मध्यप्रदेश की राजनीति में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का चेहरा शायद ऐसा चेहरा है जिसने देश और प्रदेश दोनों की राजनीति में कई सारे रिकार्ड दर्ज किए है। शिवराज के रिकार्ड कि लिस्ट हम सुनाएं उससे पहले ये बताते है आपको कि कैसे शिवराज ने मुख्यमंत्री की कुर्सी हासिल की।
नवंबर 2005 में शिवराज बने मुख्यमंत्री
नवंबर 2005 में शिवराज सिंह चौहान जब मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने तब प्रदेश में उनके लिए राजनैतिक हालात बड़े विषम थे। 2003 में स्टार प्रचारक के तौर पर उमा भारती के चेहरे पर बीजेपी ने दो तिहाई सीटो पर जीत दर्ज कराई थी। उसके बाद तिरंगा यात्रा में उमा भारती को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पडा, उनकी जगह प्रदेश के वरिष्ठ विधायक और नेता बाबू लाल गौर को मुख्यमंत्री बनाया गया। तिरंगा यात्रा से वापस लौटी उमा भारती ने वापस मुख्यमंत्री पद लेना चाहा लेकिन तब तक मध्यप्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान को प्रदेश का मुख्यमंत्री घोषित कर दिया। शिवराज सिंह चौहान के नाम का ऐलान सीधे दिल्ली से हुआ उसके बाद वो विधायक दल के नेता चुने गए फिर विधायक। इस दौरान पार्टी से नाराज होकर उमा भारती अयोध्या यात्रा पर निकल गई। शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश की कमान सम्हाली उसके बाद अलग अलग गुटों के चलते उनको कई तरह की राजनैतिक चुनौतियों को सामना करना पडा। चुनौतियों से निकलते हुए शिवराज इतनी आगे आ गए कि प्रदेश में देश की राजनीति के कई सारे रिकार्ड अब उनके नाम हो गए।
शिवराज ने 2003 में विधानसभा चुनाव हारे
चुनाव मौजूदा मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के खिलाफ था लिहाज़ा हार का सामना करना पड़ा। राघौगढ़ विधानसभा हारने के बाद
शिवराज सिंह चौहान
मई दो हजार पांच में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बने
नंवबर 2005 में ही मुख्यमंत्री
मध्यप्रदेश ही नहीं बल्कि देश के हिंदी भाषी राज्यों में सबसे लंबे समय तक लगातार मुख्यमंत्री बने रहने का रिकार्ड शिवराज सिंह चौहान के नाम दर्ज है।
उन्होंने मध्यप्रदेश में दिग्विजय सिंह,राजस्थान में भैरो सिह शेखावत, गुजरात में नरेंद्र मोदी और छत्तीसगढ में डाक्टर रमन सिंह का रिकार्ड तोड़ा।
नवंबर 2005 में शिवराज सिहं चौहान विधायक दल के नेता चुने गए उसके बाद उन्होंने बुधनी से विधानसभा का चुनाव लड़ा।
2008 में मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव हुए और शिवराज सिंह चौहान फिर मुख्यमंत्री बने
2013 में जंबो मेजोरिटी से फिर शिवराज सरकार बनी
2018 में बीजेपी को बहुमत नहीं मिला और शिवराज को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा।
मार्च 2020 में सिंधिया की कांग्रेस से बगावत के चलते कांग्रेस सरकार गिरी और मार्च 2020 में शिवराज फिर मुख्यमंत्री।
जीत का चौक्का नहीं लगा सके शिवराज लेकिन उनके नाम दर्ज है कई रिकार्ड
-शिवराज सिंह चौहान अकेले ऐसे नेता है जो चार बार मुख्यमंत्री बनने का रिकार्ड बना चुके हैं।
-कोरोना काल में जब शिवराज सिंह चौहान ने शपथ ली तब लगभग डेढ़ महीने तक वो मंत्रिमंडल नहीं बना सके।
-मध्यप्रदेश में लंबे समय तक अकेले सरकार चलाने का रिकार्ड भी शिवराज सिंह चौहान के ही नाम रहा क्योंकि मंत्रिमंडल मई के प्रथम सप्ताह में बना।
वहीं यूपीए की सरकार में कृषि कर्मण अवार्ड के लिए शिवराज सरकार को सात बार चुना गया।
कभी कहलाते थे पांव पांव वाले भैया
शिवराज सिंह चौहान वो नेता है पैदल चलते चलते पंहुचे सत्ता के शिखर पर पंहुचे। शिवराज सिंह चौहान को कभी पांव पांव वाले भैया कहा जाता था। दऱअसल जब वो विदिशा में सांसद बने तब प्रदेश में और देश में कांग्रेस की सरकार थी। सरकार के खिलाफ कई सारे आंदोलन करने के और जनता से जुड़े मुद्दे को उठाने के लिए वो पैदल गांव गांव तक यात्राऐं करने लगे। इसीलिए वो पांव पांव वाले भैया के नाम से जाने जाने लगे थे। अब 17 साल मुख्यमंत्री रहते हुए हर छोटे बडे काम के लिए सरकारी उड़न खटोले का इस्तेमाल सबसे ज्यादा शिवराज सिंह चौहान ने ही किया। सबसे ज्यादा घंटे उड़न खटोले में उड़ने का रिकार्ड भी मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के नाम से पर ही दर्ज माना जा सकता है।
शिवराज रिश्तों की राजनीति में माहिर हैं
शिवराज सिंह चौहान के ज्यादातर योजनाऐं महिलाओं और बच्चों के लिए रही । जिसमें मुख्यमंत्री कन्यादान योजना हो या फिर लाडली लक्ष्मी और जननी सुरक्षा योजना। पूरे प्रदेश के बच्चों को वो भांजे भाजी कहते है और महिलाओं से बहन का रिश्ता जोड़ के रखा है।
विवादों में भी रहा शिवराज का शासनकाल
शिवराज शासन काल मे देश का सबसे बड़ा भर्ती घोटाला हुआ । व्यापंम घोटाले के साथ साथ चारा घोटाले की तर्ज पर पोषण आहार घोटाला। इसके अलावा भी कई छोटे बड़े घोटालों को लेकर सरकार पर लगातार आरोप लगते रहे हैं।
2023 का चुनाव भी क्या शिवराज के चेहरे पर होगा ?
आने वाले साल में मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव है। इन चुनावों में चेहरा किसका होगा इसे लेकर लगातार बहस चल रही है। अगर 2023 का चुनाव भी शिवराज सिंह चौहान के चेहरे पर होगा तो ये चौथा चुनाव होगा जो एक ही चेहरे पर बीजेपी लड़ेगी।
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