प्रयागराज महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर स्नान के दौरान भगदड़ मचने से कई श्रद्धालुओं की दुखद मौत हो गई। वहीं सैंकड़ों श्रद्धालु घायल हो गए हैं। यह भगदड़ क्यों मची, इसे लेकर अब तक ठीक वजह का पता नहीं चल पाया है। जानते हैं इससे पहले महाकुंभ में कब इस तरह का हादसा हुआ था और कितने लोग हताहत हुए थे।
- महाकुंभ में ऐसा क्या हो गया कि मच गई भगदड़
- आजादी के बाद पहले कुंभ में भी हुई थी भगदड़
- 1954 के कुंभ में आखिर क्यों मच गई भगदड़
- 3 फरवरी 1954 को मौनी अमावस्य का स्नान होना था
- 1954 में करीब 800 श्रद्धालुओं की कुंभ में मौत हुई थी
1954 के साल में प्रयागराज में कुंभ का आयोजन किया गया था। तब 3 फरवरी 1954 को मौनी अमावस्य का स्नान होना था। उस समय भी प्रयागराज में कुंभ मेले में मौनी अमावस्या के लिए लाखों श्रद्धाजुओं की भीड़ उमड़ी थी। सुबह करीब 8 बजे के आसपास अचानक कुछ अफवाह फैली जिससे स्नान पर्व के दौरान भगदड़ मच गई। करीब 45 मिनट तक श्रद्धालु भगदड़ में फंसे रहे। मौत के इस तांडव में उस समय करीब 800 श्रद्धालुओं की कुंभ में मौत हुई थी। ऐसा माना जाता है कि 1954 के प्रयागराज कुंभ में देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू भी आए थे।
कुंभ का अंतरराष्ट्रीयकरण भी उस समय पंडित नेहरू ने ही किया था। उस सयम देश-विदेश में पंडित नेहरू के कई लेख भी प्रकाशित हुए थे।। उस साल कुंभ मेले में करीब 50 लाख श्रद्धालुओं पहुंचे थे। दरअसल भारत की आजादी के बाद पहला कुंभ मेला था। इसके चलते भी बड़ी संख्या में लोग उस वक्त के इलाहाबाद कुंभ स्नान केलिए पहुंचे थे।
1954 में गंगा में अचानक जलस्तर बढ़ने की फैली थी अफवाह
देश की आजादी के बाद 1954 में लगे पहले कुंभ में सबसे भीषण भगदड़ की बात करें तो उस समय भगदड़ में 800 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी। बताया जाता है कि 1954 के कुभ में ऐसा ही हादसा हो गया था। 2 और 3 फरवरी की रात को गंगा नदी में अचानक पानी का स्तर बढ़ गया। इस बीच संगम किनारे साधु और संतों के आश्रम तक गंगा का पानी पहुंचने लगा। इससे भयभीत श्रद्धालुओं में अफरा-तफरी और भगदड़ मच गई। बता दें उस समय मची भगदड़ में करीब 800 श्रद्धालुओं की मौत हुई थी।
कमोवेश इस बार भी प्रयागराज में महाकुंभ में मौनी अमावस्या के ही ही भगदड़ मच गई। जिसमें कुछ श्रद्धालुओं के हताहत होने और कुछ के गंभीर रूप से घायल होने की खबरें हैं। खैर फिलहाल महाकुंभ में हालात नियंत्रण में आ गए हैं। इस बार के महाकुंभ में भगदड़ करीब रात 1 बजे के आसपास होना बताई जा रही है। हादसा उस वक्त हुआ जब पवित्र संगम पर मौनी अमावस्या के स्नान को लेकर भीड़ अचानक बढ़ने लगी। श्रद्धालु मुख्य संगम पर ही पवित्र स्नान करने की जिद पर अड़े रहे। इस बीच बढ़ती भीड़ के दबाव के चलते संगम के रास्तों पर लगाई गई बैरिकेडिंग टूट गई। इसके बाद अचानक मेले में अफरातफरी मच गई और भगदड़ मच गई। मीडिया रिपोर्ट की माने तो लोग जब स्नान के लिए संगम तट पर जा रहे थे, तभी कुछ लोग बैरिकेडिंग के पास लोग सोए थे। जो इस भगदड़
के चलते सोए हुए वहां से जाने वाले लोगों के पैरों में फंस गए और पीछे से आ रही लोगों की भीड़ उनके ऊपर से निकलती गई।