राजस्थान कांग्रेस में फिर खिंचतान शुरू हो गई है. राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करना है तो राजस्थान कांग्रेस संगठनों में भी नियुक्तियां करना है. जिसे लेकर पार्टी में हलचल तेज हो गई है. गहलोत सरकार के दो साल पूरे हो चुके है. राजस्थान में 2018 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को 200 में से 99 सीटों पर जीत मिली थी. गहलोत ने अपनी जादूगरी से पहले अल्पमत को बहुमत में बदला बीएसपी के विधायकों को दल बदल कराकर पार्टी का आंकड़ा 106 तक पहुंचाया. सरकार सुरक्षित हुई तो कुछ महीने पहले सचिन पायलट ने बागी रूख अपना लिया. राहुल और प्रियंका गांधी के हस्तक्षेप से सचिन की वापसी तो हो गई, लेकिन अशोक गहलोत और सचिन पायलट के रिश्तों में अभी भी तनाव बना हुआ है.
सचिन पायलट गहलोत सरकार में अपने कुछ समर्थको को मंत्री बनाना चाहते है. उनकी नजर प्रदेश कांग्रेस संगठन पर भी है. लेकिन गहलोत सचिन पायलट और उनके समर्थकों से दूरी ही दिखाने की कोशिश में है. सूत्रों का कहना है की अशोक गहलोत जनवरी में मंत्री मंडल का विस्तार कर सकते है, जिसे लेकर गहलोत और पायलट के बीच अभी से तनातनी देखी जाने लगी है. सीएम गहलोत अपनी सरकार से खराब काम करने वाले मंत्रियों को हटाकर नए लोगों को लाने की तैयारी में है. और मंत्री मंडल विस्तार पर सचिन की नजर है. सूत्रों का कहना है की मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर पायलट ने आलाकमान तक अपनी बात पहुंचा दी है. पायलट तीन दिनों तक दिल्ली में भी डेरा डाले रहे, उन्होंने संगठन महासचिव केसी वेणगोपाल और अजय माकन से मुलाकात कर सरकार और संगठन में अपने समर्थकों को लाने की मांग की. पायलट को आलाकमान ने आश्वासन तो मिला लेकिन गहलोत पायलट समर्थकों को अपने मंत्री मंडल में शामिल करने को तैयार नहीं है.