राजस्थान में इन दिनों जिलों के गठन और रद्द किये जाने पर सियासत गरमा गई है। देश की सियासत में अमूमन पर सियासी लड़ाई को कुंद करने के लिए नए नए जिले बनाए जाते हैं, उनका गठन किया जाता है। लेकिन राजस्थान में पहली बार बड़े पैमाने में करीब 9 जिलों के गठन को सरकार ने रद्द कर दिया है।
- विधानसभा चुनाव के समय सीएम गहलोत ने किये थे गठित
- भजनलाल कैबिनेट ने लिया बड़ा फैसला
- भजनलाल सरकार ने 9 जिलों के गठन को किया रद्द
- जून 2024 में गठित की थी सरकार ने कमेटी
- पांच मंत्रियों की कमेटी की रिपोर्ट पर रद्द किये 9 जिले
राजस्थान के भजनलाल की सरकार ने पूर्व की अशोक गहलोत सरकार के फैसले को पलटते हुए 9 जिलों के गठन को रद्द कर दिया है। जिसमें जयपुर ग्रामीण, जोधपुर ग्रामीण, सांचौर, दूदू,अनूपगढ़, शाहपुरा, केकड़ी, नीमकथाना और गंगापुर सिटी जिले शामिल हैं, जिन्हें अब रद्द करने का फैसला किया है। इन जिलों को रद्द करने के लिए भजनलाल सरकार की ओर से जून 2024 में मंत्रियों की एक कमेटी का गठन किया गया था। कमेटी की रिपोर्ट के बाद यह फैसला लिया गया। इन जिलों की समीक्षा के लिए गठित पांच मंत्रियों के समूह का मानना है कि नए जिलों के गठन में न क्षेत्रफल का ध्यान रखा गया है और न ही जनसंख्या का ध्यान रखा गया। जिससे प्रशासनिक ढांचे में बहुत ही अधिक असमानताएं आ गईं थीं।
सरकार के फैसले पर दो बड़े सवाल हो रहे खड़े
अब मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के इस फैसले के बाद दो सवाल खड़े हा रहे हैं। पहला सवाल यह कि आखिर यह फैसला क्यों लिया गया? दूसरा बड़ा सवाल यह है कि जिले की सियासत को लेकर है। माना जाता है कि आमतौर पर सियासी फायदे के लिए नए जिले का गठन किया जाता है। जिले के नाम पर राजनीतिक पार्टियां क्षेत्र के मतदाताओं को साधने का काम करती हैं। ऐसे में राजस्थान की भजनलाल सरकार ने 9 जिलों को रद्द कर कितना बड़ा रिस्क लिया है?
क्यों रद्द किए गए यह जिले?
बीजेपी ने अपनी पार्टी की सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि राजस्थान में चुनाव से ठीक पहले नियमों को ताक पर रखकर छोटे-छोटे जिले बना दिए गए थे, जो गलत है। बीजेपी की ओर से कहा जा रहा है कि नए जिले का गठन करने से सरकार को प्रशासनिक कामों में रिवेन्यू भी ज्यादा खर्च करना पड़ रहा था।
इधर विपक्ष इससे तिलमिला गया है। राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने राजस्थान की भजनलाल सरकार को कठघेरे में खड़ा करते हुए कहा कि मध्य प्रदेश में छोटे छोटे जिले बनाए गए हैं। वहां भी बीजेपी की सरकार है, लेकिन एमपी में छोटे जिलों को इसलिए रद्द नहीं किया गया।
9 जिले 24 विधानसभा सीट,बीजेपी के पास 13 सीट
भजनलाल सरकार ने राज्य के जिन 9 जिलों को रद्द करने का फैसला लिया है। उन 9 जिलों में विधानसभा की करीब 24 सीट शामिल हैं। मसलन पूर्व की गहलोत सरकार की ओर से गठित नीमकथाना में श्रीमाधोपुर, खेतरी और उदयपुरवाटी, केकड़ी में मसौदा और केकड़ी, शाहपुरा में जहाजपुरा और शाहपुरा और नीमक थाना गंगापुर सिटी में बामनवास और गंगापुर, दूदू जिले में फुलेरा और दूदू, जयपुर ग्रामीण में चाकसू, चोमू, आमेर और सांगनेर, जोधपुर ग्रामीण में ओसियां, लूनी और जोधपुर सीट शामिल हैं। इसी प्रकार विजयनगर और अनूपगढ़, सांचौर में रानीवाड़ा और सांचौर, अनूपगढ़ में खजुलवाला का नाम शामिल है। इसके साथ ही सीएम भजनलाल शर्मा की सांगनेर और राज्य के डिप्टी सीएम प्रेमचंद्र बैरवा की दूदू सीट भी इनमें शामिल हैं। पिछली बार 2023 के विधानसभा चुनाव के दौरान 24 में से 13 विधानसभा सीटों पर बीजेपी जीती थी, 10 पर कांग्रेस और 1 सीट पर निर्दलीय ने जीत दर्ज की। इससे पहले 2018 के चुनाव में 24 में से 12 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की थी। चार सीट निर्दलीय के खाते में गई थी। जबकि आठ सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी।
इसलिए लिया भजनलाल शर्मा ने यह रिस्क?
बता दें 31 दिसंबर 2024 तक ही सीमांकन का अधिकार राज्यों के पास रहेगा। दरअसल जनगणना को लेकर यह डेडलाइन केंद्र सरकार की ओर से जारी की गई है। राज्य सरकारे अगर नए जिलों के गठन को अभी रद्द नहीं करती तो आने वाले समय में इनको रद्द को लेकर फैसला लेना इतना आसान नहीं था।