2024 की जंग किस-किस के संग!
2024 की चुनावी जंग अभी से शुरु हो गई है। इस जंग को जीतने और देश का कर्णधार ने बनने के लिए नेताओं की सियासी चाल तेज हो गई है। दिल्ली की ओर हर नेता बड़े अरमान से देख रहा है। मौजूदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चक्रव्यू में फंसाने के लिए विपक्षी नेता एक जुट होने लगे हैं। एक तरफ दिल्ली में जहां कांग्रेस ने रैली कर महंगाई के मुद्दे पर मोदी सरकार पर हमला बोला। वहीं पटना में जेडीयू की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में मिशन 2024 पर मंथन किया गया। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्ष को एकजुट करने की मुहिम में जुटे हैं दिल्ली पहुंकर उन्होंने राहुल गांधी से भी मुलाकात की। वे दूसरे गैर भाजपाई दलों के नेताओं से भी मिलेंगे। विपक्षी नेताओं से मुलाकात करने वाले नीतीश 2024 में बीजेपी को 50 सीटों पर समेट देने की भविष्यवाणी भी कर चुके हैं। ऐसे में जाहिर है एक तरफ मोदी है तो दूसरी तरफ तमाम विरोधी एकुजट हो रहे हैं तो सवाल खड़ा होता है कि मोदी की राह में आखिर कितने रोढ़े हैं। और क्या नीतीश कुमार के लिए सियासत के सर्वोच्च पद यानी पीएम की कुर्सी तक पहुंचने का सपना पूरा हो पाएगा।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मुलाकात के बाद ये साफ कर दिया कि उनकी प्रधानमंत्री बनने की कोई इच्छा नहीं है। नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री बनने की ना उनकी कोई इच्छा है ना कोई आकांक्षा है। उन्होंने साफ किया कि इच्छा इतनी है कि विपक्ष अधिक से अधिक इकट्ठा हो जाए तो सब बेहतर होगा। जिसके लिए हम लोग सहयोग करेंगे। प्रधानमंत्री बनने के लिए उनका कोई दावा नहीं है। कहा जा रहा है कि 45 मिनट चली इस मुलाकात के दौरान 2024 के चुनाव को लेकर मंथन किया गया। विपक्षी एकता पर भी दोनों नेताओं के बीच चर्चा हुई। इस बात पर लगभग सहमति बनी कि समान विचारों वाली पार्टियों को आगामी चुनाव के लिए साथ लाया जाएगा। दरअसल 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर विपक्ष सक्रिय हो गया है। अगर बीजेपी एक तरफ हारी हुई सीटों पर बाजी पलटने की रणनीति तैयार कर रही है तो विपक्ष का खेमा भी एकजुट होने की कवायद में जुट गया है। इस समय इस कवायद की सबसे बड़ी कड़ी हैं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जिन्होंने पिछले महीने ही बिहार में ऐसा सियासी खेला किया कि बीजेपी को एक राज्य में सत्ता से ही बेदखल कर दिया। अब वो नीतीश कुमार दिल्ली की ओर रुख किया है। दिल्ली में उनहोंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मुलाकात की है।
विपक्ष् ने किया एकता के नारे को बुलंद
राहुल गांधी और बिहार के सीएम नीतीश कुमार के बीच जो बैठक हुई। उसमें विपक्ष की एकता पर खासा जोर दिया गया। कांग्रेस से जुडे़ सूत्र बताते हैं कि इस बात पर सहमति बनी है कि 2024 के लोसभा चुनाव से पहले समान विचारधारा वाली पार्टियों को साथ लाया जाए। साथ ही भाजपा के खिलाफ विपक्षी सदस्यों को एकजुट होकर चुनौती पेश करनी होगी। अब ये कोई पहली बार नहीं है जब विपक्षी एकता की बात की गई हो। इसकी शुरुआत पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने की थी। बंगाल विधानसभा चुनाव में बीजेपी को शिकस्त देने के बाद टीएमसी प्रमुख का सियासी कद काफी ज्यादा बढ़ गया था लेकिन फिर बाद में ईडी सीबीआई की जांच में उनके मंत्री ऐसे फंसे कि उनकी दावेदारी और सक्रियता दोनों कम हो गई।
इस बीच महाराष्ट्र की राजनीति में नया उलटफेर हुआ। जिससे
ऐसे संकेत मिले थे कि वहां शरद पवार भी विपक्षी एकजुटता में जुटे हैं। लेकिन एकनाथ शिंदे ने बगावत की और महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी का सत्ता से बाहर जाना बताता है कि पवार का भी पावर कर हो रहा है। ऐसे में बंगाल और महाराष्ट्र के बाद बिहार में बड़ा राजनीतिक उलटफेर देखने को मिला। नीतीश कुमार ने एनडीए से अलग होने का फैसला करते हुए तेजस्वी यादव से हाथ मिलाया। और महागठबंधन के साथ जाने का ऐलान किया और फिर आठवीं बार सीएम पद की शपथ ली।
आत्मविश्वास से लबरेज हे जेडीयू !
