मेरठ का अनोखा एटीएम चोर!…जब भी जरुरत पड़ती थी पैसों की..एटीएम में कर लेते थे चोरी..धीरे धीरे कर चुराये 65 लाख रुपये….!
उत्तरप्रदेश के मेरठ में एटीएम से चोरी का एक अनोखा मामला सामने आया है। जिसमें आरोपी कोई ओर नहीं एटीएम में रुपये डालने वाली पूर्व कंपनी का ही एक कर्मचारी है। जिसने अपने दोस्त के साथ मिलकर इस वारदात को अंजाम दिया। इन दोनों ने ही मिलकर एक नहीं बल्कि मेरठ जिले के तीन एटीएम को निशाना बनाया। इस तरह करीब 65 लाख रुपये से अधिक की राशि गायब कर दी गई।
- पासवर्ड से एटीएम में सेंधमारी,आरोपी पकड़ाये
- तीन ATM को बनाया अपना निशाना
- थोड़ा-थोड़ा कर एक से सवा महीने में 65 लाख की चोरी
- पुलिस रकम की बरामदगी में जुटी
मेरठ के माल रोड सबएरिया कैंटीन के पास एसबीआई का एटीएम से जब राशि कम निकली तो बैंक अधिकारी सजग हो गए। उन्होंने ऑडिट टीम को पूरा मामला जांच के लिए सौंपा जिसने एटीएम में चोरी का खुलासा कर सनसनी फैला दी।
पुलिस और बैंक के अधिकारियों की मौजूदगी में कई घंटे लगातार छानबीन चली। जिस तरह के हालात थे एटीएम के नजर आ रहे उसे देखकर अंदेशा जताया जा रहा था कि किसी कर्मचारी की मिलीभगत हो सकती है। जांच हुई तो एक पूर्व कर्मचारी पकड़ाया। पुलिस ने उसे हापुड़ से गिरफ्तार किया। जब सख्ती से पूछताछ में उसने एटीएम में चोरी का पूरा सच उगल दिया। जिसे सुनकर पुलिस और बैंक के अधिकारी हैरान रह गये।
दरअसल जिस आरोपी को पुलिस ने दबोचा है। वह एटीएम में रुपये फीड करने वाली एक पूर्व कंपनी का कर्मचारी है। उसे कंपनी में काम करते समय एटीएम के पासवर्ड की जानकारी थी। इसलिए वह बैंक के एटीएम के पासवर्ड जानता था। जब एटीएम में रुपये फीड करने वाली मौजूदा कंपनी हिताची ने इसे टेक ओवर किया तो वह एटीएम के पासवर्ड बदलने में जुटी गई,लेकिन खास बात यह निकलकर आ रही है कि नई कंपनी भी पासवर्ड बदलते समय पुराने कर्मचारी की ही मदद कंपनी ले रही थी। ऐसे में उसने ऐसा पासवर्ड तैयार किया, जिसे वह बहुत आसानी से याद रख सके। नई कंपनी को लग रहा था कि पूर्व वाली कंपनी का कर्मचारी नया पासवर्ड डाल रहा है लेकिन वह तो अपनी सहूलियत के अनुसार पासवर्ड डाल रहा था, जिसे आसानी से याद रखा जा सके।
ऑडिट के समय दूसरे ATM से जमा कर देता था पैसे
आरोपी शुभांशू शर्मा ने बताया कि वह पिछले करीब पांच साल से सिक्योर वेल्यू कम्पनी में बतौर कस्टोडियन के पद पर कार्य कर रहा है। यह कंपनी एसबीआई के एटीएम में कैश डालने का काम करती है। जब उसने शुरू में एटीएम में रुपये डाले तो इतनी राशि देखकर उसके मन में लालच आने लगा। ऐसे में उसने एटीएम में रखी जाने वाली राशि में से थोड़े थोड़े रुपये अपनी जरूरत के लिए निकालना शुरू कर दिये। जब बैंक एटीएम का ऑडिट कम्पनी के ऑडिटर की ओर से किया जाता था तो वह दूसरे एटीएम से राशि निकालकर उसी एटीएम में पूर्ति कर दिया करता था। इस तरह उसका काम ठीक से चल रहा था। उसने इस तरह एटीएम से चोरी जारी रखी।