शिमला:हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने रिवाज कायम रखते हुए बीजेपी का राज बदल दिया, लेकिन उसे भी राज्य में सीएम बनाने से पहले खासी मशक्कत करना पड़ी। काफी उलझन के बाद आखिरकार कांग्रेस आलाकमान का फैसला आया और राज्य में पार्टी के अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू का नाम अगले अगले मुख्यमंत्री के रुप में तय हो गया।
शिमला के रिज मैदान पर 1.30 बजे शपथ ग्रहण समारोह
आलाकमान की ओर से सुखविंदर सिंह के नाम पर मुहर लगने के बाद शनिवार शाम शिमला में कांग्रेस विधायक दल की बैठक हुई। इसमें सुखविंदर सिंह सुक्खू को सर्वसम्मति से विधायक दल का नेता चुना गया तो मुकेश अग्निहोत्री को डिप्टी सीएम बनाया गया है। इसके साथ ही प्रतिभा सिंह मुख्यमंत्री पद की दौड़ से बाहर हो गईं। अब रविवार को शिमला के रिज मैदान पर दोपहर करीब 1.30 बजे शपथ ग्रहण समारोह होगा।
राजपूत समाज से सीएम,ब्राह्मण चेहरे को बनाया डिप्टी सीएम
कांग्रेस ने सीएम की कुर्सी राजपूत वर्ग को देने के बाद डिप्टी सीएम की कुर्सी ब्राह्मण चेहरे मुकेश अग्निहोत्री को सौंपी है। अग्निहोत्री को प्रतिभा सिंह का समर्थक माना जाता है। हालांकि सीएम बनने की रेस में प्रतिभा सिंह सबसे आगे थीं,शाम तक उनका नाम सुर्खियों में रखा,लेकिन दिल्ली से आए एक आदेश ने उन्हें मायूस कर दिया। वैसे हिमाचल प्रदेश में ज्यादातर मुख्यमंत्री की कुर्सी ठाकुरों के पास ही रही है। शांता कुमार इकलौते ब्राह्मण नेता थे जो सीएम की कुर्सी तक दो बार पहुंचने में कामयाब रहे थे। बता दें कि हिमाचल प्रदेश में राजपूत और ब्राह्मण वोटर ही सबसे ज्यादा हैं।
कुछ इस प्रकार से समझते हैं जातीय समीकरण
हिमाचल प्रदेश की विधानसभा में 68 सीट हैं। जिनमें से 17 सीट एससी और एसटी के लिए आरक्षित हैं। चुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल की ओर से 28 – 28 ऐसे उम्मीदवार उतारे थे जो या तो ब्राह्मण थे या तो ठाकुर। राज्य में सबसे ज्यादा राजपूत और ब्राह्मण हैं। 2011 की जनगणना के आंकड़ों पर नजर डाले तो 70 लाख की जनसंख्या में 51 फीसदी सवर्ण वर्ग से हैं। इसमें ब्राह्मण और राजपूत समाज के लोग शामिल हैं। 51 फीसदी में 33 फीसदी आबादी राजपूत समाज की है। जबकि 18 फीसदी ब्राह्मण के हैं।
क्या कहता है राजपूत चेहरे से कांग्रेस का प्रेम
साल 2024 में लोकसभा के चुनाव होना हैं। ऐसे में कांग्रेस अभी से तैयारी में जुटी है। हर वर्ग को साधने की कवायद की जा रही है। हिमाचल प्रदेश की बात करें तो राजपूतों की आबादी ब्राह्मणों से करीब तीन गुना ज्यादा है। ऐसे में कांग्रेस सवर्ण वर्ग को साधना तो चाहती है लेकिन आबादी के अनुपात को भी ध्यान में रखती है। हालांकि प्रतिभा सिंह को मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग हो रही थी। उनके के समर्थक कांग्रेस दफ्तर के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे और सुखबीर सिंह सुक्खू का विरोध कर रहे थे। हालांकि प्रतिभा सिंह और सुक्खू दोनों ही राजपूत हैं। ऐसे में विरोध इतना ज्यादा नहीं हुआ। अगर राजपूत चेहरा छोड़कर किसी ब्राह्णण को सीएम बनाया जाता तो यह विरोध ज्यादा बढ़ सकता था।
37 साल से लगातार दो बार सत्ता में नहीं आई कोई पार्टी
हिमाचल प्रदेश में पिछले 37 सालों से कोई भी पार्टी लगातार दो बार में सरकार नहीं बना सकी। राज्य के मुख्यमंत्रियों की बात है तो अब तक 6 नेता ही हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे हैं। जिससे इन नेताओं की लोकप्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
ये हैं वो 6 नेता जो रहे राज्य के मुख्यमंत्री
साल 1977 में और 1990 में शांता कुमार दो बार बीजेपी के मुख्यमंत्री बने। हालांकि दोनों ही बार शांता कुमार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके। 1990 में वे सीएम बने। ढाई साल के बाद ही बाबरी विध्वंस के बाद हिमाचल की सरकार बर्खास्त कर दी गई। 1993 के चुनाव में कांग्रेस सत्ता में आई । वीरभद्र सिंह को मुख्यमंत्री बने। 1998 में एक बार फिर बीजेपी ने बाजी पलटी और सरकार बनाई। तब पंडित सुखराम की पार्टी के सहारे सत्ता में वापसी की लेकिन मुख्यमंत्री कुमार धूमल को बनाया। 2003 में कांग्रेस ने जीत दर्ज की। कांग्रेस ने वीरभद्र सिंह को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया। साल 2008 में बीजेपी ने भी सत्ता में आने पर प्रेम कुमार धूमल को सीएम बनाया। 2012 में वीरभद्र सिंह कांग्रेस से मुख्यमंत्री बने। साल 2017 में हुए चुनाव में प्रेम कुमार धूमल को अपनी ही सीट से हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद जयराम ठाकुर सीएम बने। इस बार फिर से राजपूत वर्ग के सुखबीर सिंह सुक्खू को कांग्रेस ने हिमाचल के मुख्यमंत्री बनाया है।
