मध्यप्रदेश मे चुनावों के पहले करणी सेना ने मोर्चा खोल दिया है। भोपाल के जंबूरी मैदान में करणी सेना के कार्यकर्ता धरना देकर बैठे है। आर्थिक आधार पर आरक्षण के साथ साथ करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने पूरी 21 मांगे रखी हैं। करनी सेना के आंदोलन की अगुवाई जीवन सिंह शेरपुर कर रहे हैं। वहीं गुजरात के करणी सेना के अध्यक्ष राज शेखावत शैलेन्द्रं सिंह झाला समेत कई राजपूत नेताओं ने करणी सेना के प्रर्दशन को समर्थन दिया है।
आर्थिक आधार पर आरक्षण की मांग
करणी सेना जिन 21 मांगो को लेकर धरने पर बैठी है उनमें से मुख्य रूप से आर्थिक आधार पर आरक्षण की मांग है। एट्रोसिटी एक्ट में बदलाव करने की मांग की जा रही हैं। इसके तहत बिना जांच के गिरफ्तारी न की जाए। करणी सेना का दावा है कि उनको ब्राहम्ण और ओबीसी समाज का भी साथ है।
आंदोलनाकरियों का दावा मांगे पूरी होने तक बैठेंगे धरने पर
आंदोलकारियों ने दावा किया है कि वो मांगे पूरी होने तक वापस नहीं जाने वाले। करणी सेना के नेताओं की माने तो उनका ये आंदोलन किसान आंदोलन की तरह लंबा चलेगा। करनी सेना ने सरकार को चेतावनी दी है कि “अगर सरकार ने व्यवस्था बदली तो वो सत्ता बदल देंगे।“
चुनावी साल में सरकार के लिए सिरदर्द
चुनावी साल में करणी सेना की मांगे सरकार के लिए सिरदर्द खड़ा कर सकती है। 2018 के चुनावों में भी आर्थिक आधार पर आरक्षण को लेकर सियासी बयानबाजियां जमकर हुई थी। आर्थिक आधार पर आरक्षण मांग रहे सवर्ण समाज ने एक दिन का बंद ऱखा जिसमें ग्वालियर में गोलियां चली और दो लोगो की मौत हो गई। इसके बाद बीजेपी चुनाव हार गई थी। वहीं अब करणी सेना के धरने पर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के लगातार बयान जारी है। कमलनाथ की ओर से लगातार ट्वीट किए जा रहे हैं.
2018 में भी हुआ था आर्थिक आधार पर आरक्षण का आंदोलन
सर्वण आरक्षण को लेकर मध्यप्रदेश में 2018 में भी आंदोलन हुआ था। इस आंदोलन में मौजूदा आरक्षण को लेकर सवाल खड़े किए थे. साथ ही इस बात को लेकर भी मांग करी गई थी कि आरक्षण केवळ आर्थिक आधार पर हो। उस समय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बयान दिया था कि कोई माई का लाल आरक्षण खत्म नहीं कर सकता। इस बयान के बाद सियासी बवाल हुआ औऱ मध्यप्रदेश में बीजेपी की सरकार चली गई।
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