Republic Day 2025: केसरिया,सफेद और हरा…जानें कितना गहरा है हमारे तिरंगे के इन तीन रंगों का रहस्य
Republic Day 2025: एक आजाद देश की पहचान उस देश के झंडे से होती है। भारत का तिरंगा जब जब आसमान की बुलंदियों में फहराया जाता है तो हर भारतीय का सिर गर्व से ऊंचा हो जाता है। गणतंत्र दिवस 2025 के इस मौके पर जानते हैं तिरंगे के इन तीनों रंगों केसरिया, सफेद और हरे रंग का गूढ़ अर्थ क्या है। ये तीनों रंग क्या संदेश देते हैं। दुनिया के हर आजाद देश का उसका अपना एक झंडा होता है। यही झंडा उसकी पहचान का प्रतीक भी माना जाता है। दरअसल में यह किसी भी आजाद देश का प्रतीक है। 15 अगस्त 1947 को भारत अंग्रेजों की गुलामी से स्वतंत्र हुआ। इससे कुछ दिन पहले 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा की बैठक आयोजित की गई। इस दौरान भारत के राष्ट्रीय ध्वज को उसके मौजूदा स्वरूप में अपनाया गया था।
15 अगस्त 1947 और 26 जनवरी 1950 के बीच डोमिनियन ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय ध्वज के तौर पर आया। यह बाद में भारत गणराज्य का राष्ट्रीय ध्वज बनाया गया। भारत में “तिरंगा” शब्द भारतीय राष्ट्रीय ध्वज की आम जनमानस में पहचान से ही मिली है।
ध्वज का डिजाइन
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज में समान अनुपात में तीन रंग हैं। जिसमें सबसे ऊपर की ओर गहरा केसरिया या केसरी रंग होता है, बीच में सफेद और फिर नीचे गहरे हरे रंग का क्षैतिज तिरंगा है। ध्वज की चौड़ाई और उसकी लंबाई का अनुपात दो से तीन होना चाहिए।। सफेद पट्टी के केंद्र में गहरे नीले कलर का एक पहिया है। जि चक्र का प्रतिनिधित्व माना जाता है। इस चक्र का डिजाइन उस चक्र से लिया गया है जो अशोक के सारनाथ सिंह शीर्ष के गणक पर अंकित है। इस चक्र का व्यास भी लगभग सफेद पट्टी की चौड़ाई के समान होना चाहिए। इसमें 24 तीलियां होती हैं।
झंडे के तीन रंग..आखिर क्या कहते हैं
तिरंगे के यह तीन रंग यूं ही नहीं चुने गए थे। इन तीनों रंगों का चुनाव करने के पीछे गूढ़ अर्थ छुपे हुए हैं। भारत के राष्ट्रीय ध्वज में सबसे ऊपर की ओर जो पट्टी होती है वह केसरिया रंग की है। केसरिया रंग को देश की ताकत और साहस का प्रतीक माना जाता है। वहीं धर्म चक्र के साथ सफेद रंग की बीच की बनी पट्टी हिंदुस्तान के मूल स्वरूप यानी शांति और सच्चाई को दर्शाती है। इस झंडे की अंतिम पट्टी का हरा रंग भारत भूमि की उर्वरता के साथ उसकी वृद्धि और शुभता का प्रतीक माना जाता है।
क्या कहता है तिरंगे का चक्र
भारतीय झंडे में स्थित धर्म चक्र में तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व मौर्य सम्राट अशोक की ओर से बनाई गई सारनाथ शेर की राजधानी में “कानून का पहिया दर्शाया गया है। इस धर्म चक्र के माध्यम से यह दर्शाने का प्रयास किया गया है कि गति में जीवन है और ठहराव में मृत्यु है।