लखनऊ। पहले भूमिका जान लीजिए। बिहार के एक नेताजी हैं, चंद्रशेखर यादव। अच्छे-भले चल रहे थे। अचानक एक दिन उनको कुछ सूझी। उन्होंने हिंदुओं के पूज्य ग्रंथ रामचरितमानस से कुछ पंक्तियां निकालीं, उनकी मनमानी व्याख्या की और खरीखोटी सुनाई। उनके ही एक मित्र हैं, यूपी में- स्वामी प्रसाद मौर्य। उन्होंने सोचा कि यादव कहीं आगे न निकल जाएं, तो उन्होंने रामचरितमानस को बैन करने का ही आह्वान कर डाला। उनके आह्वान को सुन समर्थकों में जोश आया और उन्होंने रामचरितमानस को फाड़ा, उसके पन्नों को जलाया। लखनऊ पुलिस ने उन पर मुकदमा दर्ज कर फिलहाल कुछ लोगों को हिरासत में ले लिया है। ये सब पिछले 15 दिनों की बात है।
रामचरितमानस पर विवाद
सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने स्वामी प्रसाद मौर्य से खुश होकर उनको अपने चाचा शिवपाल यादव के बराबर की जगह दी और उन्हे सपा का राष्ट्रीय महासचिव बना दिया। इससे गुस्साकर जब लोगों ने उनके पीतांबरी माता मंदिर जाने के दौरान उनका विरोध किया और काले झंडे दिखाए। गुस्साए अखिलेश यादव ने खुद को शूद्र घोषित कर दिया और कहा कि वे तो सदन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से ही पूछेंगे कि वह शूद्र हैं या नहीं।
अखिलेश कहते हैं कि वह शूद्र हैं
अखिलेश ने इस घटना को रामचरितमानस विवाद से जोड़ते हुए कहा, ‘मुख्यमंत्री जी अगर योगी न होते, धार्मिक स्थान से न आए होते, तो शायद यह सवाल मैं उनसे न पूछता लेकिन चूंकि वह योगी भी हैं और धार्मिक स्थान से उठकर सदन में आए हैं, तो मैं ये कहूंगा कि वो चौपाई एक बार हमें पढ़कर सुना दो। क्या आप पढ़कर सुना सकते हो मुझे बताओ? मैं मुख्यमंत्री जी से पूछने जा रहा हूं कि मैं शूद्र हूं कि नहीं हूं?
उन्होंने पत्रकारों से भी कहा कि अगर चौपाई याद हो तो भगवान राम की कसम खाकर पढ़ दो। अगर अच्छी है तो अच्छी है, खराब है तो खराब है। अखिलेश ने हालांकि स्पष्ट किया कि रामचरितमानस की कोई खिलाफत नहीं कर रहा है। यह घटना 28 जनवरी 2023 की है। अखिलेश का यह दांव जानकार बताते हैं कि पिछड़ों को एकजुट करने के लिए है। वह चूंकि भाजपा के हिंदुत्व की कोई काट कर नहीं पा रहे हैं, तो अब हिंदुओं के बीच ही जातिगत विभाजन कर उनको दो-फाड़ करने की यह बहुत से राजनीतिक दलों की रणनीति है।
अखिलेश यादव को जानिए
अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। वह उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भी हैं।
- उत्तर प्रदेश के सबसे युवा मुख्यमंत्री का रिकॉर्ड भी अखिलेश यादव के नाम पर ही दर्ज है।
- वह उत्तर प्रदेश की कन्नौज लोकसभा सीट से लगातार तीन बार और आजमगढ़ लोकसभा से एक बार सांसद चुने गए। वर्तमान में वह मैनपुरी की करहल विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं।
- 2012 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में, समाजवादी पार्टी ने कुल 403 सीटों में से 224 सीटों पर जीत हासिल की। तभी 38 वर्षीय अखिलेश ने प्रदेश के सबसे युवा मुख्यमंत्री होने का रिकॉर्ड बनाया था।
- अखिलेश यादव का जन्म उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव और उनकी पत्नी मालती देवी के यहाँ हुआ था।
- अखिलेश यादव ने अपनी स्कूली शिक्षा राजस्थान के धौलपुर से पूरी की और मैसूर विश्वविद्यालय से सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की और फिर सिडनी विश्वविद्यालय से पर्यावरण अभियान्त्रिकी (इंजीनियरिंग) की डिग्री प्राप्त की।
- अखिलेश यादव की शादी 24 नवंबर 1999 में हुई थी। अखिलेश यादव की पत्नी का नाम डिंपल यादव है। डिंपल यादव भी भारतीय राजनीति का जाना-माना चेहरा हैं। वह कन्नौज लोकसभा से लगातार दो बार सांसद चुनी जा चुकी हैं।
- हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में डिंपल को हार का मुंह देखना पड़ा था, अभी 2022 में मैनपुरी सीट के उपचुनाव में वही जीत गयीं हैं। उत्तर प्रदेश में अधिकतर युवा अखिलेश यादव को ‘अखिलेश भैया’ और उनकी पत्नी को ‘डिंपल भाभी’ कहकर संबोधित करते हैं।
अखिलेश का राजनीतिक करियर पिता ने बनाया
मुलायम सिंह यादव जब तक जीवित थे, किसी संगतराश की तरह उन्होंने अखिलेश के करियर को तराशा। शुरूआत से ही राजनैतिक परिवेश में पले-बढ़े अखिलेश यादव ने भी अपना करियर राजनीति में ही चुना। अखिलेश यादव ने साल 2000 में अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत की। उन्होंने कन्नौज लोकसभा सीट से पहली बार में ही उपचुनाव लड़कर जीत हासिल की और 13वीं लोकसभा के सदस्य चुने गए।
अखिलेश यादव ने साल 2009 में फिरोजाबाद लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में जीत हासिल की। यहां उन्होंने बीएसपी के प्रत्याशी एसपीएस बघेल को 67 हजार से भी ज्यादा वोटों से हराया था। इसके साथ ही अखिलेश ने 15वीं लोकसभा के चुनाव में कन्नौज सीट से भी जीत हासिल की।
अखिलेश यादव फिलहाल ढलान पर
साल 2017 में अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में बीजेपी के विजयरथ को रोकने के लिए कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन कर लिया। लेकिन इसके बावजूद भी उन्हें उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 में हार का सामना करना पड़ा। उनके गठबंधन को केवल 47 सीटें मिलीं और बीजेपी अकेले दम पर 312 सीटें ले गयी।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में समाजवादी पार्टी को भारतीय जनता पार्टी के हाथों एक बार फिर करारी हार का सामना करना पड़ा। यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में बीजेपी गठबंधन को 273 सीटों पर जीत हासिल हुई तो वहीं सपा को 125 सीटें ही मिलीं।
फिलहाल, अखिलेश यादव की राजनीति ढलान पर है और वह वापसी करने के लिए कभी रामचरितमानस पर अपने लगुओं-भगुओं से वार करवा रहे हैं, तो कभी खुद को शूद्र बताने वाले पोस्टर लगवा रहे हैं।
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