बिहार के बाहुबली नेता आनंद मोहन सिंह पिछले कई दिनों से सुर्खियों में हैं। उनके लिए राज्य की नीतीश सरकार ने नियम बदला और उन्हे जेल से बाहर निकालने का रास्ता साफ कर दिया है। नीतीश के इस फैंसले से बसपा प्रमुख मायावती नाराज हो गईं। उन्होने लगातार दो ट्वीट करके बिहार की राजनीति में हड़कंप मचा दिया। बताया जा रहा है कि इस मामले को लेकर राज्य के कई मंत्रियों में भी बेचैनी बढ़ी है। संभावना है कि इस संंबंध में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी चर्चा की जाए।
बिहार के मंत्रीमंड़ल में कई दलित वर्ग के नेताओं को जगह मिली है। उन्हे मंत्री पद ही अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की बदौलत मिला है। मायावती ने जिस तरह से मामला उठाया है वो दलितों की राजनीति करने वाले नेताओं के लिए भी दिक्कतें खड़ी कर सकता है। बसपा प्रमुख ने अपने ट्वीट में लिखा है कि गोपालगंज में जिस आईएएस की निर्मम हत्या की गई है वो दलित समुदाय से आते हैं। उनकी हत्या के मामले में सजा काट रहे आनंद मोहन सिंह के लिए नियम बदलना और उन्हे जेल से बाहर निकालने का रास्ता साफ करना दलितों का अपमान है। उन्होने दो अलग अलग ट्वीट करके साफ कह दिया है कि दलित इस तरह से अपना अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे।
बिहार में लगभग 17 प्रतिशत दलित हैं
अगर बिहार की राजनीति में दलितों के दखल की बात करें तो इनकी अनदेखी करना आसान नहीं है। यदि अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति को मिला दें तो करीब 17 प्रतिशत के आसपास का इनका वोट बैंक है। ऐसे में इतने महत्वपूर्ण वर्ग को नाराज करना बिहार की नीतीश सरकार के लिए कोई फायदे का सौदा नहीं होगा। जिस तरह से मायावती ने नीतीश सरकार को आंखे दिखाई हैं उसके भी अपने संकेत हैं। माना जा रहा है कि एक तरफ उत्तरप्रदेश में माफियाओं पर शिकंजा कसा जा रहा है और दूसरी तरफ नीतीश सरकार बाहुबलियों को जेल से बाहर निकालने के लिए नियमों में बदलाव करने पर उतारु है। आम आदमी के बीच बाहुबलियों को संरक्षण देने वाला संदेश जाएगा। यदि इस तरह का संदेश आम मतदाता के मन में घर कर गया तो नीतीश की दिक्कतें बढ़ सकतीं हैं।
मायावती ने बताया दलितों का अपमान
मायावती ने अपने पहले ट्वीट में कहा कि ‘बिहार की नीतीश सरकार द्वारा, आन्ध्र प्रदेश (अब तेलंगाना) महबूबनगर के रहने वाले गरीब दलित समाज से आईएएस बने बेहद ईमानदार जी. कृष्णैया की निर्दयता से की गई हत्या मामले में आनन्द मोहन को नियम बदल कर रिहा करने की तैयारी देश भर में दलित विरोधी निगेटिव कारणों से काफी चर्चाओं में है।’उन्होंने अपने दूसरे ट्वीट कहा कि ‘आनन्द मोहन बिहार में कई सरकारों की मजबूरी रहे हैं, लेकिन गोपालगंज के तत्कालीन डीएम श्री कृष्णैया की हत्या मामले को लेकर नीतीश सरकार का यह दलित विरोधी व अपराध समर्थक कार्य से देश भर के दलित समाज में काफी रोष है। चाहे कुछ मजबूरी हो किन्तु बिहार सरकार इस पर जरूर पुनर्विचार करे।’
बिहार सरकार ने इस तरह बदले नियम
बिहार नीतीश सरकार जेल के मैन्युअल में बदलाव करके आनंद मोहन सिंह को जेल से निकालने का रास्ता साफ कर दिया है। बिहार में अब शासकीय अधिकारी की हत्या में दोषी करार दिए गए अभियुक्त का यदि जेल में अच्छा आचरण रहता है तो उसे रिहा किया जा सकता है। इसी नियम के बदलाव पर एक बार फिर विचार करने की मांग बसपा सुप्रीमो मायावती ने की है। बता दें कि जेडीयू के पूर्व सासंद आनंद मोहन सिंह एक बाहुबली नेता हैं और गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया की हत्या में उम्र कैद की सजा काट रहे हैं। फिलहाल वे पेरोल पर बाहर है और अपने बेटे की शादी की तैयारियों में व्यस्त हैं। न्यौता देने के बहाने सियासी संपर्क भी लगातार बढ़ा रहे हैं।