लखनऊः मैनपुरी संसदीय सीट पर हुए उपचुनाव के बाद अखिलेश य़ादव की बांछें खिली हुई हैं। उनकी पत्नी डिंपल यादव इस सीट से ऐतिहासिक अंतर से जीती हैं। चुनाव का नतीजा आने के तुरंत बाद ही चाचा शिवपाल यादव ने भी अपनी पार्टी प्रसपा का विलय समाजवादी पार्टी में कर दिया है। वहीं, पुराने सहयोगी ओमप्रकाश राजभर और केशव प्रसाद मौर्य ने भी गठबंधन में वापस आने के संकेत दे दिए हैं।
- मैनपुरी उपचुनाव में डिंपल और खतौली से रालोद की जीत के बाद अखिलेश के हौसले बुलंद
- चाचा शिवपाल यादव और चंद्रशेखर रावण ने साझा किया था मंच
- पुराने सहयोगियों ने भी सपा के साथ गठबंधन के दिए संकेत
- अखिलेश की छवि अब गंभीर नेता की बन रही है
साइकिल अब चुस्त-दुरुस्त होगी
सुभासपा (सुहेदलेदव भारतीय समाजवादी पार्टी) के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर और महान दल के मुखिया केशवदेव मौर्य ने भी सपा के साथ वापस गठबंधन बहाल करने के संकेत दे दिए हैं। चाचा शिवपाल यादव तो महीनों से भतीजे के साथ गलबंहियां कर ही रहे थे, अब तो उन्होंने अपनी पार्टी प्रसपा का विलय भी सपा में कर दिया है।
ओमप्रकाश राजभर ने 2022 का यूपी विधानसभा चुनाव सपा के साथ मिलकर लड़ा था, हालांकि गठबंधन मैजिक नंबर लाने से चूक गया था। उसके बाद राजभर ने अखिलेश और सपा के खिलाफ काफी कड़े बयान भी दिए थे, लेकिन अब फिर से उनके सुर बदल रहे हैं। चंद्रशेखर रावण ने तो खैर मंच ही शेयर किया था और केशव देव मौर्य ने भी मैनपुरी में सपा को समर्थन दिया था।
शिवपाल का है जादू
राजभर ने कहा है कि अगर शिवपाल उनको कहेंगे और वह केंद्र में रहेंगे तो फिर से सपा-सुभासपा गठबंधन हो सकता है। कहने का मतलब यह है कि शिवपाल एक मंजे हुए राजनेता हैं और वह अखिलेश के पक्ष में फिर एक बार मजबूत गठबंधन मना सकते हैं। वहीं, केशव देव ने भी बयान दिया है कि मैनपुरी में उन्होंने बीजेपी से शाक्य के खड़े होने के बावजूद सपा को समर्थन दिया है और उसकी जीत में अहम भूमिका निभाई है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो बीजेपी को 2024 में सोचना पड सकता है, क्योंकि अखिलेश का इन छोटे दलों से गठबंधन होने पर तस्वीर बदल जाती है, ये हमने विधानसभा चुनाव में भी देखा है।