प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज गुरुवार 6 मार्च को अपने एक दिवसीय भ्रमण पर उत्तराखंड पहुंचे। गुरुवार सुबह करीब साढ़े आठ बजे राज्य के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने उनका यहां देहरादून स्थित जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर स्वागत किया। इसके बाद पीएम मोदी और सीएम धामी हेलीकॉप्टर से भारत तिब्बत सीमा पर स्थित उत्तरकाशी जनपद के हर्षिल और मुखवा के लिए रवाना हुए। जहां पीएम मोदी ने मां गंगा की पूजा की।
- उत्तराखंड पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी
- मुखवा में की मां गंगा की पूजा
- प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड शीतकालीन पर्यटन
- स्थानीय उत्पादों की प्रदर्शनी देखी
- जादुंग व पीडीए के लिए मोटर बाइक
- एटीवी-आरटीवी रैलियों और जनकताल
- मुलिंगला ट्रैकिंग अभियानों को दिखाई हरी झंडी
- हर्षिल में सार्वजनिक समारोह में सभा को किया संबोधित
पीएम ने पहले मां भगवती का अभिषेक किया। मां गंगा का ध्यान किया और पंचामृत से अभिषेक किया। इसके बाद चांदी का रजत कलश पीएम ने मां गंगा के जल में प्रवाहित किया। इसके बाद पीएम मोदी स्थानीय परिधान पहन कर व्यू प्वाइंट की ओर निकले। जहां उन्होंने श्रीकंठ, नैना पर्वत आदि पर्वतों की सुंदरता को निहारा। मां गंगा मंदिर के प्रांगण में पहुंच कर मुखवा गांव के निवासियों का हाल चाल भी जाना और महिलाओं के रांसू नित्य के बीच आनंद लेते रहे। पीएम ने मुखवा में मां गंगा के शीतकालीन निवास पर पूजा-अर्चना की है।
उन्होंने मुखवा में बर्फ से ढके पहाड़ों की मनमोहक सुंदरता का भी लुत्फ उठाया और वहां के लोगों का अभिवादन भी किया। बता दें मुखवा मां गंगा का शीतकालीन प्रवास और पूजा का प्रमुख स्थल है। इसे मुखीमठ के नाम से भी जाना जाता है। यह मां गंगा की शीतकालीन राजधानी के रूप में फेमस है जो समुद्रतल से करीब 8 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है। मुखवा को शीतकालीन प्रवास स्थल होने के चलते गंगा का मायका भी कहा जाता है।
प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पिछले दिनों दिल्ली दौरे के दौरान पीएम मोदी को शीतकालीन यात्रा पर आने का निमंत्रण दिया था। इसके बाद जब पीएम नरेन्द्र मोदी ने उत्तराखंड में 28 जनवरी को 38वें नेशनल गेम्स का उद्घाटन किया तो जल्द ही शीतकालीन यात्रा पर आने का वायदा भी पीएम ने किया था। इसी वादे को पूरा करने के लिए पीएम मोदी मुखवा पहुंचे। जहां मुखीमठ में मां गंगा के शीतकालीन प्रवास स्थल पर उन्होंने पूजा-अर्चना की। इसके बाद यहां उन्होंने स्थानीय कलाकारों के साथ कुछ समय भी बिताया और मखुवा में पारंपरिक लोक नृत्य का आनंद उठाया।