दिसंबर का महीना मध्यप्रदेश की राजनीति के लिए गर्माहट वाला रहेगा। जानकारों का कहना है कि प्रदेश की राजनीति में सियासी पारा चढ़ सकता है । उसकी कईं सारी वजह है ।मसलन प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलें और दूसरा कारण इस विस्तार में सिंधिया समर्थक मंत्रियों का बाहर होना।
क्या है सियासी गर्मी बढ़ने के कारण
दिसंबर महीने में हिमाचल और गुजरात के नतीजे आ जाऐंगे। दिसंबर में नतीजों के बाद सभी राजनैतिक दलों का फोकस मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ पर होगा। ऐसे में ये माना जा रहा है कि दोनों ही दल चुनावी बदलाव इस महीने में कर सकते है।
सरकार मे क्या हो सकते हैं बदलाव
सूत्रों की मानें तो शिवराज मंत्रिमंडल का विस्तार दिसंबर के दूसरे सप्ताह में हो सकता है। अटकलें है कि इस विस्तार में तकरीबन दस Non Performer मंत्रियों की छुट्टी हो सकती है। इन मंत्रियों में सबसे ज्यादा संख्या सिंधिया खेमे की होगी। ऐसे में खबरें है कि चार मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। इनमें महेंन्द्र सिहं सिसोदिया, प्रद्युमन सिंह तोमर, प्रभुराम चौधरी ,बिजेन्द्र सिंह यादव का नाम है तो वहीं प्रेम सिहं पटेल, मीना सिंह जैसे मंत्रियों की Performance ठीक नहीं मानी जा रही।
किन चेहरों को किया जा सकता है शामिल
जिन चेहरों को मंत्रिमंडल मे जगह दी जा सकती है उनमें हाल ही में कांग्रेस से बीजेपी में आई सुलोचना रावत, संघ की पृष्ठभूमि से जुडे विष्णु खत्री पूर्व मंत्री राजेन्द्र शुक्ला , मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के करीबी गौरीशंकर बिसेन, संजय शर्मा और रामेश्वर शर्मा के नाम की अटकलें चल रही हैं।
कितना बड़ा हो सकता है मंत्रिमंडल
शिवराज मंत्रिमंडल में नियमों के मुताबिक 35 मंत्री हो सकते हैं । फिलहाल मुख्यमंत्री सहित 31 मंत्री हैं ऐसे में चार मंत्रियों को और बनाया जा सकता है। अगर मुख्यमंत्री कुछ मंत्रियों को बदलेंगे तो उतने ही और मंत्रियों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। ऐसे में देखना होगा कि अगर मंत्रिमंडल में फेरबदल होता है तो कैसे होगा क्योंकि मंत्रिमंडल विस्तार में इस बात का खासा ख्याल रखना हो कि- कोई विधायक नाराज भी न हो और आने वाले चुनाव के सारे समीकरण भी साधे जा सकें।
सत्ता के साथ-साथ संगठन में भी हो सकता है बदलाव
अटकलें है कि दूसरे राज्यों की तर्ज पर बीजेपी चुनाव के पहले संगठन में भी बदलाव कर सकती है। बीजेपी संगठन में निचले स्तर पर अभी से बदलाव शुरू हो चुके हैं। ऐसे में क्या पार्टी प्रदेश अध्यक्ष बदलेगी क्या संगठन की पूरी टीम में बदलाव होगा इन अटकलों के बीच मौसमी सर्दी मे सियासी पारा चढ़ेगा।