छत्तीसगढ़ में शुरु दिग्गजों की वर्चस्व की लड़ाई
मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में साल 2023 में विधानसभा चुनाव होना है. लेकिन तीनों ही राज्यों में मुख्य दलों में खेमेबाजी का खेल जारी है. राजस्थान आगे दिन कांग्रेस नेता सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच आपसी अदावत की खबरें सामने आती रहती हैं. मध्य प्रदेश में भी वर्चस्व की लड़ाई के चलते कांग्रेस को सत्ता गंवानी पड़ गई. रही बात छत्तीसगढ़ तो भले ही यहां कांग्रेस आलाकमान ने आपसी टकराव सुलझा दिया है, लेकिन खींचातान अभी भी जारी है.
दरअसल, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) और उनके मंत्री टीएस सिंहदेव (TS Singhdev) के बीच कुर्सी की लड़ाई जगजाहिर है. सूत्र बताते हैं कि विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर ढ़ाई- ढ़ाई साल का फॉर्मूला तय हुआ था. लेकिन ढाई साल पूरे होने के बाद भी स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के हाथ मुख्यमंत्री की कुर्सी नहीं लगी थी. जिसके लिए उन्होंने दिल्ली में भी कई बार परेड कर हाईकमान से बात की. लेकिन भूपेश बघेल ने अपनी कुर्सी बचाने में कामयाब रहे. जिसके बाद से ही दोनों नेताओं के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. हालांकि दोनों ही नेता ढाई- ढाई साल के फार्मूले की बात से इंकार कर चुके हैं. इसी बीच अब खबर आई है कि मंत्री सिंहदेव चुनाव से पहले प्रदेश में शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं और वे इसकी तैयारी में भी लग गए हैं. माना जा रहा है कि चुनाव से पहले वो अपनी खुद की पार्टी भी बना सकते हैं. इसी के लिए वो लोगों से संपर्क साधने में जुट गए हैं. दरअसल, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने पहले ही प्रदेश की यात्रा का कार्यक्रम बनाया था. सीएम चार मई से प्रदेश की सभी 90 विधानसभा सीटों की यात्रा के लिए निकलेंगे. सीएम की यात्रा के बाद ही स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने भी अपनी यात्रा का ऐलान कर दिया. अब सिंहदेव भी पूरे प्रदेश की यात्रा करेंगे और अपने मंत्रालय के कामकाज की जानकारी प्रदेश की जनता तक पहुंचाएंगे. इसके साथ ही वे अपने समर्थकों और करीबियों से भी मुलाकात करेंगे. मुख्यमंत्री की यात्रा के दिन से ही स्वास्थ्य मंत्री का भी प्रदेश की जनता से मिलना प्रदेश की राजनीति में बहुत कुछ इशारा कर रहा है. आपको मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में अगले साल विधानसभा चुनाव होना है. ऐसे में तीनों राज्यों के दिग्गज नेताओं के बीच खींचातान की खबरें सामने रहीं है. अब सभी बड़े नेता अपने- अपने हितों को ध्यान में रखकर शक्ति प्रदर्शन आलाकमान को दिखाने में जुटे हैं और जनता के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं.