Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव होना हैं। बीजेपी इस मरुभूमि में अपना भविष्य तलाशने की जद्दोजहद में जुटी हुई है। राज्य में 2018 के चुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था। जबकि 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने वसुंधरा राजे सिंधिया के नेतृत्व में सरकार बनाई थी। अब बीजेपी यहां फिर सरकार बनाने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रही है। कांग्रेस बरसों पुरानी परंपरा को तोड़कर सूबे की सत्ता में वापसी का जतन कर रही है, तो बीजेपी चुनाव जीतकर सत्ता में आने की रणनीति बना रही है। चुनावी साल की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजस्थान दौरे पर आ रहे हैं। पीएम मोदी 28 जनवरी को भीलवाड़ा जिले के आसींद विधानसभा क्षेत्र में आयोजित भगवान देवनारायण जन्म महोत्सव में शामिल होगे। सियासी जानकार पीएम मोदी के इस दौरे के सियासी मायने निकाल रहे हैं।
- भगवान देवनारायण के जन्मोत्सव होंगे शामिल
- भगवान देवनारायण का 1111 वां जन्मोत्सव
- पीएम मोदी के दौरे के निकाले जा रहे सियासी मायने
- पीएम का दौरा बीजेपी को देगा सियासी माइलेज
- गुर्जर वोटरों को अपने पक्ष में करने की कवायद
गुर्जर वोट बैंक पर बीजेपी की नजर
राजस्थान में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पीएम मोदी के गुर्जर बाहुल्य क्षेत्र में दौरे को लेकर सियासी गलियारों में चर्चा तेज हो गई है। सियासी जानकारों का मानना है कि पीएम मोदी का यह दौरा सियासी माइलेज लेने की कवायद का हिस्सा है। राजस्थान में गुर्जर समुदाय का बहुत बड़ा वोट बैंक है।
गुर्जरों के हाथ में 45 विस सीट पर हार जीत का फैसला
राज्य में करीब 12 लोकसभा क्षेत्रों और लगभग 45 विधानसभा क्षेत्रों में जीत-हार का फैसला गुर्जर मतदाताओं के हाथ है। लेकिन भाजपा के पास 25 में से सिर्फ एक सांसद सुखबीर सिंह जौनापुरिया गुर्जर समाज से ताल्लुक रखते हैं। फिलहाल ऐसा माना जाता है कि गुर्जर नेताओं की कांग्रेस में सक्रियता होने से यह समुदाय बीजेपी के साथ नहीं है। इसी को ध्यान में रखकर सत्ता में आने के लिए बीजेपी गुर्जर वोटरों को अपने पक्ष में करने की कवायद कर रही है। माना जा रहा है कि पीएम मोदी के इस मेवाड़ दौरे का असर राजस्थान के कई जिलों के साथ देशभर के गुर्जर समुदाय पर भी होगा।
बीजेपी नेताओं ने डाला डेरा
पीएम मोदी आसींद में मालासेरी डूंगरी पर स्थित देवनारायण मंदिर में दर्शन के बाद जनसभा को भी संबोधित करने वाले हैं। जिसके लिए गुर्जर समाज के साथ बीजेपी के नेता भी तैयारियों में जुटे हैं। स्थानीय नेताओं से लेकर केंद्रीय मंत्री तक आसींद में डेरा डाले हुए हैं। केंद्रीय मंत्री और बीकानेर सांसद अर्जुनराम मेघवाल, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां समेत कई बड़े नेता भीलवाड़ा में भाजपा कार्यकर्ताओं की बैठक ले रहे हैं। प्रदेशभर के पार्टी पदाधिकारियों, विधायकों, सांसदों और पूर्व मंत्रियों को जनसभा में भीड़ जुटाने के निर्देश दिए हैं।
राजस्थान में होता है दो तरफा मुकाबला
राजस्थान आज भी देश के उन चंद राज्यों में से है, जहां हमेशा मुकाबला दोतरफा ही रहता है। और हर पांच साल बाद सरकार बदल जाती है। हालांकि कभी यह राज्य कांग्रेस का गढ़ रहा है और बीजेपी ने पहली बार यहां सफलता का स्वाद 1990 में चखा था। लेकिन 1993 से ही जो क्रम यहां हर बार विरोधी पार्टी की सरकार बनने का लगा अभी तक बंद नहीं हुआ है। 2013 में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा था और बीजेपी को 200 में से 163 सीटें मिली थीं। इन चुनावों में कांग्रेस मात्र 21 सीटों पर सिमट गई थी। इसके अलावा नेशनल पीपुल्स पार्टी ने यहां 4 सीटें और बसपा ने तीन सीटें जीतीं थीं। लेकिन 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने राज्य की सत्ता में वापसी की। कांग्रेस 99 सीटों पर जीत दर्ज की जबकि सत्ताधारी में रहते हुए भी बीजेपी को 73 सीटों पर ही जीत मिली थी। जिन 199 सीटों पर चुनाव हुए थे उनमें से कांग्रेस बहुमत के आंकड़े 100 से सिर्फ एक सीट कम थी। उसकी सहयोगी राष्ट्रीय लोक दल एक सीट जीती थी।