बीजेपी को राज्य में सत्ता से बेदखल करने के बाद बिहार के सीएम नीतीश कुमार और उनकी पार्टी का सियासी मनोबल बढ़ा हुआ है। नीतीश के एक फैसले से बिहार में जेडीयू में फिर बहार आ गई। और राजनीति में बड़ा परिवर्तन ला दिया। जेडीयू इतनी आत्मविश्वास से भर गई कि उसने नीतीश कुमार को बतौर पीएम उम्मीदवार पेश करना शुरू कर दिया था। राजधानी पटना की सड़कों पर जगह जगह पोस्टर नजर आने लगे। पोस्टर पॉलिटिक्स के तहत नीतीश के होर्डिंग लगा दिए गए। कहा गया कि जुमला नहीं ये हकीकत है ऐसे में इन तमाम अटकलों के बाद नीतीश कुमार दिल्ली आए और उन्होंने राहुल गांधी से बात की। अब वे कह रहे हैं कि उनका पीएम बनने का कोई सपना नही ह। वे चाहते हैं विपक्ष एकजुट हो।
राजनीतिक पंडितों की माने तो नीतीश कुमार भले ही पीएम बननेा का सपना न देखने की बात कह रहे हो लेकिन उनकी मेलमुलाकात बता रही है कि वे कांग्रेस को साथ लेकर आगे बढ़ना चाहते हैं। उनकी कोशिश केंद्र से लड़ने के लिए विपक्षी दलों का महागठबंधन बनाने की है। इसलिए हाल में उन्होंने कहा था कि इस बार मेन फ्रंट बनेगा। यह एक राजनीतिक रूप से परिपक्व पहल है। भी भी कांग्रेस सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है। उसे साथ लिए बगैर विपक्ष एनडीए के खिलाफ कोई विकल्प खड़ा नहीं कर सकता है। महागंठबंधन तैयार होता है तो नीतीश चाहेंगे वे ही ड्र्इविंग सीट पर बैठे।
एकता के बाद कौन होगा विपक्ष का चेहरा?
राहुल गांधी और बिहार के सीएम नीतीश कुमार की मुलाकात के बाद कयासबाजी तेज हो र्गइ है। कहा जाने लगा है कि दोनों नेताओं में इस बात पर सहमति बनी है कि समान विचार वाली पार्टियों को साथ लाने का काम किया जाए। हालांकि सवाल ये कि पीएम उम्मीदवार कौन होगा। विपक्ष एकजुट हो भी गया तो किसके नेतृत्व में चुनाव मैदान में उतरेंगे। फिलहाल कांग्रेस ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। माना जा रहा है कि राहुल गांधी को आगे करने के प्रयास में कांग्रेस जुटी हुई है। दरअसल हल्ला बोल रैली का मकसद भी यही था। कांग्रेस दिल्ली में एक बार फिर कांग्रेस मोदी बनाम राहुल की लड़ाई चाहती है। दूसरी तरफ नीतीश कुमार खड़े हैं जिन्हें बिहार के कई नेता तो जरूर पीएम उम्मीदवार के रूप में देख रहे हैं लेकिन वे खुद अभी इस पर ज्यादा कुछ बोलने से बच रहे हैं।
दूसरे दल कर रहे कांग्रेस से परहेज
वहीं नीतीश जहां विपक्ष को एकजुट करने की कोशिशों में जुटे हैं तो टीआरएस, टीएमसी और आम आदमी पार्टी जैसे दल कांग्रेस को साथ लेकर चलने में सहज नहीं हैं। ये दल एक गैर कांग्रेसी तीसरे विकल्प का तलाश् में जुटे हैं। दरअसल इसके पीछे क्षेत्रीय राजनीति से जुड़े कारक तो महत्वपूर्ण हैं ही। इन दलों की अपनी महत्वाकाक्षाएं भी हैं। तीनों दलों को कांग्रेस का साथ इसलिए भी ठीक नहीं लगता क्योंकि वे अपने राज्यों में कांग्रेस से लड़ते आ रहे हैं। सही मानें तो कांग्रेस भी टीआरएस तृणमूल और आप को लेकर बहुत आश्वस्त नहीं है। दूसरे दलों की स्थिति भी अभी स्पष्ट नहीं है। मौका आने पर सपा कांग्रेस की बजाय तीसरे मोर्चे में को प्राथमिकता दे सकती है। कांग्रेस के साथ उसने पहले गठबंधन किया था जो बेअसर रहा। वहीं बीजद और वाईएसआर कांग्रेस दल को विपक्ष अपने साथ लेने के लिए तैयार नहीं कर पाया है।
इधर आम आदमी पार्टी पहले ही दिल्ली के सीएम अरविंद केरीवाल को 2024 में पीएम पद के लिए दावेदार घोषित कर चुकी है। पार्टी नेताओं का मानना है कि मौजूदा समय पर केजरीवाल ही ऐसे नेता हैं जो दिल्ली की लड़ाई में पीएम मोदी को सबसे कड़ी चुनौती देने में सक्षम हैं। बता दें 7 सितंबर से केजरीवाल 2024 के लिए अपने कैंपेन मेक इंडिया नंबर वन कैंपेन की शुरुआत करने जा रहे हैं। सियासी जानकारों का मानना है अगले लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी अपनी राष्ट्रीय ताकत को आजमाने का पूरा मन बना चुकी है।