यशवंत सिंह परमार ने किया 18 साल राज
यशवंत सिंह परमार हिमाचल प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री थे। उन्होंने 18 साल तक हिमाचल प्रदेश पर राज किया। 8 मार्च 1952 को यशवंत सिंह परमार ने पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। 31 अक्टूबर 1956 तक इस पद पर बने रहे। इसके बाद प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लग गया। राष्ट्रपति शासन हटा तो 1 जुलाई 1963 को फिर डॉण्परमार सीएम बने। इस बार डॉण्परमार 28 जनवरी 1977 तक इस पद पर बने रहे।
ठाकुर रामलाल ने तीन बार संभाली कुर्सी
ठाकुर रामलाल भी तीन बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। उनका कार्यकाल काफी छोटा रहा। राम लाल पहली बार 28 जनवरी 1977 को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे लेकिन उसी साल 30 अप्रैल को इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद 1980 में रामलाल फिर सीएम बने। 14 फरवरी 1980 को उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इस बार वो करीब 3 साल तक सीएम रहे और 7 अप्रैल 1983 को पद से इस्तीफा देना पड़ा। 8 अप्रैल को वीरभद्र सिंह हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बनाए गए थे।
पहली गैर कांग्रेसी सरकार के सीएम थे शांता कुमार
हिमाचल प्रदेश में 1977 में पहली गैर कांग्रेसी सरकार बनी तो शांता कुमार मुख्यमंत्री बने। शांता कुमार दो बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के पद पर रहे। दोनों बार उनका कार्यकाल पूरा नहीं हो सका। शांता कुमार ने 22 जून 1977 को पहली बार मुख्यमंत्री की शपथ ली थी लेकिन 14 फरवरी 1980 को पद छोड़ना पड़ा। साल 1990 में एक बार फिर शांता कुमार मुख्यमंत्री बने तो 5 मार्च को सीएम पद की शपथ ली लेकिन 15 दिसंबर 1992 को पद से इस्तीफा देना पड़ा।
पांच बार सीएम रहे वीरभद्र सिंह
वीरभद्र सिंह ने 5 बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली। वीरभद्र सिंह पहली बार 8 अप्रैल 1983 को मुख्यमंत्री बने थे। 8 मार्च 1985 को दोबारा वीरभद्र सिंह मुख्यमंत्री बने। वीरभद्र ने 5 साल का कार्यकाल पूरा किया। 5 मार्च 1990 तक सीएम रहे। वीरभद्र सिंह ने तीसरी बार 3 दिसंबर 1993 को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाली। 24 मार्च 1998 तक मुख्यमंत्री रहे। इसके बाद बीजेपी ने सरकार बनाई। 6 मार्च 2003 को फिर वीरभद्र सिंह को मौका मिला। 30 दिसंबर 2007 तक मुख्यमंत्री बने रहे। लेकिन 2007 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी फिर सत्ता में लौटी। साल 2012 में फिर कांग्रेस सत्ता में आई और 25 दिसंबर 2012 को वीरभद्र सिंह ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इस बार वीरभद्र सिंह 26 दिसंबर 2017 तक इस कुर्सी पर बने रहे।
दो बार सीएम रहे प्रेम कुमार धूमल
प्रेम कुमार धूमल दो बार मुख्यमंत्री बने। धूमल पहली बार साल 1998 में मुख्यमंत्री बने थे। इसके बाद 24 मार्च को उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। 6 मार्च 2003 तक इस पर पर बने रहे। साल 2003 विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हार हुई तो धूमल ने सीएम पद छोड़ा। साल 2007 में जब विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 41 सीटों के साथ सरकार बनाई। 30 दिसंबर 2007 को प्रेम कुमार धूमल हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बने वे 24 दिसंबर 2012 तक पद पर रहे। हालांकि 2012 विधानसभा चुनाव में हारने के बाद धूमल को पद छोड़ना पड़ा था।
जयराम ठाकुर ने अभाविप से की सियासत शुरु
हिमाचल प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने 2017 में कुर्सी संभाली थी। जयराम की शिक्षा गांव से ही शुरू हुई। उन्होंने बीजेपी की छात्र इकाई एबीवीपी से सियासत की शुरुआत की। साल 1998 में वे पहली बार विधायक बने। इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। ठाकुर 5 बार से विधायक हैं।