राजस्थान में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होना है। इससे पहले वहां नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे गुलाब चंद कटारिया को नई जिम्मेदारी देकर असम का राज्यपाल बनाया गया है। ऐसे में मरुभूमि की सियासत में बवंडर उठने लगे हैं। इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा के बीच जमी सियासी बर्फ पिघलने लगी है। दोनों नेताओं के बीच दोस्ती की चर्चा सियासी गलियारे में तेज हो गई है। जिससे माना जा रहा है कि राजस्थान की सियासत में एक बार फिर हवा का रुख बदल रहा है।
- वसुंधरा राजे और किरोड़ लाल मीणा में कम हुई दूरियां
- बढ़ने लगी है दोनों के बीच सियासी मेल मुलाकात
- कटारिया को राज्यपाल बनाने के बाद बन रहे नए समीकरण
- राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष है गुलाब चंद कटारिया
- चुनावी साल में एकजुट होने लगे विरोधी
दरअसल चुनावी साल में सियासी नफा नुकसान को देखते हुए विरोधी फिर एकजुट होने लगे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा की अदावत जगजाहिर रही है। लेकिन अब दोनों नेताओं के बीच सियासी नरमी दिखाई दे रही है। जो कि उनके सियासी विरोधियों के लिए एक संकेत भी है। वसुंधरा राज और मीणा दोनों नेताओं की सालों बाद दोस्ती को लेकर सियासी गलियारों में जबरदस्त चर्चाएं हैं। बता दें किरोड़ी लाल मीणा को भीड़ जुटाने का लक्ष्य दिया गया था। जिसे उन्होंने बखूबी निभाया। दरअसल पूर्वी राजस्थान में किरोड़ी का खासा प्रभाव माना जाता है।
दौसा में हुई दोनों के बीच लंबी चर्चा
बता दें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौसा दौरे के दौरान माहौल बदला हुआ था। इसके बाद वसुंधरा राजे और किरोड़ी लाल मीणा के बीच लंबी चर्चा हुई। दोनों नेताओं के बीच कई मसलों को लेकर चर्चाएं हुई। इस चर्चा को लेकर सियासी गलियारों में अटकलें तेज हो गई हैं। जगजाहिर है कि पिछले दिनों किरोड़ी लाल मीणा के धरने का वसुंधरा राजे ने समर्थन किया था। राजे ने ट्वीट करते हुए कहा था कि किरोड़ी लाल मीणा अकेले नहीं है। हम सब उनके साथ हैं।
पूनिया से दूरी राजे से दोस्ती!
राजस्थान बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और किरोड़ी लाल मीणा की बढ़ती दूरियों के बीच वसुंधरा राजे से उनकी दोस्ती बढ़ रही है। इसके भी कई सियासी मायने हैं। पिछले दिनों किरोड़ी लाल मीणा ने पूनिया पर आरोप लगाया था कि वो पेपर लीक मामले में उन्हें पूनिया से प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते कोई सहयोग नहीं मिला। यहां तक कि पूनिया ने प्रदेशभर में धरने प्रदर्शन किये जाने की बात कही थी लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं। हालांकि बाद में किरोड़ी ने किसी भी तरह से कोई नाराजगी होनी की बात से पलट गए थे। पीएम नरेन्द्र मोदी की रैली के दौरान भी किरोड़ी लाल मीणा और सांसद जसकौर मीणा के बीच भी दूरियां देखने को मिली थी।
2013 में हुई थी राजे से किरोड़ी की अदावत
साल 2013 के विधानसभा चुनाव के समय किरोड़ी राजे से अदावत के चलते बीजेपी से अलग हो गए थे। हालांकि 2018 ने अपनी पार्टी का विलय बीजेपी में कर लिया था। लेकिन 2018 के चुनाव में बीजेपी को पूर्वी राजस्थान में भरी नुकसान हुआ था। पूर्वी राजस्थान के दौसा, सवाई माधोपुर, अलवर, धौलपुर, भरतपुर और करौली में बीजेपी का सूपड़ा साफ़ हो गया था। यह इलाके बीजेपी के लिए अब भी किसी चुनौती से कम नहीं हैं। ऐसे में वसुंधरा राजे और किरोड़ी की इन नजदीकियों के कई सियासी मायने भी हैं। इससे दोनों को कई सियासी लाभ भी मिलन की उम्मीद नजर आ रही है।
राजस्थान जल्द मिलेगा नया नेता प्रतिपक्ष
बता दें गुलाब चंद कटारिया नेता प्रतिपक्ष रहते हुए राज्यपाल नियुक्त हुए है। नेता प्रतिपक्ष बनने वाले नेता को लोग यहां मजबूत नेता के तौर पर देखते हैं। ऐसे में गुलाब चंद कटारिया के राज्यपाल नियुक्त होने से यहां पर एक नए नेता प्रतिपक्ष का चुनाव होगा। गुलाब चंद कटारिया राजस्थान के एक अकेले ऐसे नेता होंगे जो नेता प्रतिपक्ष रहते हुए राज्यपाल बनाए गए हैं। इसके पहले ज्यादातर जो राज्यपाल बने वो या तो यहां की राजनीति से दूर हो गए थे या उनकी यहां पर कोई सक्रियता ज्यादा नहीं बची थी। दरअसल अगले नेता प्रतिपक्ष के चेहरे से ही राजस्थान में इस साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनाव की दिशा तय होगी। वहीं बीजेपी ने इस बदलाव के जरिए उम्रदराज नेताओं की जगह नई पीढ़ी के नेताओं को आगे लाने यानि कि जनरेशन शिफ्ट के पैटर्न की एक शुरुआत का संकेत दिया है। इसी कड़ी में अब नए नेता प्रतिपक्ष पर सियासी गलियारों में कई तरह की अटकलें चल रही हैं।
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