदकुमार साय के पार्टी छोड़ने पर भाजपा में हलचल बढ़ गई। इस विषय पर बात करने के लिए भाजपा के पूर्व अध्यक्ष विष्णु देव साय ने प्रेस वार्ता की और निराशा जताते हुए कहा कि साय ने कांग्रेस की सदस्यता ले ली। यह भाजपा के लिए दुख का विषय है। साढ़े चार दशकों से भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें मान सम्मान दिया। जिन्होंने 45 साल कांग्रेस के खिलाफ आवाज उठाई। आज वही कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। विष्णुदेव ने कहा जिस कांग्रेस ने हमेशा से आदिवासियों का अपमान किया। आदिवासियों की केवल वोट बैंक के लिए इस्तेमाल किया, क्या वे नंद कुमार साय के साथ न्याय कर पाएंगे। विष्णु देव साय ने कहा है की ऐसी क्या बात होगी। जिससे नंद कुमार साय ने पार्टी छोड़ दी। इसके लिए वो उनसे बात चीत करेंगे।