MP Assembly Election:मध्यप्रदेश में बीजेपी साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए खुद को तैयार कर रही है। बैठकों का सिलसिला बढ़ गया है। बीजेपी के प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव पूरी तरह से सक्रिय हो गए हैं। इतना ही नहीं प्रत्याशी चयन और टिकट वितरण के लिए इंटेलिजेंस की मदद ली जा रही है। संदेश साफ है कि टिकट वितरण में परिवारवाद नहीं चलेगा। बड़े नेता कह रहे हैं परिवारवाद नहीं चलेगा। लाइन खेंच दी गई है एक परिवार एक टिकट। इससे बीजेपी के उम्रदराज हो रहे कद्दावर नेताओं को अपने बेटा-बेटी का सियासी भविष्य सता रहा है।
दरअसल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के राजनीति में परिवारवाद और वंशवाद के खिलाफ अब तक कड़े रुख की वजह से कामयाब नहीं हो पाते हैं। लेकिन बढ़ते दबाव के चलते अब बीजेपी हाईकमान नेता पुत्रों के लिए गाइड लाइन तय कर सकता है। यानी नई गाइड लाइन में अपने लाड़लों को राजनीति में लाने वाले नेताओं को अपने टिकट की उम्मीद छोड़ना होगी। उन्हें बेटा बेटी के लिए सियासी मैदान छोड़ना पड़ सकता है।
एक परिवार एक टिकट’ का लागू हो सकता है फार्मूला
एक परिवार एक टिकट फार्मूला लागू हुआ तो इसकी जद में मुख्यमंत्री ही नहीं उनकी कैबिनेट के कई मंत्री और कद्दावर नेता आ सकते हैं। ये वो नेता हैं जो अपने बेटा-बेटी को चुनावी मैदान में उतरने को आतुर हैं। बता दें मुख्यमंत्री समेत आधे से ज्यादा मंत्रियों का चुनाव क्षेत्र उनके बेटे ही संभाल रहे हैं। यही स्थिति राजस्थान, छत्तीसगढ़ समेत दूसरे राज्यों में भी है। बीजेपी के ज्यादातर कद्दावर नेताओं के बेटा-बेटी राजनीतिक तौर पर परिपक्व होने के साथ ही चुनावी समर में उतरने के लिए आतुर भी हैं। उन्हें इंतजार है सिर्फ पार्टी की हरीझंडी यानी टिकट का। लेकिन पार्टी एक परिवार एक टिकट का फार्मूला लागू कर सकती है।
इन नेताओं के बेटा-बेटी टिकट के दावेदार
मध्यप्रदेश में जिन नेताओं के बेटा बेटी प्रदेश की राजनीति में सक्रिय हैं उनमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बेटे कातिर्केय चौहान, मंत्री गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक भार्गव, पूर्व मंत्री जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्थ मलैया, केन्द्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बेटे देवेंद्र प्रताप, पार्टी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष प्रभात झा के पुत्र तुष्मुल, पूर्व मंत्री माया सिंह के बेटे पीतांबर, मंत्री डॉ.नरोत्तम मिश्रा के बेटे सुकर्ण मिश्रा, मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के बेटे आकाश सिंह राजपूत, तुलसीराम सिलावट के बेटे नीतिश सिलावट, पूर्व मंत्री गौरीशंकर शेजवार के पुत्र मुदित शेजवार, गौरीशंकर बिसेन की पुत्री मौसम बिसेन हिरनखेड़े, पारस जैन के बेटे संदेश, कुसुम मेहदले के भतीजे पार्थ, रामपाल सिंह के बेटे दुर्गेश सिंह, सूर्यप्रकाश मीणा के बेटे देवेश मीणा का नाम लिया जा सकता है। इतना ही हीं केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेटे महाआर्यन भी चुनावी राजनीति में आने को आतुर नजर आ रहे हैं।
काम करें, पद और टिकट की चिंता न करें,पार्टी खुद दे देगी
बता दें मंगलवार 24 जनवरी को हुई बीजेपी प्रदेश कार्यसमिति की बैठक इस लिहाज से काफी अहम रही। इसी साल पार्टी को चुनावी मैदान में उतरना है। प्रदेश भाजपा कार्यालय में हुई इस बैठक में चुनाव से संबंधित भी कई मुद्दों पर मंथन किया गया। इसमें सदस्यों से यह भी कहा गया कि आप सिर्फ मेहनत करें, पद और टिकट की चिंता न करें। मांगने से कुछ नहीं मिलता। काबिलियत से सबकुछ मिल जाता है। आप काम करो, पद और टिकट पार्टी खुद आपको दे देगी। आप कुछ लोगों के नहीं, जनता के नेता बनों। वहीं प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव ने सख्त लहजे में सभी पदाधिकारियों से दो टूक शब्दों में कह दिया है कि 200 दिन में 200 सीट जीतने का लक्ष्य पूरा करना होगा। पार्टी संगठन ने 200 दिन की कार्य योजना तैयार की है। जिसमें सभी मंत्री, विधायक और सभी नेताओं का अनिवार्य रूप से शामिल होना है। उन्होंने कहा कि 200 सीटों का लक्ष्य पूरा करने के लिए दिए गए कार्य की नेताओं की निगरानी भी की जाएगी।
काम के आधार पर तय होगा आपका भविष्य
मुरलीधर राव ने मंत्री, विधायक, सांसद और बीजेपी पदाधिकारियों से स्पष्ट तौर पर कहा है कि वे हर हितग्राही तक पहुंचे। हर पदाधिकारी को दिए गए कार्य की ऑनलाइन उपस्थिति भी दर्ज करानी होगी। बीजेपी की ओर से दिए गए लक्ष्य को पूरा करने पर ही मंत्री, विधायक और नेताओं का भविष्य तय होगा।