प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय गुजरात के दौरे पर हैं। पीएम ने सोमवार सुबह विश्व वन्यजीव दिवस के मौके पर जूनागढ़ जिले में स्थित गिर वन्यजीव अभयारण्य में जंगल सफारी का आनंद उठाया। सोमनाथ से आने के बाद पीएम नरेन्द्र मोदी ने सासण में वन अतिथि गृह ‘सिंह सदन’ में ही रात्रि विश्राम किया था। सिंह सदन से ही प्रधानमंत्री मोदी जंगल सफारी पर गए। इस दौरान पीएम के साथ गुजरात सरकार के कुछ मंत्री और वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। गिर वन्यजीव अभयारण्य के मुख्यालय सासण गिर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड एनबीडब्ल्यूएल की 7वीं बैठक की अध्यक्षता भी की।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गुजरात दौरा
- विश्व वन्यजीव दिवस पर पीएम का संदेश
- गिर वन्यजीव अभयारण्य में जंगल सफारी का आनंद उठाया
- जूनागढ़ जिले में स्थित है अभयाण्य
- पीम मोदी ने किया था वन अतिथि गृह ‘सिंह सदन’ में रात्रि विश्राम
वन्य प्राणी जीवों का संरक्षण की आवश्यकता
दरअसल वन्य जीव-जन्तुओं पर्यावरण और इकोसिस्टम को सुरक्षित बनाए रखने के लिए अहम कड़ी माना जाता है, जो प्राकृतिक आवास में निवास करते हैं। जैसे गैंडा, हाथी, शेर और हिरण इत्यादि। वन्य जीवों की पूर्ण सुरक्षा तथा विलप्तस होने वाली प्रजातियों को संरक्षण प्रदान करना इसका मुख्य उद्देश्य है। व्यापक तौर पर वन्य जीव, प्रकृति में पाये जाने वाले सभी जीव-जन्तुओं पर्व पेड़-पौधों की जातियों हेतु प्रयुक्त किया जाता है।
वर्तमान में मानव के द्वारा ऐसे कारण उत्पन्न कर दिये गये है। जिससे वन्य जीवों का अस्तित्व समाप्त हो रहा है। इसलिए वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए 1972 में वन्य जीवन सुरक्षा अधिनियम बनाया गया है। वन्य जीवों की पूर्ण सुरक्षा उच्चा विलुस होने वाले जन्तुओं को संरक्षण प्रदान करना इसका मुख्य उदेश्य है।
भारत कई प्रकार के जंगली जीवों और पशु-पक्षियों का घर है। जीवों और पशु-पक्षियों का संरक्षण पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व के लिए यह बहुत ही महत्वपूर्ण है। यहां के पशु—पक्षियों को अपने प्राकृतिक निवास स्थान में देखना आनन्दायक है। जंगली जीवों को देखने विदेशी पर्यटक भी आते हैं। यहां वन्य जीवों की बहुत बड़ी संख्या है। भारत के वन्य जीव संरक्षण कार्यक्रम को आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक मजबूत संस्थागत ढांचे की रचना की गई है।
जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इण्डिया, बोटेनिकल सर्वे आफ इण्डिया जैसी प्रमुख संस्थाओं के साथ भारतीय वन्य जीवन संस्थान, भारतीय वन्य अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी तथा सालिम अली स्कूल ऑफ इकोलॉजी जैसे संस्थान वन्य जीवन संबंधी शिक्षा और अनुसंधान कार्यरत है। इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य वन्स जीवों, पक्षियों और पौधों को प्रमाणित सुरक्षा प्रदान करना है। इसके साथ ही वन्य जीवन तथा वन वृक्षों को सुरक्षित रखना भी है।
माना जाता है कि लगभग 300 वर्ष ईसा पूर्व सम्राट अशोक ने वन्य प्राणियों के संरक्षण में अभयारण्यों की स्थापना की। सारनाथ में एक मृग उद्यान में भगवान बुद्ध के प्रवचनों का उल्लेख भी मिलता है। हिन्दू धर्म का तो मूल आधार ही यह है कि आत्मा सभी प्राणियों में विचरण करते हुए मानव-योनि और फिर इसके बाद मोक्ष-योनि में जाती है। सिन्धु घाटी की सभ्भाता 2500 ईसा पूर्व में हाथी, गेडा, नीलगाय, बंदर, काला हिरण, गरुण तथा बाज पक्षियों की मूर्तियां पाई गईं हैं।