ज्ञानवापी परिसर में कथित शिवलिंग की पूजा और मुस्लिमों का प्रवेश वर्जित करने संबंधी याचिका को कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। कोर्ट ने कहा है कि हिंदुओं को परिसर सौंपने की याचिका सुनने लायक है। वहीं मुस्लिम पक्ष की ओर से दाखिल आपत्ति को खारिज कर दिया गया है। इसपर फास्ट ट्रैक कोर्ट के सिविल जज महेंद्र कुमार पांडे ने लिखित बयान व डिफेंस तय करने के लिए दो दिसंबर का वक्त दिया है।
15 अक्टूबर को पूरी हो गई थी सुनवाई
इस मामले में 15 अक्टूबर को दोनों पक्षों को सुना गया था जिसके आधार पर फैसला सुरक्षित रख लिया गया था। 8 नवंबर को गुरुनानक जयंती होने की वजह से 17 नवंबर को ये फैसला सुनाया गया। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलों और साक्ष्यों के आधार पर अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की ऑर्डर 7 रूल 11 के आवेदन को खारिज कर दिया।
अब आगे क्या?
इस मामले में हिंदू पक्ष के अधिवक्ता मानबहादुर सिंह, शिवम गौड़ और अनुपम द्विवेदी ने दलील में कहा था कि ज्ञानवापी परिसर में गुंबद को छोड़कर सब कुछ मंदिर का हिस्सा है। अब 21 नवंबर से शुरू हो रहे ट्रायल के बाद पता चलेगा कि वह मस्जिद है या मंदिर।