महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा फेरबदल हुआ है। चुनाव आयोग ने शिवसेना और पार्टी के चुनाव निशान धनुष बाण को लेकर बड़ा फैसला लिया है। चुनाव आयोग से एकनाथ शिंदे गुट को अब शिवसेना नाम मिल गया है। इतना ही नहीं चुनाव निशान के रुप में धनुष बाण पर भी अब एकनाथ शिंदे गुट का कब्जा होगा। बता दें चुनाव आयोग की ओर से आदेश जारी किया गया है। जिसमें पार्टी का नाम शिवसेना और पार्टी का प्रतीक धनुष बाण एकनाथ शिंदे गुट के पास ही रहेगा तो शिंदे गुट की बड़ी जीत माना जा रही है।
- 2022 में शिंदे ने की थी उद्धव से बगावत
- 35 से अधिक विधायक लेकर बनाया था अलग गुट
- महाविकास अघाड़ी सरकार से थी बगावत
- शिंदे की बगावत के बाद गिर गई थी उद्धव सरकार
- उद्धव ठाकरे को छोड़ना पड़ी थी मुख्यमंत्री की कुर्सी
- बीजेपी की मदद से एकनाथ शिंदे बने थे मुख्यमंत्री
- सीएम बनते बनते डिप्टी सीएम बने देवेन्द्र फडणवीस
- इसके बाद शुरु हुई थी पार्टी और चुनाव चिन्ह् की जंग
- इस जंग में हार गए उद्धव ठाकरे
बता दें चुनाव आयोग ने पाया कि 2018 में संशोधित किया गया शिवसेना का संविधान उसे नहीं दिया गया था। चुनाव आयोग के कहने पर स्वर्गीय बालासाहेब ठाकरे ने 1999 में पार्टी के संविधान में लोकतांत्रिक मानदंडों को जगह देने के लिए बदलाव किया था। जिसे नए संशोधन में हटाया गया था। चुनाव आयोग की ओर से यह भी देखा कि शिवसेना के मूल संविधान के अलोकतांत्रिक मानदंड जिसे 1999 में आयोग की ओर से स्वीकार नहीं किया गया। उसे गोपनीय तरीके से बदल दिया गया।
2022 में सरकार छीनी, 2023 पार्टी और निशान
बता दें महाराष्ट्र में सियासी भूचाल उस समय आया था जब जून 2022 में शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने तत्कालीन महाविकास अघाड़ी सरकार से बगावत का बिगुल फूंक दिया था। शिंदे अपने साथ शिवसेना के 35 से अधिक विधायकों को लेकर अलग हो गए थे। उन्होंने अपना गुट बना लिया था। जिससे महाराष्ट्र में सियासी भूचाल आ गया। दरअसल शिंदे महाविकास अघाड़ी को तोड़ने और बीजेपी से गठबंधन को फिर से स्थापित करने के पक्ष में थे। शिंदे ने वैचारिक मतभेद के साथ कांग्रेस और एनसीपी की ओर से किये गये अनुचित व्यवहार के चलते उद्धव ठाकरे से महा विकास अघाड़ी गठबंधन को तोड़ने का अनुरोध किया था, लेकिन उद्धव नहीं माने तो उन्होंने 35 से अधिक विधायकों के साथ अगल रास्ता अपना लिया। ऐसे में शिंदे की बगावत के बाद उद्धव ठाकरे को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। इतना ही नह उन्होंने महाराष्ट्र विधान परिषद से भी इस्तीफा दे दिया। इसके बाद एकनाथ शिंदे बीजेपी की मदद से महाराष्ट्र के 20वें मुख्यमंत्री और बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस डिप्टी सीएम बने थे।
सरकार बनाने के साथ शिवसेना पर थी शिंदे की नजर
इसके बाद जब शिवसेना और उसके चुनाव निशान को लेकर कानूनी दांव पेंच चले गए। जिसमें चुनाव आयोग ने शिवसेना का चुनाव चिह्न धनुष-बाण फ्रीज कर दिया। इस बीच अंधेरी ईस्ट विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुए। जिसमें एकनाथ शिंदे गुट ने दो तलवार और ढाल के निशान पर चुनाव लड़ा तो उद्धव ठाकरे गुट को जलती हुई मशाल चिह्न मिला था। इतना ही नहीं तब पार्टी का भी नाम दिया गया था। शिंदे गुट की पार्टी ‘बालासाहेबंची शिवसेना’थी तो ठाकरे गुट की पार्टी का नाम उद्धव बालासाहेब ठाकरे दिया गया।
ठाकरे गुट ने दायर की थी याचिका
बता दें उद्धव ठाकरे ने दिल्ली हाई कोर्ट में चुनाव आयोग के फैसले को लेकर पिछले साल नवंबर में याचिका दायर की थी। जिसमें धनुष-बाण का निशान लौटाने की मांग की गई लेकिन कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी।